लखनऊ: अल्पसंख्यक कांग्रेस के चेयरमैन शाहनवाज आलम ने प्रदेश सरकार पर न्यायालय की अवमानना का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार एनआरसी विरोधी आंदोलन में शामिल लोगों की संपत्ति की कुर्की के आदेश पर कोर्ट द्वारा स्टे होने के बावजूद लखनऊ प्रशासन लोगों के घरों पर नोटिस चस्पा कर रहा है.
स्टे के बावजूद नहीं मान रही सरकार
चेयरमैन शाहनवाज आलम ने लखनऊ के अब्दुल तौफीक का मामला उठाते हुए कहा कि हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सरोज यादव ने 14 अक्टूबर को ही कुर्की की कार्रवाई के खिलाफ स्टे दे दिया था. अब्दुल तौफीक ने 16 जून को तहसीलदार सदर के कुर्की आदेश की वैधता को चुनौती दी थी, जिस पर दो सदस्यीय बेंच से सरकारी वकील ने अपना पक्ष रखने के लिए चार हफ्ते के मोहलत की गुहार लगाई थी. इसे अदालत ने मान लिया था और अगली तारीख से पहले तक किसी तरह की वसूली पर रोक लगा दी थी. इस मामले में अभी तक कोई तारीख नहीं मिली है.
शाहनवाज आलम ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर आरोप लगाया कि एक तरफ योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनते ही अपने ऊपर लगे आपराधिक मुकदमों को हटा देते हैं. साथ ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर से दुर्गा पूजा की फर्जी रसीद छपवाकर चंदा इकट्ठा करने जैसे लगे मुकदमें को 'जनहित' में हटा दिया जाता है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ अदालत से जवाब दाखिल करने की मोहलत लेकर भी सरकार जवाब तो दाखिल नहीं करती बल्कि उल्टे कोर्ट की अवमानना करते हुए बेगुनाहों से वसूली करने पहुंच जा रही है.
कार्रवाई के खिलाफ अदालत जाएगा विधि विभाग
शाहनवाज आलम ने आरोप लगाया कि ऐसा सिर्फ लखनऊ में ही नहीं हो रहा है बल्कि हर मोर्चे पर विफल और साम्प्रदायिक कुंठा से बुरी तरह पीड़ित मुख्यमंत्री की शह पर पूरे प्रदेश में ऐसा किया जा रहा है, जिसका मकसद संविधान विरोधी एनआरसी के खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाना और इसके बहाने पुलिस को अवैध वसूली का अवसर देना है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का विधि विभाग कोर्ट की अवमानना में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ न्यायोचित कार्रवाई के लिए अदालत जाएगा.