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यहां बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष करने को मजबूर ग्रामीण...

मंडला के ग्वारा गांव में लोग पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं. गांव में रहने वाले 4 हजार लोगों को पिछले 5 सालों से हर दिन पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. ईटीवी भारत की टीम गांव पहुंची और लोगों से उनकी समस्या के बारे में जाना, साथ ही अधिकारियों से भी इसे लेकर बात की गई.

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यहां बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष करने को मजबूर ग्रामीण.
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Published : Jan 30, 2020, 11:05 AM IST

मंडला: कहते हैं कि अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा, इस बात में सच्चाई भी नजर आती है, मंडला जिले के ग्वारा गांव पहुंचकर. यहां बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष करना ग्रामीणों की नियति बन चुकी है. कोई साइकिल से, तो कोई मोटरसाइकिल से, कोई बैलगाड़ी से तो किसी ने कर लिया देशी जुगाड़. कोई सर पर या कोई कंधे पर चला जा रहा है, हर कोई जूझ रहा है उस समस्या से जो ग्वारा गांव के लगभग 4 हजार लोगों के लिए अब आदत बन चुकी है. ग्रामीण बीते 5 सालों से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं.

ग्वारा गांव में पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहे लोग.

जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची गांव

ग्वारा गांव में जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो लोगों का दर्द झलक पड़ा. महिला हो या परुष हर कोई चाह रहा था कि हम उनकी समस्या को सुने और उनके हालात से शासन प्रशासन को रूबरू कराएं. सबने बताया कि बीते 5 सालों से किस तरह से वे पानी की कमी से जूझ रहे हैं.

पानी के लिए जद्दोजहद

ग्वारा के ग्रामीण जितनी जद्दोजहद पानी के लिए करते हैं इतनी जद्दोजहद शायद ही कहीं होती हो,इस गांव में पानी की कीमत का वो आलम है कि पाइप लाइन से लीकेज होकर बूंद-बूंद टपकते हुए पानी को भी जैसे-तैसे बर्तन में भरा जाता है. यह काम दिन भर चलता रहता है. वहीं पानी की टंकी से नल खोलने वाले जहां वाल्व लगे हुए हैं, उन चैंबर पर भी रिसाव से जो पानी स्टोर होता है. उसे भी ग्रामीण छोटे डिब्बों के सहारे भर लेते हैं.

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पानी भरने के लिए अपनी बारी का इंतेजार करते लोग.

भाईचारा बिगाड़ रहा पानी

ग्वारा के लोगों ने बताया कि आलम यह है कि पानी की किल्लत के चलते रोज ही आपस में लड़ाई होती रहती है. हर कोई पानी चाहता है, जिसके लिए डिब्बों को कतार में रख कर नंबर लगाया जाता है. ऐसे में कोई ज्यादा तो कोई कम डिब्बे-बर्तन को लेकर झगड़ा होना ही है और पानी के लिए धक्का मुक्की, गाली गलौज से कई बार बात मार-पीट तक पहुंच जाती है. इस तरह से पानी की कमी के चलते गांव का भाईचारा भी बिगड़ रहा है.

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टूटे पाइप से रिसते पानी को भरते लोग.

स्कूल के शौचालय में नहीं पानी, कैसे स्वच्छ रहे भारत

ग्वारा के एक ही कैम्पस में प्राथमिक माध्यमिक शालाएं संचालित हैं. जहां के तीनों स्कूल के छात्र छात्राओं को पानी की कमी से जूझना पड़ता है. वहीं सबसे ज्यादा मुसीबत का सामना करना पड़ता है छात्राओं को, जिनके लिए टॉयलेट तो है लेकिन पानी ही नहीं. वहीं इसके चलते गंदगी होने की बात को यहां के प्रधान पाठक भी स्वीकारते हैं.

जरूरत के चलते हुआ नया देसी जुगाड़

गांव के ही राजकुमार जंघेला ने ने पानी की कमी को देखते हुए दूर से पानी लाने के लिए एक देसी जुगाड़ भी बना डाला, मोटरसाइकिल में दो एंगल लगाए और कुछ लोहे के सरिया को बेल्डिंग करा के उसमें 200 लीटर का ड्रम रखा और ट्रेक्टर की ट्रॉली की शक्ल दे दी, जिसे मोटर साईकिल से अटैच कर पानी की ढुलाई की जा रही है.

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पानी लाने के लिए जुगाड़ की गाड़ी.

क्यों है पानी की समस्या

इस गांव में नल जल योजना तो संचालित है. लेकिन यहां वाटर लेवल बहुत नीचे होने के सात ही ग्राम पंचायत ने कम पावर की मोटर लगाई, वहीं सरपंच ने भी अपनी मनचाही जगहों पर बिना सर्वे के बोर करवा दिया, इसीलिए पानी की यह समस्या बनी है. यहां के उप सरपंच लेखराम जंघेला और निवासी मोहम्मद नफीस खान के अनुसार ग्राम पंचायत की लापरवाही ही पानी की समस्या के लिए जिम्मेदार है.

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रोज बैलगाड़ी से पानी गांव ले जाते हैं लोग.

क्या कहते हैं अधिकारी

गांव में पानी की व्यवस्था को लेकर कार्यपालन मंत्री के एस कुशरे का कहना है कि आवेदन उन्हें भी प्राप्त हुआ है, लेकिन शासन की योजना के तहत इसकी पहल ग्राम पंचायत को ही करनी होगी. 100 % नल के कनेक्शन के आधार पर जनभागीदारी समिति के द्वारा पैसे जुटाए जाएं और सहमति देकर विभाग को दी जाए. जिसका प्रोजेक्ट बना कर शासन को भेजा जाएगा, तभी इनकी समस्या का हल हो पाएगा.

बीते साल भी इस गांव के ग्रामीण पानी की समस्या के चलते खाली बर्तन लेकर बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचे थे, इसके अलावा अनेकों बार जनसुनवाई में आवेदन भी दिए जा चुके हैं, लेकिन पानी की समस्या का हल ना हो पाना. कहीं ना कहीं सिस्टम की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की गंभीरता पर सवाल पैदा करता है.

मंडला: कहते हैं कि अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा, इस बात में सच्चाई भी नजर आती है, मंडला जिले के ग्वारा गांव पहुंचकर. यहां बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष करना ग्रामीणों की नियति बन चुकी है. कोई साइकिल से, तो कोई मोटरसाइकिल से, कोई बैलगाड़ी से तो किसी ने कर लिया देशी जुगाड़. कोई सर पर या कोई कंधे पर चला जा रहा है, हर कोई जूझ रहा है उस समस्या से जो ग्वारा गांव के लगभग 4 हजार लोगों के लिए अब आदत बन चुकी है. ग्रामीण बीते 5 सालों से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं.

ग्वारा गांव में पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहे लोग.

जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची गांव

ग्वारा गांव में जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो लोगों का दर्द झलक पड़ा. महिला हो या परुष हर कोई चाह रहा था कि हम उनकी समस्या को सुने और उनके हालात से शासन प्रशासन को रूबरू कराएं. सबने बताया कि बीते 5 सालों से किस तरह से वे पानी की कमी से जूझ रहे हैं.

पानी के लिए जद्दोजहद

ग्वारा के ग्रामीण जितनी जद्दोजहद पानी के लिए करते हैं इतनी जद्दोजहद शायद ही कहीं होती हो,इस गांव में पानी की कीमत का वो आलम है कि पाइप लाइन से लीकेज होकर बूंद-बूंद टपकते हुए पानी को भी जैसे-तैसे बर्तन में भरा जाता है. यह काम दिन भर चलता रहता है. वहीं पानी की टंकी से नल खोलने वाले जहां वाल्व लगे हुए हैं, उन चैंबर पर भी रिसाव से जो पानी स्टोर होता है. उसे भी ग्रामीण छोटे डिब्बों के सहारे भर लेते हैं.

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पानी भरने के लिए अपनी बारी का इंतेजार करते लोग.

भाईचारा बिगाड़ रहा पानी

ग्वारा के लोगों ने बताया कि आलम यह है कि पानी की किल्लत के चलते रोज ही आपस में लड़ाई होती रहती है. हर कोई पानी चाहता है, जिसके लिए डिब्बों को कतार में रख कर नंबर लगाया जाता है. ऐसे में कोई ज्यादा तो कोई कम डिब्बे-बर्तन को लेकर झगड़ा होना ही है और पानी के लिए धक्का मुक्की, गाली गलौज से कई बार बात मार-पीट तक पहुंच जाती है. इस तरह से पानी की कमी के चलते गांव का भाईचारा भी बिगड़ रहा है.

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टूटे पाइप से रिसते पानी को भरते लोग.

स्कूल के शौचालय में नहीं पानी, कैसे स्वच्छ रहे भारत

ग्वारा के एक ही कैम्पस में प्राथमिक माध्यमिक शालाएं संचालित हैं. जहां के तीनों स्कूल के छात्र छात्राओं को पानी की कमी से जूझना पड़ता है. वहीं सबसे ज्यादा मुसीबत का सामना करना पड़ता है छात्राओं को, जिनके लिए टॉयलेट तो है लेकिन पानी ही नहीं. वहीं इसके चलते गंदगी होने की बात को यहां के प्रधान पाठक भी स्वीकारते हैं.

जरूरत के चलते हुआ नया देसी जुगाड़

गांव के ही राजकुमार जंघेला ने ने पानी की कमी को देखते हुए दूर से पानी लाने के लिए एक देसी जुगाड़ भी बना डाला, मोटरसाइकिल में दो एंगल लगाए और कुछ लोहे के सरिया को बेल्डिंग करा के उसमें 200 लीटर का ड्रम रखा और ट्रेक्टर की ट्रॉली की शक्ल दे दी, जिसे मोटर साईकिल से अटैच कर पानी की ढुलाई की जा रही है.

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पानी लाने के लिए जुगाड़ की गाड़ी.

क्यों है पानी की समस्या

इस गांव में नल जल योजना तो संचालित है. लेकिन यहां वाटर लेवल बहुत नीचे होने के सात ही ग्राम पंचायत ने कम पावर की मोटर लगाई, वहीं सरपंच ने भी अपनी मनचाही जगहों पर बिना सर्वे के बोर करवा दिया, इसीलिए पानी की यह समस्या बनी है. यहां के उप सरपंच लेखराम जंघेला और निवासी मोहम्मद नफीस खान के अनुसार ग्राम पंचायत की लापरवाही ही पानी की समस्या के लिए जिम्मेदार है.

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रोज बैलगाड़ी से पानी गांव ले जाते हैं लोग.

क्या कहते हैं अधिकारी

गांव में पानी की व्यवस्था को लेकर कार्यपालन मंत्री के एस कुशरे का कहना है कि आवेदन उन्हें भी प्राप्त हुआ है, लेकिन शासन की योजना के तहत इसकी पहल ग्राम पंचायत को ही करनी होगी. 100 % नल के कनेक्शन के आधार पर जनभागीदारी समिति के द्वारा पैसे जुटाए जाएं और सहमति देकर विभाग को दी जाए. जिसका प्रोजेक्ट बना कर शासन को भेजा जाएगा, तभी इनकी समस्या का हल हो पाएगा.

बीते साल भी इस गांव के ग्रामीण पानी की समस्या के चलते खाली बर्तन लेकर बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचे थे, इसके अलावा अनेकों बार जनसुनवाई में आवेदन भी दिए जा चुके हैं, लेकिन पानी की समस्या का हल ना हो पाना. कहीं ना कहीं सिस्टम की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की गंभीरता पर सवाल पैदा करता है.

Intro:कहते हैं कि अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा इस बात में सच्चाई भी नज़र आती है मण्डला जिले के ग्वारा गाँव पहुँच कर जहाँ के ग्रामीण बूँद बूँद पानी के लिए वो सब कर रहे जो उनके वश में है,क्योंकि उनकी नियति ही बन चुकी है पानी के लिए जद्दोजहद करना।


Body:कोई साइकिल से तो कोई मोटरसाइकिल से,कोई बैलगाड़ी से तो किसी ने कर लिया देशी जुगाड़ तो कोई सर पर या कांधे पर चला जा रहा है लेकिन हर कोई जूझ रहा है उस समस्या से जो ग्वारा गाँव के लगभग 4 हज़ार लोगों की नियति बन चुकी है,क्या सुबह तो क्या साम,आधी रात हो या दोपहर बस चिंता है तो पानी की क्योंकि ये सभी हर जगह गुहार लगा कर थक चुके लेकिन जिम्मदारों के भी शायद आँख का पानी सूख चुका है इसलिए अब तक इन हज़ारों लोगों की समस्या का कोई हल नहीं निकला,

जब ईटीवी भारत की टीम पहुँची
ग्वारा गाँव मे जब ईटीवी भारत की टीम पहुँची तो लोगों में एक होड़ सी मच गई की कौन पहले अपनी समस्या को बताए,महिला हो या परुष हर कोई चाह रहा था कि हम उनकी समस्या को सुने और उनके हालात से शासन प्रशासन को रूबरू कराएं सबने बताया कि बीते 5 सालों से किस तरह से वे पानी को कमी से जूझ रहे हैं।

बाईट--ग्रामीण

भाईचारा बिगाड़ रहा पानी
ग्वारा के लोगों का कहना है की पानी की किल्लत के चलते रोज ही आपस मे किलकिल होती रहती है हर कोई पानी चाहता है जिसके लिए डिब्बों को कतार में रख कर नंबर लगाया जाता है ऐसे में कोई ज्यादा तो कोई कम डिब्बे बर्तन को लेकर झगड़ा होना ही है और पानी के लिए धक्का मुक्की, गाली गलौज से कई बार बात मार पीट तक पहुँच जाती है इस तरह से पानी की कमी आपस मे पड़ोसियों लड़ा कर गाँव का भाईचारा ही बिगाड़ रहा है।

बाईट--ग्रामीण
स्कूल के भी हैं यही हालत,सौचालय में नहीं पानी,कैसे रहे स्वच्छ भारत
ग्वारा के एक ही केम्पस में प्राथमिक माध्यमिक शालाएँ संचालित हैं जहाँ के तीनों स्कूल के छात्र छात्राओं को पानी की कमी से जूझना पड़ता है वहीं सबसे ज्यादा मुसीबत का सामना करना पड़ता है छात्राओं को जिनके लिए टॉयलेट तो है लेकिन पानी ही नहीं वहीं इसके चलते गंदगी होने की बात को यहाँ के प्रधान पाठक भी स्वीकारते हैं

बाईट नीलम भांडे छात्रा
बाईट आकांक्षा जंघेला छात्रा
बाईट बीएल सिंगौर प्राधान पाठक प्रा शा

पानी के लिए जद्दोजहद
ग्वारा के ग्रामीण जितनी जद्दोजहद पानी के लिए करते हैं इतनी जद्दोजहद शायद ही कहीं होती हो,इस गाँव मे पानी की कीमत का वो आलम है कि पाइप लाइन से लीकेज होकर बूँद बूँद टपकते हुए पानी को भी प्लास्टिक बिछा कर बर्तन में बहाया जाता है और फिर उसे दूसरे बर्तन में भरा जाता है यह काम दिन भर चलता रहता है वहीं पानी की टंकी से नल खोलने वाले जहाँ वाल्व लगे हुए हैं उन चेंबर पर भी रिसाव से जो पानी स्टोर होता है उसे छोटे डिब्बे से उलीच कर ग्रामीण भरते देखे जा सकते हैं ।

जरूरत के चलते हुआ नया देशी जुगाड़

गाँव के ही ग्रामीण है राजकुमार जंघेला जिन्होंने पानी की कमी को देखते हुए दूर से पानी लाने के लिए एक देशी जुगाड़ भी बना डाला,मोटरसाइकिल में दो एंगल लगाए और कुछ लोहे के सरिया को बेल्डिंग करा के उसमें 200 लीटर का ड्रम रखा और ट्रेक्टर की ट्रॉली की शक्ल दे दी जिसे मोटर साईकिल से अटैच कर पानी की ढुलाई की जा रही है वहीं बैलगाड़ी भी यहाँ ड्रम रख कर पानी लाते हुए देखी जा सकती है साथ ही गाँव मे ऐसी कोई मोटरसाइकिल या साइकिल नहीं होगी जिसमें पानी के डिब्बे टांगने के लिए एंगल न लगाए गए हों।

क्यों है पानी की समस्या
इस गाँव मे नल जल योजना तो संचालित है लेकिन वाटर लेबल का कम होना और ग्राम पंचायत द्वारा कम पवार की मोटर लगाने के साथ ही सरपंच की मनचाही जगह पर बिना सर्वे के बोर किया जाना पानी की समस्या के लिए जिम्मेदार है यहाँ के उप सरपंच लेखराम जंघेलाऔर निवासी मोहम्मद नफ़ीस खान के अनुसार ग्राम पंचायत की लापरवाही ही पानी की समस्या के लिए जिम्मेदार है।



Conclusion:बीते साल भी इस गाँव के ग्रामीण पानी की समस्या के चलते खाली बर्तन लेकर जिले के मुखिया के दरबार मे बड़ी संख्या में महिलाओं को लेकर पहुँचे थे इसके अलावा अनेकों बार जनसुनवाई में आवेदन भी दिए जा चुके हैं लेकिन पानी की समस्या का हल न हो पाना कहीं न कहीं सिस्टम की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की गंभीरता पर सवाल पैदा करता है।


बाईट लेख राम जंघेला उप सरपंच
बाईट राजकुमार जंघेला देशी जुगाड़
बाईट बीएल सिंगौर, प्राभारी प्रधान पाठक प्रा शा
बाईट नीलम भांडे छात्रा
बाईट आकांक्षा जंघेला छात्रा
बाईट मो नफीस खान स्थानीय निवासी

इनके अलावा जिनकी भी बाईट है सभी के नाम पूछे गए है सुनकर लिखे जा सकते है
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