लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष शिवाकांत द्विवेदी को पद से हटा दिया है. लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश को एलडीए वीसी का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है. शासन से आदेश जारी होने के बाद डीएम ने चार्ज सम्भाल लिया है.
हाई प्रोफाईल मामलों में नहीं ले सके फैसला
शिवाकांत द्विवेदी को पद से अचानक हटाए जाना प्राधिकरण में जहां चर्चा का विषय बना हुआ है. यह माना जा रहा है कि सरकार की उम्मीदों पर खरा न उतरने पर यह कारवाई हुई है. 2016 बैच के आईएएस अधिकारी शिवाकांत द्विवेदी ने प्रभु एन. सिंह के तबादले के बाद इसी साल जनवरी में लखनऊ विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष का पद ग्रहण किया था. अपने कार्यकाल के दो महीने बाद लॉकडाउन लगने पर उन्होंने कम्युनिटी किचन का संचालन कराया. कई बड़े अवैध निर्माणों के खिलाफ कारवाई हुई. प्रमुख तौर पर पूर्वांचल माफिया मुख्तार अंसारी के बेटों के अवैध निर्माणों को धराशायी कराया गया. मगर डालीबाग की निष्क्रांत संपत्ति में दूसरे हाई प्रोफाईल मामलों के मामले एलडीए की कारवाई एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकीं.
माना जा रहा है कि सरकार इससे नाखुश थी. इसके अलावा जनहित गारंटी अधिनियम के तहत ऑन लाइन सेवाओं के मामले में एलडीए की रिपोर्ट यूपी में अच्छी नहीं थी. फ्री होल्ड के मामलों का निपटारा नहीं किया गया. पूर्व वीसी शिवाकांत द्विवेदी के कार्यकाल में इंजीनियरों पर घूसखोरी के आरोप लगे हैं. जेइ की पिटाई के मामले भी सामने आए हैं.
आय के मुकाबले बढ़ता गया प्रशासनिक खर्च
विकास परिषद-प्राधिकरणों का प्रशासनिक व्यय, उनकी अर्जित आय का 10 फीसद से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन उनका औसत प्रशासनिक व्यय बढ़कर अब 28.35 फीसद पहुंच रहा है. आय के सापेक्ष 30 फीसद से अधिक प्रशासनिक व्यय से सम्बन्धित परिषद का ही 67.74 फीसद है. लखनऊ विकास प्राधिकरण का 42.35 फीसद है. आठ महीने के दौरान पिछले साल की तुलना में 50 फीसद से कम आय अर्जित करने वाले प्राधिकरणों में लखनऊ विकास प्राधिकरण 45.60 फीसद ही आय अर्जित किया है.
शिवाकांत द्विवेदी ने उपाध्यक्ष पद ग्रहण करने पर कहा था कि शहर का सुनियोजित विकास उनकी प्राथमिकता रहेगी. आवंटियों की समस्याओं का निराकरण करना भी हमारी प्राथमिकताओं में होगा, लेकिन अपनी प्राथमिकताओं को पूरा करने में सफल साबित नहीं हो सके.