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केजीएमयू में दिखा ट्रामा का ड्रामा, सीनियर डॉक्टरों ने रात की ड्यूटी से की तौबा

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित केजीएमयू ट्रामा सेंटर में अव्यवस्थाओं का मुख्य कारण डॉक्टरों की शिफ्ट में लापरवाही है. दरअसल ट्रामा सेंटर में कहने को तो डॉक्टरों की फौज है, लेकिन उनकी निर्धारित शिफ्ट के वजह से ट्रामा सेंटर में आए दिन मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

ट्रामा का ड्रामा
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Published : Aug 16, 2019, 10:38 AM IST

लखनऊ: राजधानी के केजीएमयू ट्रामा सेंटर में अस्पताल प्रशासन ने दो सीएमओ को दिन में ही तैनात कर रखा है. जिससे इलाज के लिये भटक रहे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है. ट्रामा सेंटर में हर रोज करीब ढाई सौ मरीज इलाज के लिये आते हैं. जिनमें रात में करीब 100 से अधिक मरीज मौजूद रहते हैं. इस दौरान कोई सीनियर डॉक्टर न होने की वजह से जूनियर डॉक्टर अपनी मनमानी करते हैं.

केजीएमयू ट्रामा सेंटर में इलाज के लिये भटक रहे मरीज.

क्या पूरा है मामला-

  • मामला राजधानी के केजीएमयू ट्रामा सेंटर का है.
  • जहां रात को सीनियर डॉक्टर न होने की वजह से मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है.
  • डॉक्टर मरीजों को बिना प्राथमिक उपचार दिये ही बलरामपुर सिविल अस्पताल या लोहिया अस्पताल भेज देते हैं.
  • दोनों सीएमओ की ड्यूटी शाम को खत्म हो जाती है और शाम से जूनियर डॉक्टरों का बोलबाला हो जाता है.
  • ट्रॉमा सेंटर में शाम के बाद अव्यवस्थाओं का दौर शुरू हो जाता है.

ये मरीजों के साथ बहुत नाइंसाफी है, जल्द ही इस पर कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा.
-डॉ. एस एन शंखवार, सीएमओ, केजीएमयू

लखनऊ: राजधानी के केजीएमयू ट्रामा सेंटर में अस्पताल प्रशासन ने दो सीएमओ को दिन में ही तैनात कर रखा है. जिससे इलाज के लिये भटक रहे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है. ट्रामा सेंटर में हर रोज करीब ढाई सौ मरीज इलाज के लिये आते हैं. जिनमें रात में करीब 100 से अधिक मरीज मौजूद रहते हैं. इस दौरान कोई सीनियर डॉक्टर न होने की वजह से जूनियर डॉक्टर अपनी मनमानी करते हैं.

केजीएमयू ट्रामा सेंटर में इलाज के लिये भटक रहे मरीज.

क्या पूरा है मामला-

  • मामला राजधानी के केजीएमयू ट्रामा सेंटर का है.
  • जहां रात को सीनियर डॉक्टर न होने की वजह से मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है.
  • डॉक्टर मरीजों को बिना प्राथमिक उपचार दिये ही बलरामपुर सिविल अस्पताल या लोहिया अस्पताल भेज देते हैं.
  • दोनों सीएमओ की ड्यूटी शाम को खत्म हो जाती है और शाम से जूनियर डॉक्टरों का बोलबाला हो जाता है.
  • ट्रॉमा सेंटर में शाम के बाद अव्यवस्थाओं का दौर शुरू हो जाता है.

ये मरीजों के साथ बहुत नाइंसाफी है, जल्द ही इस पर कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा.
-डॉ. एस एन शंखवार, सीएमओ, केजीएमयू

Intro:
राजधानी लखनऊ के ट्रामा सेंटर में अव्यवस्थाओं का मुख्य कारण डॉक्टरों की शिफ्ट एक बड़ी वजह दरअसल ट्रामा सेंटर में डॉक्टरों की फौज है। लेकिन उनके निर्धारित शिफ्ट में कर दिया है। इसके वजह से ट्रामा सेंटर में आए दिन मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।




Body:प्रशासन ने दोनों को दिन में ही तैनात कर रखा है। इसे देखते हुए दोनों सीएमओ की दिन रात में तय करने की तैयारी की जा रही है।केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में हर रोज करीब ढाई सौ मरीज आते हैं। जिनमें रात में रामा की कैजुअल्टी में करीब 100 से अधिक मरीज मौजूद रहते हैं। इस दौरान कोई वरिष्ठ डॉक्टर ना होने की वजह से जूनियर डॉक्टर मनमानी करते हैं। ऐसे में डाक्टर मरीजों को बिना प्राथमिक उपचार दिया ही बलरामपुर, सिविल अस्पताल ,लोहिया अस्पताल ठेल देते हैं। कई कर्मचारी भी मरीजों की शिफ्टिंग निजी अस्पतालों में ले जाने मे लगे रहते है इसके बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। दोनों सीएमओ की ड्यूटी शाम को खत्म हो जाती है। शाम को जूनियर डॉक्टरों का बोलबाला हो जाता है इसके बाद में अव्यवस्थाओं का दौर शुरू हो जाता है। इस पूरे मामले पर जब हमने केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ एसएन शंखवार से बातचीत करी तो उन्होंने हमारे सुझाव को स्वीकार और कहा कि जल्दी ही इस पर कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा।

बाइट- डॉ एस एन शंखवार,सीएमएस,केजीएमयू






Conclusion:एन्ड
शुभम पाण्डेय
7054605976
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