लखनऊ : टीबी रोग एक गम्भीर बीमारी है. जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलता है. प्रदेश में 15 से 20 प्रतिशत लोग इस बीमारी से संक्रमित हैं. जबकि देश में लगभग 40 प्रतिशत आबादी टीबी संक्रमण से ग्रसित है. यह कोई वंशानुगत बीमारी नहीं है. ये बातें बतौर मुख्य अतिथि किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर यूनिट के विभागाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश ने सोमवार को एक सेमिनार में कही. दरअसल, ऐशबाग स्थित नवयुग कन्या महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत राष्ट्रीय क्षयरोग उन्मूलन विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में ही डॉ वेद प्रकाश ने लोगों को इसकी जानकारी दी.
आपको बता दें, टीबी बैक्टीरिया की खोज राबर्ट कोच नामक वैज्ञानिक ने 24 मार्च 1882 में की थी. वहीं, केजीएमयू पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर यूनिट के विभागाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश ने बताया कि टीबी आज एक असाध्य रोग नहीं है, बल्कि ठीक होने वाला रोग है. इसके लिए डाट्स सहायता केन्द्र संचालित किए जाते हैं. उन्होंने बताया कि क्षय रोग आज भी मरीज की मौत के लिए जिम्मेदार बीमारियों में से एक है. 2019 में लगभग 1 करोड़ से ज्यादा लोग टीबी से ग्रसित हुए थे. इनमें से लगभग 14 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई है. 2019 में ड्रग रेजिस्टेंट टीबी से ग्रसित होने वाले मरीजों की संख्या लगभग 4 लाख 65 हजार है. इसमें से भारत में लगभग 1.35 लाख एमडीआर टीवी के रोगी हैं. विश्व के 8 देश लगभग 2 तिहाई टीबी मरीजों के लिए जिम्मेदार हैं. इसमें भारत सबसे ऊपर है.
छात्राओं को समझाते हुए डॉ वेद ने बताया कि विश्व में टीबी इंसियस दो प्रतिशत दर से घट रहा है. जबकि 2025 तक मुक्त भारत का सपना साकार करने के लिए इस दर को 4-5 प्रतिशत ले जाने की आवश्यकता है. इस वर्ष डबल्यूएचओ का वर्ल्ड टीबी की थीम घड़ी (THE CLOCK IS TICKING) चल रही है. इसका मतलब है कि समय हमारे हाथ से निकलता जा रहा है. अब सिर्फ कागजी कार्यवाही का समय नहीं है, बल्कि हम सबको साथ मिलकर जमीनी कार्यवाही करके विश्व से टीबी खत्म करने की जरूरत है.
डॉ वेद ने कहा- जहां एक तरफ डब्ल्यूएचओ ने 2030 तक टीबी का अंत करने की कार्य योजना तैयार की है, वहीं भारत सरकार द्वारा 2025 तक टीबी मुक्त भारत का संकल्प लिया गया है. इस सपने को साकार करने के लिये यह जरूरी है कि जो दिशा निर्देश भारत सरकार द्वारा दिये गये हैं, उनका अनुपालन कढ़ाई से कराया जाए और टीबी का उपचार विशेषज्ञ चिकित्सकों की देख रेख में ही कराना सुनिश्चित किया जाए. भारत सरकार ने टीबी के मरीज के पोषण के लिए हर माह 500 रुपये की सहायता राशि देने का निश्चय किया है.
डॉ देव बताते हैं कि क्षय रोग केवल फेफड़ों को ही नहीं शरीर के किसी भी अंग और किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है. क्षय रोग की वजह से महिलाओं में बांझपन की समस्या आ रही है. जननांग अगों के क्षय रोग का शुरुआत में पकड़ना मुश्किल होता है. उन्होंने बताया कि 90 प्रतिशत जननांगों का क्षय रोग 15 से 40 साल की महिलाओं में पाया जा रहा है. 60 से 80 प्रतिशत बांझपन का कारण क्षय रोग होता है. बीते वर्षों में जननांगों का क्षय रोग 10 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत हो गया है. बच्चों में होने वाला क्षय रोग उनके विकास को भी प्रभावित करता है.
फेफड़े की टीबी के लक्षण-
- दो हफ्ते से ज्यादा तक खांसी का आना.
- बलगम आना.
- बलगम के साथ रक्त आना.
- सीने में दर्द.
- बुखार आना.
- भूख एवं वजन तेजी से कम होना.
महिलाओं में लक्षण:
- समय से महावारी का ना होना.
- जननांग से रक्त मिश्रित श्राव होना.
- सम्भोग के समय दर्द होना इत्यादि.
पुरुषों में लक्षण :
- स्खलन ना होना.
- स्पर्म की संख्या में कमी.
- पिट्यूटरी ग्लैंड की समस्याएं.
महिलाओं में क्षय रोग से ग्रसित होने वाले जननांग :
- फैलोपियन ट्यूब 95 से 100 प्रतिशत तक
- यूटेराइन इन्डोमैट्रिक 50 से 60 प्रतिशत तक
- ओवरी 20 से 30 प्रतिशत तक
- सर्विक्स 5 से 15 प्रतिशत तक
- मायोमेट्रियम 25 प्रतिशत तक
- वेजाइना 1 प्रतिशत तक
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