लखनऊ : नेपाल से अयोध्या लाई गई शालिग्राम शिलाएं आज पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई हैं. हिंदू धर्म में भगवान शालिग्राम की पूजा का एक विशेष महत्व है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, शालिग्राम भगवान विष्णु के विग्रह रूप हैं. वह काले रंग के गोल चिकने पत्थर के रूप में होते हैं. हिंदू धर्म को मानने वाले ज्यादातर लोग पूजा के स्थान पर शालिग्राम स्थापित करते हैं तो वहीं विज्ञान में इसको लेकर एक अपना तर्क है. शिक्षकों का कहना है कि 'शालिग्राम का पत्थर करोड़ों साल पहले धरती पर पाए जाने वाले एनोनिड जीव के जीवाश्म से बनता है.'
करीब 40 हजार करोड़ साल पहले समुद्र में पाया जाता था एनोनिड : लखनऊ विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर विभूति राय ने बताया कि 'शालिग्राम का पत्थर आज से 40 हजार करोड़ साल पहले समुद्र में पाए जाने वाले जीव एनोनिड के जीवाश्म से बनता है.' उन्होंने बताया कि 'यह 24 प्रकार के होते हैं. इनके आकार विभिन्न प्रकार के हैं. जब यह जीव विलुप्त हुआ तो यह पत्थरों के नीचे दब गया और धीरे-धीरे यह जीवाश्म के रूप में संरक्षित हो गया. जब इसे खोजा जाता है या यह कहीं पत्थरों में पाया जाता है तो इसका जीवाश्म पत्थर से अलग करते हैं तो एक बहुत सुंदर सी गोलाकार आकृति दिखाई देती है.'
प्रोफेसर राय ने बताया कि 'शालिग्राम विशेष रूप से नेपाल के काली गंडकी नदी में पाया जाता है. आसपास के पत्थरों से टूटकर नदी में बहकर आ जाता है. इसके अलावा यह तराई क्षेत्रों में भी पाया जाता है. साथ ही यह लद्दाख के कुछ क्षेत्रों में भी पाया जाता है. आमतौर पर मिलने वाला शालिग्राम करीब 1 फुट के आसपास का होता है पर विश्व में कई जगह पर यह दो 2 मीटर के भी पाए गए हैं.'