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यूपी के इस जिले में ओलंपियन केडी सिंह बाबू की हवेली में बनेगा म्यूजियम - KD SINGH BABU

शासन को स्मारक व संग्राहालय बनाने का भेजा गया था प्रस्ताव. पैसा आवंटित होते ही स्मारक बनाने का रास्ता साफ.

बाबू केडी सिंह की हवेली में बनेगा म्यूजियम
बाबू केडी सिंह की हवेली में बनेगा म्यूजियम (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 16, 2025, 12:46 PM IST

बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाराबंकी वासियों को नए साल का तोहफा दिया है. भारत को दो बार ओलंपिक गोल्ड मेडल दिलाने वाले अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी पद्मश्री केडी सिंह बाबू की बाराबंकी में स्थित पुस्तैनी कोठी को म्यूजियम बनाये जाने का रास्ता साफ हो गया है.

बुधवार को जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार, अपर निदेशक सृष्टि धवन, अतिरिक्त मजिस्ट्रेट अनुराग सिंह और ईओ नगर पालिका के साथ खाद्य रसद राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा, एमएलसी, जिला पंचायत अध्यक्ष और बाबू केडी सिंह के परिवारीजनों के साथ बाबू केडी सिंह की यादें सहेजने और कोठी को स्मारक का स्वरूप देने के लिए कोठी का भ्रमण कर सलाह मशविरा किया.

बता दें कि बाराबंकी वासियों की मांग पर जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार द्वारा बाबू केडी सिंह की कोठी को स्मारक व संग्राहालय बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था. शासन ने इस पर विचार करते ही 10 जुलाई को इसकी मंजूरी दे दी थी. अब इसके लिए धन आवंटित होते ही स्मारक बनाने का रास्ता साफ हो गया.

बुधवार को बाबू केडी सिंह की कोठी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि संग्रहालय के निर्माण से हॉकी खिलाड़ियों को प्रोत्साहन एवं प्रेरणा मिलेगी. इस म्यूजियम में बाबू केडी सिंह की स्मृतियों को संजोने का काम होगा. साथ ही हॉकी के खिलाड़ियों के लिए संग्रहालय में उनके चित्रों की गैलरी बनाई जाएगी.

दरअसल, 35 हजार 241 वर्ग फिट रकबे वाली इस कोठी का विवाद ठाकुर रघुनाथ सिंह के बेटों कुंवर राजेन्द्र सिंह, कुंवर भूपेंद्र सिंह, कुंवर सुखदेव सिंह, कुंवर नरेश सिंह, कुंवर दिग्विजयसिंह (बाबू केडी सिंह) और कुंवर सुरेश सिंह के बीच चल रहा था. कोठी के वारिसों के बीच बंटवारे को लेकर कोर्ट में केस चल रहा था. साल 2009 को कोर्ट ने आदेश डिक्री पारित किया, जिसमें तय हुआ था कि सभी पक्षकार इस कोठी को बेचकर आपस में पैसों का बराबर बंटवारा कर लेंगे.

16 फरवरी 2024 को अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन खान जीशान मसूद के आदेश पर कोठी को सील कर दिया गया था. साथ ही कोर्ट ने इस कोठी को 11 मार्च को नीलाम कराने का आदेश दिया था.

वहीं, बाबू केडी सिंह की कोठी से जिले वासियों का खासा लगाव है. लिहाजा उनकी यादों को संजोने के लिए लोग चाहते थे कि उनकी कोठी नीलाम न हो, बल्कि उसे म्यूजियम बना दिया जाय. जिला वासियों, संस्थाओं, खिलाड़ियों और कई राजनीतिक लोगों की मांग पर मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरता से लिया और डीएम को हवेली का अधिग्रहण कर स्मारक बनाने के निर्देश दिए थे. बाद में पक्षकार भी संग्रहालय बनाने और कोठी को नीलाम न करने के लिए राजी हो गए थे. इसके बाद से कोठी जिला प्रशासन की देखरेख में है.

डीएम सत्येंद्र कुमार ने स्मारक बनाने के लिए संस्कृति विभाग को प्रस्ताव भेजा था. प्रशासन की पहल पर सभी पक्षकारों को उनके हिस्से का मुआवजा मिल जाने के बाद इसी जनवरी में आपसी समझौते से मुकदमा वापस हो गया.

कौन थे बाबू केडी सिंह: 2 फरवरी, 1922 को बाराबंकी में जन्मे कुंवर दिग्विजय सिंह 14 साल की उम्र में ही हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ी बन गए थे. बाराबंकी के देवां में उन्होंने पहला टूर्नामेंट खेला और यही से उनके हुनर को पर लग गए. 16 वर्ष तक उन्होंने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया और फिर उसके बाद भारतीय हॉकी टीम के उपकप्तान बना दिए गए. इसके बाद 1948 में हुए ओलंपिक में वो उपकप्तान रहे तो वर्ष 1952 में हुए हेलसिंकी ओलंपिक में उन्हें कप्तान बनाया गया. इन दोनों ओलंपिक में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने में उन्होंने अहम रोल अदा किया था.

कुंवर दिग्विजयसिंह यानी बाबू केडी सिंह एशिया के ऐसे पहले भारतीय खिलाड़ी थे, जिन्हें अमेरिका में हेम्स ट्राफी से नवाजा गया था. ये ट्राफी अमेरिका की लॉस एंजिल्स की हेम्सफर्ड फाउंडेशन प्रदान करती है. इसे खेलों का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है. बाबू केडी सिंह भारतीय हॉकी टीम के सदस्य के रूप में पहले श्रीलंका गए और फिर पूर्वी अफ्रीका. जहां पर हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद के नेतृत्व में टीम ने कुल 200 गोल किए, जिसमें सर्वाधिक 70 गोल केडी सिंह के ही थे. उनके इस परफॉर्मेंस के चलते उन्हें 1948 के लंदन ओलिंपिक में भारत की टीम का उप कप्तान बनाया गया था. बाबू केडी सिंह न केवल हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ी थे, बल्कि वह क्रिकेट भी बहुत अच्छा खेलते थे.



यह भी पढ़ें: सीएम योगी की घोषणा, उत्तर प्रदेश में फुटबॉल के लिए बनाए जाएंगे एक हजार ग्राउंड - FOOTBALL MATCH LUCKNOW

यह भी पढ़ें: CM YOGI ने 'रन फॉर यूनिटी' का किया शुभारंभ, नागरिकों को देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की दिलाई शपथ


बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाराबंकी वासियों को नए साल का तोहफा दिया है. भारत को दो बार ओलंपिक गोल्ड मेडल दिलाने वाले अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी पद्मश्री केडी सिंह बाबू की बाराबंकी में स्थित पुस्तैनी कोठी को म्यूजियम बनाये जाने का रास्ता साफ हो गया है.

बुधवार को जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार, अपर निदेशक सृष्टि धवन, अतिरिक्त मजिस्ट्रेट अनुराग सिंह और ईओ नगर पालिका के साथ खाद्य रसद राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा, एमएलसी, जिला पंचायत अध्यक्ष और बाबू केडी सिंह के परिवारीजनों के साथ बाबू केडी सिंह की यादें सहेजने और कोठी को स्मारक का स्वरूप देने के लिए कोठी का भ्रमण कर सलाह मशविरा किया.

बता दें कि बाराबंकी वासियों की मांग पर जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार द्वारा बाबू केडी सिंह की कोठी को स्मारक व संग्राहालय बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था. शासन ने इस पर विचार करते ही 10 जुलाई को इसकी मंजूरी दे दी थी. अब इसके लिए धन आवंटित होते ही स्मारक बनाने का रास्ता साफ हो गया.

बुधवार को बाबू केडी सिंह की कोठी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि संग्रहालय के निर्माण से हॉकी खिलाड़ियों को प्रोत्साहन एवं प्रेरणा मिलेगी. इस म्यूजियम में बाबू केडी सिंह की स्मृतियों को संजोने का काम होगा. साथ ही हॉकी के खिलाड़ियों के लिए संग्रहालय में उनके चित्रों की गैलरी बनाई जाएगी.

दरअसल, 35 हजार 241 वर्ग फिट रकबे वाली इस कोठी का विवाद ठाकुर रघुनाथ सिंह के बेटों कुंवर राजेन्द्र सिंह, कुंवर भूपेंद्र सिंह, कुंवर सुखदेव सिंह, कुंवर नरेश सिंह, कुंवर दिग्विजयसिंह (बाबू केडी सिंह) और कुंवर सुरेश सिंह के बीच चल रहा था. कोठी के वारिसों के बीच बंटवारे को लेकर कोर्ट में केस चल रहा था. साल 2009 को कोर्ट ने आदेश डिक्री पारित किया, जिसमें तय हुआ था कि सभी पक्षकार इस कोठी को बेचकर आपस में पैसों का बराबर बंटवारा कर लेंगे.

16 फरवरी 2024 को अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन खान जीशान मसूद के आदेश पर कोठी को सील कर दिया गया था. साथ ही कोर्ट ने इस कोठी को 11 मार्च को नीलाम कराने का आदेश दिया था.

वहीं, बाबू केडी सिंह की कोठी से जिले वासियों का खासा लगाव है. लिहाजा उनकी यादों को संजोने के लिए लोग चाहते थे कि उनकी कोठी नीलाम न हो, बल्कि उसे म्यूजियम बना दिया जाय. जिला वासियों, संस्थाओं, खिलाड़ियों और कई राजनीतिक लोगों की मांग पर मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरता से लिया और डीएम को हवेली का अधिग्रहण कर स्मारक बनाने के निर्देश दिए थे. बाद में पक्षकार भी संग्रहालय बनाने और कोठी को नीलाम न करने के लिए राजी हो गए थे. इसके बाद से कोठी जिला प्रशासन की देखरेख में है.

डीएम सत्येंद्र कुमार ने स्मारक बनाने के लिए संस्कृति विभाग को प्रस्ताव भेजा था. प्रशासन की पहल पर सभी पक्षकारों को उनके हिस्से का मुआवजा मिल जाने के बाद इसी जनवरी में आपसी समझौते से मुकदमा वापस हो गया.

कौन थे बाबू केडी सिंह: 2 फरवरी, 1922 को बाराबंकी में जन्मे कुंवर दिग्विजय सिंह 14 साल की उम्र में ही हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ी बन गए थे. बाराबंकी के देवां में उन्होंने पहला टूर्नामेंट खेला और यही से उनके हुनर को पर लग गए. 16 वर्ष तक उन्होंने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया और फिर उसके बाद भारतीय हॉकी टीम के उपकप्तान बना दिए गए. इसके बाद 1948 में हुए ओलंपिक में वो उपकप्तान रहे तो वर्ष 1952 में हुए हेलसिंकी ओलंपिक में उन्हें कप्तान बनाया गया. इन दोनों ओलंपिक में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने में उन्होंने अहम रोल अदा किया था.

कुंवर दिग्विजयसिंह यानी बाबू केडी सिंह एशिया के ऐसे पहले भारतीय खिलाड़ी थे, जिन्हें अमेरिका में हेम्स ट्राफी से नवाजा गया था. ये ट्राफी अमेरिका की लॉस एंजिल्स की हेम्सफर्ड फाउंडेशन प्रदान करती है. इसे खेलों का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है. बाबू केडी सिंह भारतीय हॉकी टीम के सदस्य के रूप में पहले श्रीलंका गए और फिर पूर्वी अफ्रीका. जहां पर हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद के नेतृत्व में टीम ने कुल 200 गोल किए, जिसमें सर्वाधिक 70 गोल केडी सिंह के ही थे. उनके इस परफॉर्मेंस के चलते उन्हें 1948 के लंदन ओलिंपिक में भारत की टीम का उप कप्तान बनाया गया था. बाबू केडी सिंह न केवल हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ी थे, बल्कि वह क्रिकेट भी बहुत अच्छा खेलते थे.



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