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जेब से खर्च कर सुधारी स्कूलों की सेहत, अब कर रहे ग्रांट का इंतजार - लेखाकार अनुराग राजपूत

राजधानी के 200 विद्यालय कंपोजिट ग्रांट के इंतजार (Schools waiting for composite grant in Lucknow) कर रहे हैं. शिक्ष सत्र शुरू हुए 6 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक कम्पोजिट ग्रांट नहीं आई.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 24, 2023, 9:48 AM IST

लखनऊ: परिषदीय विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं को लेकर मिलने वाली कंपोजिट ग्रांट के इंतजार (Schools waiting for composite grant in Lucknow) में राजधानी के 200 विद्यालय कतार में हैं. स्थिति यह है कि कंपाजिट ग्रांट की आस में शिक्षकों ने चाक, स्टेशनरी समेत रंगाई-पुताई व मरम्मत का कार्य अपनी जेब से करा चुके हैं, पर सत्र के 6 माह बीतने होने के बावजूद अभी तक उन्हें ग्रांट नसीब नहीं हुई है. जबकि कंपोजिट ग्रांट के तहत प्रति विद्यालय 12 हजार से 1 लाख रुपये तक दिये जाने की व्यवस्था है. ऐसे में शिक्षकों को विद्यालय का खर्च चलाने के अपने पास से पैसे लगाने पड़ रहे है.

कंपोजिट ग्रांट के इंतजार में 200 विद्यालय: कंपोजिट ग्रांट का इंतजार कर रही प्राथमिक विद्यालय धनुवासाड, मोहनलालगंज में यहां के शिक्षकों ने पिछले सत्र में फरवरी में मरम्मत समेत अन्य काम करवाए थे. लेकिन बैंक उनका पेमेंट समय पर नहीं कर सका. जिसके चलते कम्पोजिट ग्रांट का पैसा लैप्स हो गया. कुछ समय इंतजार किया लेकिन इस सत्र का भी पैसा नहीं मिला. जिसके बाद काम के 17,449 रुपये शिक्षको को अपनी जेब से देने पड़े. इसी तरह बेसिक विद्यालय कन्या बिजनौर, सरोजनीनगर में पिछले सत्र विद्यालय में 300 से ज्यादा छात्र थे.

ग्रांट के रूप में मिले केवल 25 हजार रुपये: इस हिसाब से 75 हजार रुपये ग्रांट आनी थी. विद्यालय में काम हो चल रहा था लेकिन, जब ग्रांट मिली तो वह सिर्फ 25 हजार रुपये आई. इससे शिक्षको अपनी जेब से तकरीबन 20 हजार रुपये अतिरिक्त देने पड़ गए. यह मामले तो बानगी भर है. जबकि राजधानी में 200 से ज्यादा फाइलें ग्रांट के अभाव में लटकी पड़ी है, जहां अपना पैसा लगाकर बिल तो भर दिया गया लेकिन मार्च से आज तक उन्हें अपना पैसा वापस नहीं मिला है.

कंपोजिट ग्रांट न मिलने से विद्यालयों को परेशानी: विभागीय अधिकारी पहले ही विभिन्न बैंकों में चल रहे एसएमसी खाते का पैसा मांग चुके हैं. इसके चलते शिक्षकों को अब अपने घर के साथ अपनी जेबें ढीली करनी पड़ रही है. कंपोजिट ग्रांट को लेकर मोहनलालगंज के सहायक अध्यापक दिनेश कुमार बताते हैं कि कम्पोजिट ग्रांट का पैसा पहले एमएमसी खाते में आता था. इसमें अभिभावक अध्यक्ष होता था और विद्यालय का प्रधानाध्यापक सचिव होता था, यह 14 सदस्यीय कमिटी होती थी. पिछले वर्ष से इसे बंद कर केंद्र सरकार ने नई व्यवस्था पीएफएमएस सिस्टम लागू कर दिया.

इस शिक्षण सत्र में नहीं मिली ग्रांट: बीते सत्र में फरवरी महीने में यह व्यवस्था लागू होने पर पैसा आया था. उसी सत्र में खर्च करने के चलते सबने काम कराया. बैंकों को तीन दिन में पैसा काम करने वाली एजेंसी के खाते में भेजना था. लेकिन इसमें देरी के चलते तमाम खातों का पैसा लैप्स हो गया और भुगतान नहीं हो पाया. इसके बाद शिक्षकों ने अपने पास से भुगतान किया. इस बावत प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रान्तीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह का कहना है कि कंपोजिट ग्रांट का लैप्स हुआ पैसा न आने से विद्यालय के रख रखाव में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

वहीं बेसिक शिक्षा कार्यालय के एकाउटेंट अनुराग राजपूत (Accountant Anurag Rajput) का कहना है कि 200 से ज्यादा विद्यालयों का पैसा लैप्स होने की वजह से उन्हें भुगतान नहीं हो पाया है. उनकी फाइलें लगी हुई है. जैसे ही पैसा आएगा, उनका भुगतान हो जाएगा.

छात्र संख्या के आधार पर मिलती है ग्रांट:

  • 25 से कम छात्र संख्या पर 12500 रुपये
  • 26 से 100 संख्या पर 25 हजार रुपये
  • 101 से 250 संख्या पर 50 हजार रुपये
  • 251 से 500 संख्या पर 75 हजार रुपये
  • 501 से ज्याद संख्या पर 1 लाख रुपये

लखनऊ बेसिक शिक्षा कार्यालय (Lucknow Basic Education Office) में लेखाकार अनुराग राजपूत ने कहा कि राजधानी लखनऊ की 200 से अधिक विद्यालयों का पैसा लैप्स होने की वजह से उन्हें भुगतान नहीं हो पाया है. उनकी फाइलें पेंडिंग है. जैसे ही पैसा आएगा, उनका भुगतान हो जाएगा. अब पीएफएमएस के माध्यम से ही काम कराए जाएंगे. पैसा कब तक खाते में आएगा, इसकी कोई जानकारी अभी नहीं है.

ये भी पढ़ें- यूपी की मतदाता सूची में युवाओं का नाम जोड़ने के लिए विशेष अभियान

लखनऊ: परिषदीय विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं को लेकर मिलने वाली कंपोजिट ग्रांट के इंतजार (Schools waiting for composite grant in Lucknow) में राजधानी के 200 विद्यालय कतार में हैं. स्थिति यह है कि कंपाजिट ग्रांट की आस में शिक्षकों ने चाक, स्टेशनरी समेत रंगाई-पुताई व मरम्मत का कार्य अपनी जेब से करा चुके हैं, पर सत्र के 6 माह बीतने होने के बावजूद अभी तक उन्हें ग्रांट नसीब नहीं हुई है. जबकि कंपोजिट ग्रांट के तहत प्रति विद्यालय 12 हजार से 1 लाख रुपये तक दिये जाने की व्यवस्था है. ऐसे में शिक्षकों को विद्यालय का खर्च चलाने के अपने पास से पैसे लगाने पड़ रहे है.

कंपोजिट ग्रांट के इंतजार में 200 विद्यालय: कंपोजिट ग्रांट का इंतजार कर रही प्राथमिक विद्यालय धनुवासाड, मोहनलालगंज में यहां के शिक्षकों ने पिछले सत्र में फरवरी में मरम्मत समेत अन्य काम करवाए थे. लेकिन बैंक उनका पेमेंट समय पर नहीं कर सका. जिसके चलते कम्पोजिट ग्रांट का पैसा लैप्स हो गया. कुछ समय इंतजार किया लेकिन इस सत्र का भी पैसा नहीं मिला. जिसके बाद काम के 17,449 रुपये शिक्षको को अपनी जेब से देने पड़े. इसी तरह बेसिक विद्यालय कन्या बिजनौर, सरोजनीनगर में पिछले सत्र विद्यालय में 300 से ज्यादा छात्र थे.

ग्रांट के रूप में मिले केवल 25 हजार रुपये: इस हिसाब से 75 हजार रुपये ग्रांट आनी थी. विद्यालय में काम हो चल रहा था लेकिन, जब ग्रांट मिली तो वह सिर्फ 25 हजार रुपये आई. इससे शिक्षको अपनी जेब से तकरीबन 20 हजार रुपये अतिरिक्त देने पड़ गए. यह मामले तो बानगी भर है. जबकि राजधानी में 200 से ज्यादा फाइलें ग्रांट के अभाव में लटकी पड़ी है, जहां अपना पैसा लगाकर बिल तो भर दिया गया लेकिन मार्च से आज तक उन्हें अपना पैसा वापस नहीं मिला है.

कंपोजिट ग्रांट न मिलने से विद्यालयों को परेशानी: विभागीय अधिकारी पहले ही विभिन्न बैंकों में चल रहे एसएमसी खाते का पैसा मांग चुके हैं. इसके चलते शिक्षकों को अब अपने घर के साथ अपनी जेबें ढीली करनी पड़ रही है. कंपोजिट ग्रांट को लेकर मोहनलालगंज के सहायक अध्यापक दिनेश कुमार बताते हैं कि कम्पोजिट ग्रांट का पैसा पहले एमएमसी खाते में आता था. इसमें अभिभावक अध्यक्ष होता था और विद्यालय का प्रधानाध्यापक सचिव होता था, यह 14 सदस्यीय कमिटी होती थी. पिछले वर्ष से इसे बंद कर केंद्र सरकार ने नई व्यवस्था पीएफएमएस सिस्टम लागू कर दिया.

इस शिक्षण सत्र में नहीं मिली ग्रांट: बीते सत्र में फरवरी महीने में यह व्यवस्था लागू होने पर पैसा आया था. उसी सत्र में खर्च करने के चलते सबने काम कराया. बैंकों को तीन दिन में पैसा काम करने वाली एजेंसी के खाते में भेजना था. लेकिन इसमें देरी के चलते तमाम खातों का पैसा लैप्स हो गया और भुगतान नहीं हो पाया. इसके बाद शिक्षकों ने अपने पास से भुगतान किया. इस बावत प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रान्तीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह का कहना है कि कंपोजिट ग्रांट का लैप्स हुआ पैसा न आने से विद्यालय के रख रखाव में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

वहीं बेसिक शिक्षा कार्यालय के एकाउटेंट अनुराग राजपूत (Accountant Anurag Rajput) का कहना है कि 200 से ज्यादा विद्यालयों का पैसा लैप्स होने की वजह से उन्हें भुगतान नहीं हो पाया है. उनकी फाइलें लगी हुई है. जैसे ही पैसा आएगा, उनका भुगतान हो जाएगा.

छात्र संख्या के आधार पर मिलती है ग्रांट:

  • 25 से कम छात्र संख्या पर 12500 रुपये
  • 26 से 100 संख्या पर 25 हजार रुपये
  • 101 से 250 संख्या पर 50 हजार रुपये
  • 251 से 500 संख्या पर 75 हजार रुपये
  • 501 से ज्याद संख्या पर 1 लाख रुपये

लखनऊ बेसिक शिक्षा कार्यालय (Lucknow Basic Education Office) में लेखाकार अनुराग राजपूत ने कहा कि राजधानी लखनऊ की 200 से अधिक विद्यालयों का पैसा लैप्स होने की वजह से उन्हें भुगतान नहीं हो पाया है. उनकी फाइलें पेंडिंग है. जैसे ही पैसा आएगा, उनका भुगतान हो जाएगा. अब पीएफएमएस के माध्यम से ही काम कराए जाएंगे. पैसा कब तक खाते में आएगा, इसकी कोई जानकारी अभी नहीं है.

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