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लखनऊ में 15 अक्टूबर से स्कूल खोलने की तैयारी शुरू, यह होगा प्लान

करीब सात महीने से बंद चल रहे स्कूलों को दोबारा खोले जाने के संबंध में लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बैठक की. इस दौरान उन्होंने बच्चों की जांच को लेकर प्लान के बारे में चर्चा भी की.

स्कूल खोलने को लेकर हुई बैठक.
स्कूल खोलने को लेकर हुई बैठक.
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Published : Oct 8, 2020, 10:00 AM IST

लखनऊ: कोरोना महामारी के चलते करीब 7 महीने से बंद स्कूलों को 15 अक्टूबर से खोलने को लेकर डीएम ने विद्यालय प्रबंधकों, प्रतिनिधियों एवं अभिभावक संघ के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक के दौरान विद्यालय को खोले जाने में कोविड-19 प्रोटोकॉल का विशेष ध्यान रखने की हिदायत दी गई. वहीं अभिभावक संघ ने स्कूल खोले जाने पर विरोध जताया.

राजधानी में 15 अक्टूबर के बाद स्कूलों को खोलने की तैयारी प्रशासन की ओर से शुरू हो गई है. डीएम अभिषेक प्रकाश ने कलक्ट्रेट स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में विद्यालय प्रबंधकों के साथ बैठक की. इसमें डीएम ने कहा कि चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोले जाएंगे. सबसे पहले 10वीं और 12वीं के छात्र-छात्राओं को बुलाया जाएगा. क्योंकि उनकी बोर्ड परीक्षाओं में अब कुछ ही महीने बचे हैं. दूसरे चरण में कक्षा 9वीं और 11वीं के बच्चों को बुलाया जाएगा. इसके बाद फीडबैक आने पर तृतीय चरण में छोटे बच्चों के विद्यालय खोले जाने पर निर्णय लिया जाएगा.

विद्यालय में बनाया जाएगा मेडिकल रूम

डीएम ने बताया कि शासनादेश के अनुसार ही अभिभावकों के लिखित सहमति से ही स्कूल खोले जाएं. हालांकि ऑनलाइन क्लासेज शुरु रहेगी. प्रत्येक विद्यालय में एक मेडिकल रूम भी बनाया जाएगा, जिसमें दो बेड, चिकित्सा सुविधा के साथ स्टाफ नर्स उपस्थित रहेंगे. उन्होंने कहा कि स्कूल के गेट पर बच्चों की थर्मल स्कैनिंग की जाएगी. इसके बाद क्लास के अंदर उनका पल्स ऑक्सीमीटर से जांच की जाएगी.

तीन-तीन घंटे दो शिफ्टों में चलेंगी क्लासेज

उन्होंने कहा कि विद्यालय का समय दो शिफ्टों में तीन-तीन घंटे का रहेगा. इस दौरान बच्चे लंच नहीं ला सकते हैं. विद्यालय खुलने से पहले और बंद होने पर क्लास रूम और खेल के मैदान को पूरी तरह से सैनिटाइज कराया जाएगा. इसके अलावा कमरों की खिड़कियां और दरवाजे खुले रखे जाएंगें. साथ ही जो बच्चे विद्यालय के वाहन से आते-जाते हैं. उन वाहनों में क्षमता से आधे बच्चे ही बैठाए जाएंगे. बल्कि विद्यालय की जिम्मेदार व्यक्ति को ड्राइवर के साथ बच्चों को लाने व ले जाने के लिए भेजा जाएगा.

अभिभावक संघ ने जताई आपत्ति

वहीं मीटिंग के दौरान अभिभावक संघ ने अभिभावकों की लिखित अनुमति के बाद ही स्कूल आने की शर्त पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि अगर कोई अनहोनी हो जाती है तो इसकी जिम्मेदारी सरकार या स्कूल प्रबंधन को लेनी होगी. कोई भी अभिभावक लिखित अनुमति नहीं देगा.

लखनऊ: कोरोना महामारी के चलते करीब 7 महीने से बंद स्कूलों को 15 अक्टूबर से खोलने को लेकर डीएम ने विद्यालय प्रबंधकों, प्रतिनिधियों एवं अभिभावक संघ के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक के दौरान विद्यालय को खोले जाने में कोविड-19 प्रोटोकॉल का विशेष ध्यान रखने की हिदायत दी गई. वहीं अभिभावक संघ ने स्कूल खोले जाने पर विरोध जताया.

राजधानी में 15 अक्टूबर के बाद स्कूलों को खोलने की तैयारी प्रशासन की ओर से शुरू हो गई है. डीएम अभिषेक प्रकाश ने कलक्ट्रेट स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में विद्यालय प्रबंधकों के साथ बैठक की. इसमें डीएम ने कहा कि चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोले जाएंगे. सबसे पहले 10वीं और 12वीं के छात्र-छात्राओं को बुलाया जाएगा. क्योंकि उनकी बोर्ड परीक्षाओं में अब कुछ ही महीने बचे हैं. दूसरे चरण में कक्षा 9वीं और 11वीं के बच्चों को बुलाया जाएगा. इसके बाद फीडबैक आने पर तृतीय चरण में छोटे बच्चों के विद्यालय खोले जाने पर निर्णय लिया जाएगा.

विद्यालय में बनाया जाएगा मेडिकल रूम

डीएम ने बताया कि शासनादेश के अनुसार ही अभिभावकों के लिखित सहमति से ही स्कूल खोले जाएं. हालांकि ऑनलाइन क्लासेज शुरु रहेगी. प्रत्येक विद्यालय में एक मेडिकल रूम भी बनाया जाएगा, जिसमें दो बेड, चिकित्सा सुविधा के साथ स्टाफ नर्स उपस्थित रहेंगे. उन्होंने कहा कि स्कूल के गेट पर बच्चों की थर्मल स्कैनिंग की जाएगी. इसके बाद क्लास के अंदर उनका पल्स ऑक्सीमीटर से जांच की जाएगी.

तीन-तीन घंटे दो शिफ्टों में चलेंगी क्लासेज

उन्होंने कहा कि विद्यालय का समय दो शिफ्टों में तीन-तीन घंटे का रहेगा. इस दौरान बच्चे लंच नहीं ला सकते हैं. विद्यालय खुलने से पहले और बंद होने पर क्लास रूम और खेल के मैदान को पूरी तरह से सैनिटाइज कराया जाएगा. इसके अलावा कमरों की खिड़कियां और दरवाजे खुले रखे जाएंगें. साथ ही जो बच्चे विद्यालय के वाहन से आते-जाते हैं. उन वाहनों में क्षमता से आधे बच्चे ही बैठाए जाएंगे. बल्कि विद्यालय की जिम्मेदार व्यक्ति को ड्राइवर के साथ बच्चों को लाने व ले जाने के लिए भेजा जाएगा.

अभिभावक संघ ने जताई आपत्ति

वहीं मीटिंग के दौरान अभिभावक संघ ने अभिभावकों की लिखित अनुमति के बाद ही स्कूल आने की शर्त पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि अगर कोई अनहोनी हो जाती है तो इसकी जिम्मेदारी सरकार या स्कूल प्रबंधन को लेनी होगी. कोई भी अभिभावक लिखित अनुमति नहीं देगा.

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