लखनऊ: उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) के बढ़ते मरीजों के साथ ही उत्पन्न हुआ दवाओं का संकट अब दूर हो सकेगा. संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान(sgpgi) के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने इसके इलाज के लिए दवाओं का नया विकल्प तलाश लिया है. अब ब्लैक फंगस के इलाज के लिए एम्फोटेरिसिन-बी के अलावा इसावुकानाजोल(isavuconazole) और पोसकानाजोल(posaconazole) का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. इससे ब्लैक फंगस(black fungus) के इलाज के लिए दवाओं का संकट दूर हो सकेगा.
इसावुकानाजोल और पोसकानाजोल के इस्तेमाल को मिली मंजूरी
ब्लैक फंगस(black fungus) के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के बढ़ते संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(cm yogi) ने संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान से विकल्प तलाश करने को कहा था. इसके बाद यहां निदेशक डॉक्टर आरके धीमान की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी, जो पहले से इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं का विकल्प तलाश रही थी. इस कमेटी की सिफारिश के बाद मुख्यमंत्री ने इसावुकानाजोल और पोसकानाजोल के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है.
एक सप्ताह में इस्तेमाल हुए 688 इंजेक्शन
उत्तर प्रदेश में एंफोटेरेसिन-बी की आपूर्ति बढ़ने के बाद भी मरीजों और तीमारदारों को कोई राहत नहीं मिल पा रही थी. इसकी मांग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1 जून से 6 जून तक केवल राजधानी के रेड क्रॉस सोसायटी से ही 688 इंजेक्शन का वितरण किया गया. इसके बाद भी लगातार मरीज और उनके तीमारदार लौट रहे हैं. रेड क्रॉस सोसायटी के सदस्य जितेन सिंह चौहान बताते हैं कि 29 मई के बाद एंफोटेरेसिन बी की आपूर्ति बढ़ी है.
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12 सदस्यीय टीम बना रही है गाइडलाइन
एसजीपीजीआई की 12 सदस्यों की टीम डॉ अमित केसरी के नेतृत्व में पोस्ट कोविड और ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज से संबंधित गाइडलाइन और प्रोटोकॉल की सलाह राज्य सरकार को दे रही है. मुख्यमंत्री से मंजूरी मिलने के बाद इसावुकानाजोल और पोसकानाजोल दवाओं का इस्तेमाल शुरू हो गया है. अगर यह सफल रहा तो उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा.