लखनऊः कोविड-19 के संक्रमण के प्रसार और बचाव के लिए मास्क लगाने के निर्देश यूपी सरकार ने दिए हैं. वहीं मास्क के डिस्पोजल पर लोगों ने ज्यादा बात नहीं की और न ही इसके डिस्पोजल की कुछ खास व्यवस्था ही की. विश्व पर्यावरण दिवस पर ईटीवी भारत ने कुछ वैज्ञानिकों से बात की और जानने की कोशिश की कि फेस मास्क का सही ढंग से डिस्पोज न होना, पर्यावरण के लिए कैसे नुकसानदायक हो सकता है.
नदी एवं पर्यावरण विशेषज्ञ और वैज्ञानिक डॉ. वेंकटेश दत्ता कहते हैं कि कोविड-19 के संक्रमण के बचाव में हम सभी ने मास्क पहनना शुरू तो कर दिया था, लेकिन इसके डिस्पोजल के बारे में ज्यादा बातचीत नहीं हुई है. यही वजह है कि लोगों में जानकारी का अभाव है और मास्क का सही ढंग से डिस्पोज नहीं हो रहा है. डॉ. वेंकटेश बताते हैं हर घर में लगभग 5 से 6 मास्क मौजूद होते हैं, लेकिन डब्ल्यूएचओ और मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ की मास्क को डिस्पोज करने की गाइडलाइंस को हम ठीक ढंग से फॉलो नहीं कर पा रहे हैं.
डॉ. वेंकटेश बताते हैं कि घरों में अगर हम मास्क को फूड वेस्ट के साथ फेंक देते हैं और यदि गलती से उसे गाय या कोई अन्य जानवर खा जाता है या उसके संपर्क में आता है तो वायरल स्ट्रेन जानवरों में जा सकते हैं. इसके बाद हमारे लिए किसी भी वायरस से पार पाना बहुत मुश्किल होगा. इस लिहाज से नॉनबायोडिग्रेडेबल कूड़े के साथ ही मास्क को लो डेंसिटी पॉलीबैग में बंद कर डिस्पोज करना चाहिए.
कपड़े से बने मास्क का करें प्रयोग
- मास्क को सड़कों, नाली या खुले हुए कुड़े में न फेंके.
- खुले में फेंकने की वजह से नालियों से होकर जलीय जीवों के संपर्क में आ सकता है.
- कपड़े के मास्को धुल कर धूप में सुखाना चाहिए.
- मास्क को लेकर छोटी से छोटी बात पर गौर कर जरूरी है.
इसे भी पढ़ें- लखनऊ: अनलॉक-1 में पर्यावरण की सेहत बिगड़ी तो आप भी नहीं रहेंगे फिट!
मास्क की टॉक्सिसिटी बारे में सीएसआईआर की प्रयोगशाला भारतीय विश्व विज्ञान अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आलोक धवन कहते हैं कि फेस मास्क के बारे में लोग बहुत ही कैजुअल नजर आ रहे हैं. सरकार की अपील है कि लोग कपड़े का मास्क इस्तेमाल करें, लेकिन अब भी लोग बड़ी संख्या में सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं. चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों में सर्जिकल मास्क के डिस्पोजल के लिए अलग से इंतजाम किए जाते हैं और बॉयो मेडिकल वेस्ट के तहत उस मास्क का डिस्पोजल किया जाता है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह हमारी मिट्टी और पानी में काफी नुकसान पहुंचा सकता है.
सर्जिकल फेस मास्क के नुकसान
- सर्जिकल फेस मास्क में नॉन वूवन फैब्रिक, प्लास्टिक, लोहा और स्टील की धातु का प्रयोग होता.
- नॉन बायोडिग्रेडेबल कैटेगरी के मास्क वर्षों तक पानी और मिट्टी में वैसे ही बने रहकर नुकसान पहुंचाते हैं.
- सर्जिकल मास्क को 4 चार घंटे से ज्यादा नहीं लगाना चाहिए.