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इमरजेंसी वाहन को निकालने के लिए जरूरत पड़े तो वीआईपी की गाड़ी भी रोक दें: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के 4 दिवसीय यूपी दौरे का आज दूसरा दिन है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शुक्रवार की सुबह लखनऊ के कैप्टन मनोज पांडे उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल के हीरक जयंती समारोह के समापन पर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने छात्र-छात्राओं को संबोधित किया. साथ ही उन्होंने अपने मूवमेंट के कारण ट्रैफिक पर पड़ने वाले असर और आम जनता की परेशानी को लेकर चिंता व्यक्त की. उन्होंने प्रशासन को नसीहत दी कि एंबुलेंस जैसी इमरजेंसी सेवाओं के वाहनों को न रोका जाए. जरूरत पड़े तो वह वीआईपी का वाहन रोक सकते हैं.

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Published : Aug 27, 2021, 9:29 AM IST

Updated : Aug 28, 2021, 11:43 AM IST

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद.

लखनऊ: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के चार दिवसीय यूपी दौरे का आज दूसरा दिन है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शुक्रवार को कैप्टन मनोज पांडे उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल के हीरक जयंती समारोह के समापन पर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने देश के नागरिकों को अनुशासन की सीख दी. राष्ट्रपति बोले, डॉक्टर संपूर्णानंद जी पहले मुख्यमंत्री हुए हैं जिन्होंने सैनिक स्कूल की स्थापना के बारे में सोचा. उनके इस विचार के पीछे कुछ तो कारण होगा. मुझे एक बात जो सीधी समझ में आती है कि अपनी छोटी सी समझ के अनुसार उन्होंने यह जरूर सोचा होगा कि देश का संचालन करना है शासन और प्रशासन कोई अच्छी दिशा और सफलतापूर्वक उनसे उनका संचालन करना है तो उसके लिए अनुशासन बेहद जरूरी है. यही बात उनके मस्तिष्क में रही होगी कि जब हमारा नागरिक अनुशासित नहीं होगा तब तक देश या प्रदेश के विकास के मार्ग कैसे प्रशस्त होगा. सैनिक स्कूल में न केवल शिक्षित बल्कि अनुशासित नागरिक को की कल्पना तक संपूर्णानंद जी के मस्तिष्क में रही होगी. इसके लिए मैं आज उनकी स्मृति को नमन करता हूं.'

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को लखनऊ में उनके मूवमेंट के कारण ट्रैफिक पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंता जाहिर की है. वह कैप्टन मनोज पांडे उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल के हीरक जयंती समारोह के समापन पर बोल रहे थे. राष्ट्रपति ने कहा, 'राष्ट्रपति होने के साथ-साथ मैं देश का एक संवेदनशील नागरिक भी हूं. कई शहरों में इस तरह की जानकारियां मिलती है कि मेरी यात्रा के दौरान यातायात नियंत्रण के कारण आम जनता को असुविधा होती है. कई बार प्रशासन सुरक्षा दृष्टि से मेरे आने से काफी समय पहले यातायात बंद कर देता है. इस पर विचार करने की जरूरत है. ट्रैफिक को 10-15 मिनट पहले बंद करने की बात समझ में आती है, लेकिन कई बार प्रशासन अपनी जिम्मेदारी को मुस्तैदी से निभाने के उद्देश्य से काफी समय पहले ट्रैफिक बंद कर देता है. इससे आम जनता को परेशानी होती है.'

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मैं इसका विरोध नहीं कर रहा हूं. लेकिन, उनको इतना सर्तक होना चाहिए कि ट्रैफिक को नियंत्रण करने में जितना कम से कम समय लगे उतना आम जनता के लिए ज्यादा बेहतर होगा. दूसरी बात यह है कि इमरजेंसी वाहनों जैसे एंबुलेंस आदि को बिना रुकावट के निकाले जाने का समाधान सूचना चाहिए. यह सिर्फ मेरे लिए ही नहीं बल्कि राज्यपाल और अन्य वीआईपी के मूवमेंट में भी इन बातों को ध्यान रखने की जरूरत है. मैं तो यह भी कहूंगा कि यदि आवश्यकता हो तो हम जैसे लोगों के वाहनों को भी रोक कर एंबुलेंस वगैरह को प्रशासन निकाल सकता है, लेकिन इसके बावजूद केवल प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस पर ही निर्भर नहीं रहा जा सकता. आम नागरिकों को भी ट्रैफिक के नियमों का पालन करके प्रशासन को सहयोग करना होगा. कई बार देखने को मिलता है कि ट्रैफिक रोके जाने पर लोग इधर-उधर से वाहन निकालने का प्रयास करते हैं. ट्रैफिक नियम कहता है कि गाड़ी के पीछे आपकी गाड़ी आ रही है तो आप रुक जाइए. जैसे ही जगह मिलेगी मूवमेंट होगा आपको भी आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. मुझे लगता है हम सब मिलजुलकर इस जिम्मेदारी को निभाएंगे तो कुछ न कुछ बेहतर रास्ता जरूर निकल कर आएगा.

कार्यक्रम में यह भी रहे मौजूद

उत्तर प्रदेश में 1960 में देश के पहले सैनिक स्कूल की नींव लखनऊ में रखी गई थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ संपूर्णानंद की सोच की यह देन है. स्कूल की स्थापना के हीरक जयंती समारोह के समापन पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ देश की प्रथम महिला सविता कोविंद, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा, माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी के साथ उत्तर प्रदेश सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री और अधिकारी मौजूद रहे.

- माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया.

- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शॉल और रुद्राक्ष का पौधा बैठकर राष्ट्रपति का स्वागत किया.

- उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने सविता कोविंद का स्वागत किया. वही माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी ने राज्यपाल का स्वागत किया.

- समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री और सैनिक स्कूल के संस्थापक डॉ संपूर्णानंद के परिवार के सदस्यों के साथ शहीद कैप्टन मनोज पांडे के परिवार जन भी मौजूद रहे.



डाक टिकट के साथ छात्रावास का शिलान्यास

इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्कूल के 60 वर्ष पूरे होने पर डाक विभाग की ओर से जारी किए गए डाक टिकट का लोकार्पण किया. साथ ही डॉक्टर संपूर्णानंद की प्रतिमा का अनावरण करते हुए ऑडिटोरियम का उद्घाटन किया. इस मौके पर स्कूल में दो छात्रावासों की नींव रखी गई. बालकों के लिए 225 क्षमता और 100 क्षमता का छात्रावास बालिकाओं के लिए बनाया जाना है. इसका शिलान्यास राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया.


दोगुना की जा रही क्षमता खुलेंगे, नए सैनिक स्कूल

माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया. उन्होंने बताया कि नारी शक्ति सम्मान में प्रदेश सरकार के प्रयास अद्वितीय है. यह पहला ऐसा सैनिक स्कूल है जिसमें बेटियों को पढ़ने का अवसर मिला. उन्होंने बताया कि इस सैनिक स्कूल की क्षमता को दोगुना तक बढ़ाया जा रहा है. साथ ही गोरखपुर में एक नए सैनिक स्कूल का शिलान्यास मुख्यमंत्री द्वारा किया गया है. उन्होंने विद्यालय के स्वर्णिम इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस विद्यालय ने देश को 5000 से ज्यादा सैनिक और अधिकारी दिए हैं.

उपमुख्यमंत्री बोले, शिक्षा में हो रहे बदलाव

अपने संबोधन में उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में हो रहे बदलाव पर प्रकाश डाला उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है जिसमें नई शिक्षा नीति को प्रभावी रूप से लागू किया गया है. बताया कि योगी सरकार के आने के बाद प्रदेश में नकल माफियाओं पर लगाम लगाई गई. देश की आजादी के बाद पहली बार प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में एनसीईआरटी जैसे आधुनिक सिलेबस को पढ़ाया जा रहा है.

मुख्यमंत्री बोले, शिक्षा का मतलब सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि रक्षा सेनाओं के लिए ही नहीं हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए हमारे पैरामिलिट्री, सुरक्षा बल और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हमें अच्छे और अनुशासित नागरिकों की जरूरत होती है. इसी परिकल्पना को डॉक्टर संपूर्णानंद जी ने 1960 में उत्तर प्रदेश में इस सैनिक स्कूल के माध्यम से साकार किया.

- आज देश के अंदर सैनिक स्कूलों की एक लंबी श्रृंखला है. हमारा सौभाग्य है कि उत्तर प्रदेश ने इस वर्ष अपने पांचवे स्कूल का शिलान्यास गोरखपुर में किया है.

- शिक्षा का मतलब केवल पुस्तकों का किताबी ज्ञान ही नहीं होता बल्कि हमें छात्रों के अंदर अधिक से अधिक सकारात्मकता पैदा कर ने की जरूरत है. शिक्षा ऐसी हो जो हमारे नागरिक को क्रिएटिव बना सके. मुझे लगता है कि सैनिक स्कूल इसका सबसे बड़ा माध्यम है. जिसका अनुसरण करके अन्य संस्थाएं भी आगे बढ़ सकती हैं.

- मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हम लोगों ने इस स्कूल का नाम 2017 में सैनिक स्कूल के पुरातन छात्र कैप्टन मनोज पांडे के नाम पर कर दिया. यह भारत माता के सपूत को हमारी श्रद्धांजलि है.

- यह पहला सैनिक स्कूल है जिसने 2018 में तय किया कि हम बालिकाओं को भी प्रवेश देंगे. ताकि आधी आबादी को भी आगे बढ़ने का पूरा अवसर मिल सके.

-पुरातन छात्रों को साथ में जोड़ कर हम वर्तमान पीढ़ी के लिए कुछ नए आदर्श और कुछ नए मूल्यों और मर्यादाओं की स्थापना कर सकते हैं. जिससे ना केवल अपने भावी जीवन को लोक कल्याण के लिए और राष्ट्र श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार करने में अपना योगदान दे सकेंगे बल्कि पूरे विश्व को एक नई दिशा दे सकेंगे.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि मुझे खुशी है कि सैनिक स्कूल में अनुशासन के वातावरण में छात्र सैनिकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. इस सैनिक स्कूल के छात्र सैनिक आज भारतीय स्थल सेना में उच्च पदों पर विराजमान है. अन्य क्षेत्र में भी स्कूल के छात्र अपना योगदान दे रहे हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस विद्यालय में बेटियों को भी आने का अवसर दिया यह नारी शिक्षा की दिशा में एक अनूठी पहल है.

राष्ट्रपति ने दिया यह संदेश

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सैनिक स्कूल के महत्व को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में गोरखपुर में एक सैनिक स्कूल का शिलान्यास किया है. उनकी तरफ से केंद्र सरकार को उत्तर प्रदेश में 16 सैनिक स्कूलों की स्थापना करने का प्रस्ताव भेजा गया है.

प्रधानमंत्री की ओर से 15 अगस्त के अवसर पर देश के सभी सैनिक स्कूलों में बेटियों के दाखिले की घोषणा की गई. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि उत्तर प्रदेश के सैनिक स्कूल में 3 साल पहले से ही बेटियों के दाखिले की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. अब इस विशाल परिसर से केवल वीर ही नहीं वीरांगनाए भी भारत माता की सेवा के लिए तैयार होंगी.

मुझे यह जानकर भी बेहद खुशी हुई कि सैनिक स्कूलों के छात्रों में देश के लिए सर्वाधिक बलिदान उत्तर प्रदेश के इस सैनिक स्कूल के पुरातन छात्रों ने किया है. सन 1920 में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन के दौरान विद्यार्थियों को ऐसे शिक्षण संस्थानों का बहिष्कार करने के लिए कहा था जो ब्रिटिश हुकूमत से अनुदान लेते थे. गांधीजी के आवाहन पर अनेक विद्यार्थियों ने अपने स्कूल और कॉलेज छोड़ दिए. ऐसे युवाओं की शिक्षा को जारी रखने के लिए गांधी जी ने पूर्व भारतीय समाज के सहयोग से बने शिक्षण संस्थानों की स्थापना की. इसके परिणाम स्वरूप काशी विद्यापीठ की स्थापना हुई. इसका उद्घाटन खुद गांधी जी ने ही किया था. आपको यह जानकर खुशी होगी कि आपके विद्यालय के संस्थापक डॉ संपूर्णानंद उस समय काशी विद्यापीठ के सर्वप्रथम अध्यापकों में से थे और उन्होंने विद्यापीठ के कुलाधिपति की जिम्मेदारी भी संभाली थी.

देश में बेहतर समाज और बेहतर व्यवस्थाओं को स्थापित करने के लिए हम सबको मिल जुलकर जिम्मेदारी को निभाना पड़ेगा. एक बार फिर मैं आप सबको आपके प्रयासों और हीरक जयंती के लिए बधाई देता हूं.

एसजीपीजीआई के दीक्षांत समारोह में 116 को डिग्री, 4 को मिला अवार्ड

एसजीपीजीआई में दीक्षांत को लेकर सुबह से ही उल्लास कायम रहा. जहां वर्षों की मेहनत मेडिकल छात्रों की रंग लाई. इस दौरान 4 डॉक्टर राष्ट्रपति के जरिए अवॉर्ड हासिल किए. जिसमें एक डीएम, एक एमसीएच, एक पीएचडी का टॉपर हैं. चौथे सीनियर फैकल्टी को बेस्ट रिसर्च के लिए सम्मानित किया गया.

शुक्रवार को शाम पांच बजे एसजीपीजीआई का 26वां दीक्षांत समारोह मनाया गया. इस दौरान बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उपस्थित रहें. जहां उन्होंने टॉपर्स को मेडल पहनाया. साथ ही शेष मेधावियों को डीन व अन्य डिग्री दिए गए.

जानकारी देते संवाददाता.

41 वर्ष पहले रखी गयी थी नींव

संस्थान के निदेशक डॉ. आरके धीमान के मुताबिक 41 वर्ष पहले एक सुपर स्पेशलिटी इंस्टीट्यूट स्थापित करने का फैसला किया गया था. 14 दिसंबर 1980 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी ने संजय गांधी अयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) की आधारशिला रखी. 1982 से निर्माण के प्रथम चरण का आरंभ हुआ. वर्ष 1988 से ओपीडी, आईपीडी व शैक्षणिक कार्य प्रारंभ हुए. ऑल इंडिया रैंकिंग में संस्थान टॉप फाइव में स्थान रहा है.


116 मेधावियों को मिली डिग्री

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उपस्थित रहे. जहां संस्थान के 116 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई. इसमें डीएम के 40, एमसीएच 18 , पीडीएएफ 10, एमडी 33, पीएचडी 2, एमएचए 5 व बीएससी नर्सिंग की 8 को डिग्री प्रदान की गई.

शोध के क्षेत्र में सर्वोत्कृष्ट कार्य के लिए संकाय सदस्य व शोधकर्ता को अवॉर्ड मिला. प्रो. एस आर नायक पुरस्कार और प्रोफेसर एस एस अग्रवाल पुरस्कार उत्कृष्ट शोध के लिए प्रदान किए गए. प्रोफेसर एस आर नायक पुरस्कार एंडोक्राइन सर्जरी के प्रोफेसर और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर गौरव अग्रवाल को प्रदान किया गया. वहीं इंडोक्राइनोलॉजी विभाग के डॉ. संगम रजक को प्रोफेसर एस एस अग्रवाल पुरस्कार प्रदान किया गया.


डीएम में डॉ पंक्ति व एमसीएच में डॉ सितांगशु टॉप

इसके अलावा क्लीनिक इम्यूनोलॉजी में डीएम कर रहीं डॉ पंक्ति मेहता को सर्वोत्कृष्ट डीएम विद्यार्थी के तौर पर चुना गया. वहीं यूरोलॉजी में एमसीएच कर रहे डॉ सितांगशु काकोटी को सर्वोत्कृष्ट एमसीएच विद्यार्थी बने. इन्हें प्रोफेसर आरके शर्मा पुरस्कार प्रदान किया गया.

संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन संस्थान की पिछले एक साल की उपलब्धियों पर चर्चा किया. साथ ही भविष्य के प्लान का भी एलान किया. इस दौरान मुख्य सचिव आर के तिवारी भी मौजूद रहे.

इसे भी पढ़ें- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद लखनऊ पहुंचे, सुरक्षा के कड़े इंतजाम

लखनऊ: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के चार दिवसीय यूपी दौरे का आज दूसरा दिन है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शुक्रवार को कैप्टन मनोज पांडे उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल के हीरक जयंती समारोह के समापन पर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने देश के नागरिकों को अनुशासन की सीख दी. राष्ट्रपति बोले, डॉक्टर संपूर्णानंद जी पहले मुख्यमंत्री हुए हैं जिन्होंने सैनिक स्कूल की स्थापना के बारे में सोचा. उनके इस विचार के पीछे कुछ तो कारण होगा. मुझे एक बात जो सीधी समझ में आती है कि अपनी छोटी सी समझ के अनुसार उन्होंने यह जरूर सोचा होगा कि देश का संचालन करना है शासन और प्रशासन कोई अच्छी दिशा और सफलतापूर्वक उनसे उनका संचालन करना है तो उसके लिए अनुशासन बेहद जरूरी है. यही बात उनके मस्तिष्क में रही होगी कि जब हमारा नागरिक अनुशासित नहीं होगा तब तक देश या प्रदेश के विकास के मार्ग कैसे प्रशस्त होगा. सैनिक स्कूल में न केवल शिक्षित बल्कि अनुशासित नागरिक को की कल्पना तक संपूर्णानंद जी के मस्तिष्क में रही होगी. इसके लिए मैं आज उनकी स्मृति को नमन करता हूं.'

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को लखनऊ में उनके मूवमेंट के कारण ट्रैफिक पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंता जाहिर की है. वह कैप्टन मनोज पांडे उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल के हीरक जयंती समारोह के समापन पर बोल रहे थे. राष्ट्रपति ने कहा, 'राष्ट्रपति होने के साथ-साथ मैं देश का एक संवेदनशील नागरिक भी हूं. कई शहरों में इस तरह की जानकारियां मिलती है कि मेरी यात्रा के दौरान यातायात नियंत्रण के कारण आम जनता को असुविधा होती है. कई बार प्रशासन सुरक्षा दृष्टि से मेरे आने से काफी समय पहले यातायात बंद कर देता है. इस पर विचार करने की जरूरत है. ट्रैफिक को 10-15 मिनट पहले बंद करने की बात समझ में आती है, लेकिन कई बार प्रशासन अपनी जिम्मेदारी को मुस्तैदी से निभाने के उद्देश्य से काफी समय पहले ट्रैफिक बंद कर देता है. इससे आम जनता को परेशानी होती है.'

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मैं इसका विरोध नहीं कर रहा हूं. लेकिन, उनको इतना सर्तक होना चाहिए कि ट्रैफिक को नियंत्रण करने में जितना कम से कम समय लगे उतना आम जनता के लिए ज्यादा बेहतर होगा. दूसरी बात यह है कि इमरजेंसी वाहनों जैसे एंबुलेंस आदि को बिना रुकावट के निकाले जाने का समाधान सूचना चाहिए. यह सिर्फ मेरे लिए ही नहीं बल्कि राज्यपाल और अन्य वीआईपी के मूवमेंट में भी इन बातों को ध्यान रखने की जरूरत है. मैं तो यह भी कहूंगा कि यदि आवश्यकता हो तो हम जैसे लोगों के वाहनों को भी रोक कर एंबुलेंस वगैरह को प्रशासन निकाल सकता है, लेकिन इसके बावजूद केवल प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस पर ही निर्भर नहीं रहा जा सकता. आम नागरिकों को भी ट्रैफिक के नियमों का पालन करके प्रशासन को सहयोग करना होगा. कई बार देखने को मिलता है कि ट्रैफिक रोके जाने पर लोग इधर-उधर से वाहन निकालने का प्रयास करते हैं. ट्रैफिक नियम कहता है कि गाड़ी के पीछे आपकी गाड़ी आ रही है तो आप रुक जाइए. जैसे ही जगह मिलेगी मूवमेंट होगा आपको भी आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. मुझे लगता है हम सब मिलजुलकर इस जिम्मेदारी को निभाएंगे तो कुछ न कुछ बेहतर रास्ता जरूर निकल कर आएगा.

कार्यक्रम में यह भी रहे मौजूद

उत्तर प्रदेश में 1960 में देश के पहले सैनिक स्कूल की नींव लखनऊ में रखी गई थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ संपूर्णानंद की सोच की यह देन है. स्कूल की स्थापना के हीरक जयंती समारोह के समापन पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ देश की प्रथम महिला सविता कोविंद, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा, माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी के साथ उत्तर प्रदेश सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री और अधिकारी मौजूद रहे.

- माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया.

- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शॉल और रुद्राक्ष का पौधा बैठकर राष्ट्रपति का स्वागत किया.

- उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने सविता कोविंद का स्वागत किया. वही माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी ने राज्यपाल का स्वागत किया.

- समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री और सैनिक स्कूल के संस्थापक डॉ संपूर्णानंद के परिवार के सदस्यों के साथ शहीद कैप्टन मनोज पांडे के परिवार जन भी मौजूद रहे.



डाक टिकट के साथ छात्रावास का शिलान्यास

इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्कूल के 60 वर्ष पूरे होने पर डाक विभाग की ओर से जारी किए गए डाक टिकट का लोकार्पण किया. साथ ही डॉक्टर संपूर्णानंद की प्रतिमा का अनावरण करते हुए ऑडिटोरियम का उद्घाटन किया. इस मौके पर स्कूल में दो छात्रावासों की नींव रखी गई. बालकों के लिए 225 क्षमता और 100 क्षमता का छात्रावास बालिकाओं के लिए बनाया जाना है. इसका शिलान्यास राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया.


दोगुना की जा रही क्षमता खुलेंगे, नए सैनिक स्कूल

माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया. उन्होंने बताया कि नारी शक्ति सम्मान में प्रदेश सरकार के प्रयास अद्वितीय है. यह पहला ऐसा सैनिक स्कूल है जिसमें बेटियों को पढ़ने का अवसर मिला. उन्होंने बताया कि इस सैनिक स्कूल की क्षमता को दोगुना तक बढ़ाया जा रहा है. साथ ही गोरखपुर में एक नए सैनिक स्कूल का शिलान्यास मुख्यमंत्री द्वारा किया गया है. उन्होंने विद्यालय के स्वर्णिम इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस विद्यालय ने देश को 5000 से ज्यादा सैनिक और अधिकारी दिए हैं.

उपमुख्यमंत्री बोले, शिक्षा में हो रहे बदलाव

अपने संबोधन में उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में हो रहे बदलाव पर प्रकाश डाला उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है जिसमें नई शिक्षा नीति को प्रभावी रूप से लागू किया गया है. बताया कि योगी सरकार के आने के बाद प्रदेश में नकल माफियाओं पर लगाम लगाई गई. देश की आजादी के बाद पहली बार प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में एनसीईआरटी जैसे आधुनिक सिलेबस को पढ़ाया जा रहा है.

मुख्यमंत्री बोले, शिक्षा का मतलब सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि रक्षा सेनाओं के लिए ही नहीं हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए हमारे पैरामिलिट्री, सुरक्षा बल और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हमें अच्छे और अनुशासित नागरिकों की जरूरत होती है. इसी परिकल्पना को डॉक्टर संपूर्णानंद जी ने 1960 में उत्तर प्रदेश में इस सैनिक स्कूल के माध्यम से साकार किया.

- आज देश के अंदर सैनिक स्कूलों की एक लंबी श्रृंखला है. हमारा सौभाग्य है कि उत्तर प्रदेश ने इस वर्ष अपने पांचवे स्कूल का शिलान्यास गोरखपुर में किया है.

- शिक्षा का मतलब केवल पुस्तकों का किताबी ज्ञान ही नहीं होता बल्कि हमें छात्रों के अंदर अधिक से अधिक सकारात्मकता पैदा कर ने की जरूरत है. शिक्षा ऐसी हो जो हमारे नागरिक को क्रिएटिव बना सके. मुझे लगता है कि सैनिक स्कूल इसका सबसे बड़ा माध्यम है. जिसका अनुसरण करके अन्य संस्थाएं भी आगे बढ़ सकती हैं.

- मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हम लोगों ने इस स्कूल का नाम 2017 में सैनिक स्कूल के पुरातन छात्र कैप्टन मनोज पांडे के नाम पर कर दिया. यह भारत माता के सपूत को हमारी श्रद्धांजलि है.

- यह पहला सैनिक स्कूल है जिसने 2018 में तय किया कि हम बालिकाओं को भी प्रवेश देंगे. ताकि आधी आबादी को भी आगे बढ़ने का पूरा अवसर मिल सके.

-पुरातन छात्रों को साथ में जोड़ कर हम वर्तमान पीढ़ी के लिए कुछ नए आदर्श और कुछ नए मूल्यों और मर्यादाओं की स्थापना कर सकते हैं. जिससे ना केवल अपने भावी जीवन को लोक कल्याण के लिए और राष्ट्र श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार करने में अपना योगदान दे सकेंगे बल्कि पूरे विश्व को एक नई दिशा दे सकेंगे.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि मुझे खुशी है कि सैनिक स्कूल में अनुशासन के वातावरण में छात्र सैनिकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. इस सैनिक स्कूल के छात्र सैनिक आज भारतीय स्थल सेना में उच्च पदों पर विराजमान है. अन्य क्षेत्र में भी स्कूल के छात्र अपना योगदान दे रहे हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस विद्यालय में बेटियों को भी आने का अवसर दिया यह नारी शिक्षा की दिशा में एक अनूठी पहल है.

राष्ट्रपति ने दिया यह संदेश

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सैनिक स्कूल के महत्व को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में गोरखपुर में एक सैनिक स्कूल का शिलान्यास किया है. उनकी तरफ से केंद्र सरकार को उत्तर प्रदेश में 16 सैनिक स्कूलों की स्थापना करने का प्रस्ताव भेजा गया है.

प्रधानमंत्री की ओर से 15 अगस्त के अवसर पर देश के सभी सैनिक स्कूलों में बेटियों के दाखिले की घोषणा की गई. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि उत्तर प्रदेश के सैनिक स्कूल में 3 साल पहले से ही बेटियों के दाखिले की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. अब इस विशाल परिसर से केवल वीर ही नहीं वीरांगनाए भी भारत माता की सेवा के लिए तैयार होंगी.

मुझे यह जानकर भी बेहद खुशी हुई कि सैनिक स्कूलों के छात्रों में देश के लिए सर्वाधिक बलिदान उत्तर प्रदेश के इस सैनिक स्कूल के पुरातन छात्रों ने किया है. सन 1920 में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन के दौरान विद्यार्थियों को ऐसे शिक्षण संस्थानों का बहिष्कार करने के लिए कहा था जो ब्रिटिश हुकूमत से अनुदान लेते थे. गांधीजी के आवाहन पर अनेक विद्यार्थियों ने अपने स्कूल और कॉलेज छोड़ दिए. ऐसे युवाओं की शिक्षा को जारी रखने के लिए गांधी जी ने पूर्व भारतीय समाज के सहयोग से बने शिक्षण संस्थानों की स्थापना की. इसके परिणाम स्वरूप काशी विद्यापीठ की स्थापना हुई. इसका उद्घाटन खुद गांधी जी ने ही किया था. आपको यह जानकर खुशी होगी कि आपके विद्यालय के संस्थापक डॉ संपूर्णानंद उस समय काशी विद्यापीठ के सर्वप्रथम अध्यापकों में से थे और उन्होंने विद्यापीठ के कुलाधिपति की जिम्मेदारी भी संभाली थी.

देश में बेहतर समाज और बेहतर व्यवस्थाओं को स्थापित करने के लिए हम सबको मिल जुलकर जिम्मेदारी को निभाना पड़ेगा. एक बार फिर मैं आप सबको आपके प्रयासों और हीरक जयंती के लिए बधाई देता हूं.

एसजीपीजीआई के दीक्षांत समारोह में 116 को डिग्री, 4 को मिला अवार्ड

एसजीपीजीआई में दीक्षांत को लेकर सुबह से ही उल्लास कायम रहा. जहां वर्षों की मेहनत मेडिकल छात्रों की रंग लाई. इस दौरान 4 डॉक्टर राष्ट्रपति के जरिए अवॉर्ड हासिल किए. जिसमें एक डीएम, एक एमसीएच, एक पीएचडी का टॉपर हैं. चौथे सीनियर फैकल्टी को बेस्ट रिसर्च के लिए सम्मानित किया गया.

शुक्रवार को शाम पांच बजे एसजीपीजीआई का 26वां दीक्षांत समारोह मनाया गया. इस दौरान बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उपस्थित रहें. जहां उन्होंने टॉपर्स को मेडल पहनाया. साथ ही शेष मेधावियों को डीन व अन्य डिग्री दिए गए.

जानकारी देते संवाददाता.

41 वर्ष पहले रखी गयी थी नींव

संस्थान के निदेशक डॉ. आरके धीमान के मुताबिक 41 वर्ष पहले एक सुपर स्पेशलिटी इंस्टीट्यूट स्थापित करने का फैसला किया गया था. 14 दिसंबर 1980 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी ने संजय गांधी अयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) की आधारशिला रखी. 1982 से निर्माण के प्रथम चरण का आरंभ हुआ. वर्ष 1988 से ओपीडी, आईपीडी व शैक्षणिक कार्य प्रारंभ हुए. ऑल इंडिया रैंकिंग में संस्थान टॉप फाइव में स्थान रहा है.


116 मेधावियों को मिली डिग्री

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उपस्थित रहे. जहां संस्थान के 116 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई. इसमें डीएम के 40, एमसीएच 18 , पीडीएएफ 10, एमडी 33, पीएचडी 2, एमएचए 5 व बीएससी नर्सिंग की 8 को डिग्री प्रदान की गई.

शोध के क्षेत्र में सर्वोत्कृष्ट कार्य के लिए संकाय सदस्य व शोधकर्ता को अवॉर्ड मिला. प्रो. एस आर नायक पुरस्कार और प्रोफेसर एस एस अग्रवाल पुरस्कार उत्कृष्ट शोध के लिए प्रदान किए गए. प्रोफेसर एस आर नायक पुरस्कार एंडोक्राइन सर्जरी के प्रोफेसर और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर गौरव अग्रवाल को प्रदान किया गया. वहीं इंडोक्राइनोलॉजी विभाग के डॉ. संगम रजक को प्रोफेसर एस एस अग्रवाल पुरस्कार प्रदान किया गया.


डीएम में डॉ पंक्ति व एमसीएच में डॉ सितांगशु टॉप

इसके अलावा क्लीनिक इम्यूनोलॉजी में डीएम कर रहीं डॉ पंक्ति मेहता को सर्वोत्कृष्ट डीएम विद्यार्थी के तौर पर चुना गया. वहीं यूरोलॉजी में एमसीएच कर रहे डॉ सितांगशु काकोटी को सर्वोत्कृष्ट एमसीएच विद्यार्थी बने. इन्हें प्रोफेसर आरके शर्मा पुरस्कार प्रदान किया गया.

संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन संस्थान की पिछले एक साल की उपलब्धियों पर चर्चा किया. साथ ही भविष्य के प्लान का भी एलान किया. इस दौरान मुख्य सचिव आर के तिवारी भी मौजूद रहे.

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Last Updated : Aug 28, 2021, 11:43 AM IST
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