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आज से शुरू हुआ नवरात्र, विधि-विधान से करें पूजा - नवरात्रि पूजन

मां दुर्गा की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्रि शनिवार से शुरू हो गया है. प्रदेश भर में नवरात्र की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. प्रमुख देवी मंदिरों को सजाया जा चुका है. चुनरी, नारियल आदि पूजन सामग्री की दुकानें सज कर तैयार हैं. वहीं कोविड-19 की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए मंदिर, पंडालों और घरों में शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना की गई.

विधि-विधान से करें पूजा
विधि-विधान से करें पूजा
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Published : Oct 17, 2020, 8:29 PM IST

लखनऊ: शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक रहने वाले हैं. इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना से सुख-समृद्धि की इच्छाएं पूरी होती हैं. नवरात्र में देवी के नौ दिन के व्रत का बड़ा महत्व है. इन नौ दिनों में हर किसी को कुछ खास नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए. आइए जानते हैं... नवरात्र के समय में कौन से काम करने से बचना चाहिए.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

इस बार नौ दिन की होगी नवरात्र
नवरात्रि की शुरुआत 17 अक्टूबर यानी आज से शुरू हो गई है. ऐसे में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाएगी. आमतौर पर देखा गया है कि कभी ये सात, तो कभी आठ दिन में समाप्त हो जाती है, लेकिन इस बार नवरात्रि पूरे नौ दिनों की होगी, पूरे नौ दिन मां के नौ स्वरूप मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री का पूजन किया जाएगा.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्र के पहले दिन यानी 17 अक्टूबर के कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 13 मिनट तक का था. इसके बाद अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 29 मिनट तक था.

हवन, विसर्जन और व्रत पारण
25 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 14 मिनट तक नवमी है. ऐसे में इससे पूर्व नवमी का हवन आदि कर लेना होगा. इसके बाद 11 बजकर 15 मिनट पर दशमी तिथि आ जाएगी तथा विजय दशमी के अनुष्ठान किए जाएंगे. इससे पूर्व 23-24 अक्टूबर की रात महानिशा पूजन और 24 को महाअष्टमी व्रत रखा जाएगा. उदया तिथि अनुसार 26 अक्टूबर को सुबह नवरात्र व्रत का पारण होगा, वहीं महाअष्टमी व्रत का पारण 25 को सूर्योदय के बाद होगा.

इस दिन करें व्रत
जो व्यक्ति व्रत कर सकते हैं वो 9 दिन का करें और अगर 9 दिन का नहीं करना चाहते हैं तो प्रतिपदा, पंचमी, अष्टमी का करें और अधिक करना चाहें तो प्रतिपदा, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, अष्टमी को व्रत रख सकते हैं. अगर किसी को दिक्कत हो रही है तो सिर्फ प्रतिपदा और अष्टमी का व्रत अवश्य रखें, उतना ही पुण्य मिलेगा.

58 वर्षों बाद बन रहा शुभ योग
इस बार माता का आगमन अश्व पर तो गमन भैंसे पर हो रहा है. इस बार की शारदीय नवरात्रि अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है, क्‍योंक‍ि इस बार पूरे 58 वर्षों के बाद शनि, मकर में और गुरु, धनु राशि में रहेंगे. इससे पहले यह योग वर्ष 1962 में बना था.

लखनऊ: शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक रहने वाले हैं. इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना से सुख-समृद्धि की इच्छाएं पूरी होती हैं. नवरात्र में देवी के नौ दिन के व्रत का बड़ा महत्व है. इन नौ दिनों में हर किसी को कुछ खास नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए. आइए जानते हैं... नवरात्र के समय में कौन से काम करने से बचना चाहिए.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

इस बार नौ दिन की होगी नवरात्र
नवरात्रि की शुरुआत 17 अक्टूबर यानी आज से शुरू हो गई है. ऐसे में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाएगी. आमतौर पर देखा गया है कि कभी ये सात, तो कभी आठ दिन में समाप्त हो जाती है, लेकिन इस बार नवरात्रि पूरे नौ दिनों की होगी, पूरे नौ दिन मां के नौ स्वरूप मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री का पूजन किया जाएगा.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्र के पहले दिन यानी 17 अक्टूबर के कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 13 मिनट तक का था. इसके बाद अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 29 मिनट तक था.

हवन, विसर्जन और व्रत पारण
25 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 14 मिनट तक नवमी है. ऐसे में इससे पूर्व नवमी का हवन आदि कर लेना होगा. इसके बाद 11 बजकर 15 मिनट पर दशमी तिथि आ जाएगी तथा विजय दशमी के अनुष्ठान किए जाएंगे. इससे पूर्व 23-24 अक्टूबर की रात महानिशा पूजन और 24 को महाअष्टमी व्रत रखा जाएगा. उदया तिथि अनुसार 26 अक्टूबर को सुबह नवरात्र व्रत का पारण होगा, वहीं महाअष्टमी व्रत का पारण 25 को सूर्योदय के बाद होगा.

इस दिन करें व्रत
जो व्यक्ति व्रत कर सकते हैं वो 9 दिन का करें और अगर 9 दिन का नहीं करना चाहते हैं तो प्रतिपदा, पंचमी, अष्टमी का करें और अधिक करना चाहें तो प्रतिपदा, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, अष्टमी को व्रत रख सकते हैं. अगर किसी को दिक्कत हो रही है तो सिर्फ प्रतिपदा और अष्टमी का व्रत अवश्य रखें, उतना ही पुण्य मिलेगा.

58 वर्षों बाद बन रहा शुभ योग
इस बार माता का आगमन अश्व पर तो गमन भैंसे पर हो रहा है. इस बार की शारदीय नवरात्रि अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है, क्‍योंक‍ि इस बार पूरे 58 वर्षों के बाद शनि, मकर में और गुरु, धनु राशि में रहेंगे. इससे पहले यह योग वर्ष 1962 में बना था.

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