लखनऊ : शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय शिक्षकों कर्मचारियों के उत्पीड़न का अड्डा बन कर रह गया है. प्रदेश सरकार के विकलांग कल्याण विभाग से आने वाले अधिकारी यहां खेल कर रहे हैं. सहायक कुल सचिव बिन्दू त्रिपाठी ही नहीं वहां के शिक्षक और कर्मचारी भी कुल सचिव के उत्पीडन के शिकार हो रहे हैं. करीब पांच दर्जन से अधिक शिक्षक और कर्मचारी नियुक्ति की जांच की प्रताड़ना के दौर से गुजर रहे हैं. उनका आरोप है कि यह सब कुछ सिर्फ द्वेषवश किया जा रहा है. इनका दोष सिर्फ इतना है कि उनकी नियुक्ति पूर्व कुलपति प्रो. निशीथ राय के कार्यकाल में हुई थी.
हैरानी की बात है कि तत्कालीन राज्यपाल ने भी इन सभी शिक्षकों कर्मचारी की नीतियों को सही ठहराया था. उसके बाद अब इनकी नीतियों पर सवाल उठा कर जांच कराई जा रही है. आरोप यह लग रहे हैं कि इन शिक्षकों कर्मचारियों से वसूली के चक्कर में यह पूरा खेल किया गया है. कुलपति प्रो. राणा कृष्ण पाल सिंह का कहना है कि विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था सामान्य परिषद में जांच के लिए कहा है. इसलिए यह जांच की जा रही है.
बता दें, सहायक कुल सचिव बिन्दू त्रिपाठी ने हाल ही में डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुल सचिव अमित सिंह, परीक्षा नियंत्रक डॉ. अमित कुमार राय, उपकुल सचिव एके सिंह और प्रो. हिमाशु झा के खिलाफ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करने की रिपोर्ट दर्ज कराई है. अभी यह मामला ठंड नहीं हो पाया था कि करीब पांच दर्जन से अधिक शिक्षक और कर्मचारियों के उत्पीड़न का मामला भी सामने आया है. इसमें वर्ष 2014 में नियुक्त हुए 28 शिक्षक और 20 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं. साथ ही 2015 में नियुक्त हुए 18 शिक्षक भी शामिल हैं.
यह है शिक्षकों का पक्ष
इन शिक्षकों का कहना है कि उनकी नियुक्ति कार्यपरिषद ने की है. उसका अनुमोदन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली विवि की सर्वोच्च संस्था सामान्य परिषद ने भी की है. वहीं एक वर्ष बाद कार्यपरिषद ने ही नियुक्ति कन्फर्म कर दी. वर्तमान कुलपति प्रो. राणा कृष्ण पाल सिंह ने शिक्षकों को प्रोमोशन भी दिया है. इसके बावजूद करीब सात वर्ष बाद उनकी नियुक्ति को गलत बताते हुए जांच कराई जा रही है. यहीं हाल कर्मचारियों का है.
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मजे की बात यह है कि, उनकी नियुक्ति तो तत्कालीन कुल सचिव ने ही की है. शिक्षकों का कहना है कि किसकी शिकायत पर जांच हो रही है? और किसने जांच का आदेश दिया? इस बारे में विवि प्रशासन मौन है, क्योंकि इस बारे में जानकारी मांगी गई तो विवि नहीं बता पाया है. साथ ही सामान्य परिषद और कार्य परिषद के मिनटस और एजेंडा मांगा गया. वह भी विवि ने नहीं उपलब्ध कराया. नियुक्ति को लेकर जिन शिक्षकों की जांच विवि प्रशासन कर रहा है. उससे ही विवि प्रशासन पूछा रहा है कि आरक्षण नियमों का पालन हुआ है कि नहीं? चयन समिति का गठन विधिक प्रावधानों के तहत हुआ है कि नहीं?
वहीं शिक्षकों का कहना है कि समिति गलत थी या सही. आरक्षण नियमों का पालन हुआ है या नहीं. यह तो विवि प्रशासन ही बता सकता है. शिक्षक और कर्मचारियों का कहना है कि कुल सचिव उन्हें इसलिए प्रताड़ित कर रहे हैं कि उनकी नियुक्ति प्रो. निशीथ राय के कार्यकाल में हुई है. शिक्षकों का कहना है कि तत्कालीन गर्वनर ने उनकी नियुक्ति प्रक्रिया और चयन समिति के गठन को वैध ठहराया था. इसके बावजूद विवि के कुलपति और कुल सचिव नियुक्ति को गलत बता रहे हैं.