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यूपी के स्कूलों में छात्रों को बुलाने के मुद्दे पर स्कूल एसोसिएशन आमने-सामने - Un Aided Private School Association

उत्तर प्रदेश के स्कूलों में एक जुलाई से शिक्षकों को बुलाया गया है. लेकिन बच्चों के स्कूलों में आने को लेकर संगठनों के बीच मतभेद बना हुआ है. जहां एक तरफ स्कूल एसोसिएशन प्री प्राइमरी तक के स्कूलों में भी छात्रों को बुलाने की अनुमति की मांग कर रहा है. वहीं अन एडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से फिलहाल स्थितियां सामान्य होने पर ही बच्चों को स्कूल में बुलाने की बात कही गई है.

यूपी के स्कूलों में छात्रों को बुलाने के मुद्दे पर संगठन आमने-सामने
यूपी के स्कूलों में छात्रों को बुलाने के मुद्दे पर संगठन आमने-सामने
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Published : Jul 7, 2021, 10:49 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 1 जुलाई से शिक्षकों को स्कूलों में बुलाने की अनुमति दे दी गई है. छात्रों को कब से स्कूल बुलाया जाए इसको लेकर मतभेद की स्थिति बनी हुई है. लखनऊ के स्कूल एसोसिएशन जहां प्री प्राइमरी तक के स्कूलों भी छात्रों को बुलाने की अनुमति दिए जाने की मांग कर रहे हैं. वहीं, फॉर्मल स्कूलों की एसोसिएशन अन एडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से फिलहाल अभी इंतजार किए जाने और स्थितियां सामान्य होने पर ही बच्चों को स्कूल में बुलाने की बात कही गई है.

यूपी के स्कूलों में छात्रों को बुलाने के मुद्दे पर संगठन आमने-सामने
प्री स्कूल एसोसिएशन का तर्क

लखनऊ प्री स्कूल एसोसिएशन के सचिव तुषार चेतवानी का कहना है कि प्री स्कूल और फॉर्मल स्कूलों की स्थिति में बहुत अंतर है. स्कूलों में बच्चों की संख्या बहुत कम है और सुविधाएं बहुत ज्यादा. वहां कोविड-19 के प्रोटोकॉल का आसानी से पालन किया जा सकता है. 50% बच्चों को बुलाकर कक्षाएं चलाई जा सकती है. उनका दावा है कि अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं. ऐसे में अनुमति दे दी जाए.


वहीं दूसरी ओर अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन अभी स्कूलों में बच्चों को बुलाने के पक्ष में नहीं है. संगठन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेस चल रही हैं. उसमें बच्चों की अच्छी पढ़ाई हो रही है. कोरोना की तीसरी लहर को लेकर आशंका जताई गई है कि यह सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित करेगी. इन हालातों में ऑनलाइन क्लासेज चलाना अभी बेहतर होगा. आगे स्थिति की समीक्षा करके कक्षाओं का संचालन किया जाएगा.


यह है उत्तर प्रदेश की स्थितियां

उत्तर प्रदेश में बीते मार्च माह से ही स्कूल बंद कर दिए गए हैं. बच्चे घरों में बैठकर ऑनलाइन कक्षाएं कर रहे हैं. 1 जुलाई से शिक्षकों को स्कूल में बुलाया गया है. लखनऊ प्रीस्कूल एसोसिएशन का दावा है कि उन्होंने अभिभावकों के बीच एक सर्वे किया है. इस सर्वे में 48% के आसपास अभिभावकों की ओर से बच्चों को स्कूल भेजने में सहमति जताई गई है.

एसोसिएशन की माने तो प्री स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की उम्र बेहद कम है. ऐसे में ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से पढ़ा पाना बेहद मुश्किल हो रहा है. लखनऊ प्रीस्कूल एसोसिएशन का दावा है कि स्क्रीन टाइम बढ़ जाने के कारण बच्चों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 1 जुलाई से शिक्षकों को स्कूलों में बुलाने की अनुमति दे दी गई है. छात्रों को कब से स्कूल बुलाया जाए इसको लेकर मतभेद की स्थिति बनी हुई है. लखनऊ के स्कूल एसोसिएशन जहां प्री प्राइमरी तक के स्कूलों भी छात्रों को बुलाने की अनुमति दिए जाने की मांग कर रहे हैं. वहीं, फॉर्मल स्कूलों की एसोसिएशन अन एडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से फिलहाल अभी इंतजार किए जाने और स्थितियां सामान्य होने पर ही बच्चों को स्कूल में बुलाने की बात कही गई है.

यूपी के स्कूलों में छात्रों को बुलाने के मुद्दे पर संगठन आमने-सामने
प्री स्कूल एसोसिएशन का तर्क

लखनऊ प्री स्कूल एसोसिएशन के सचिव तुषार चेतवानी का कहना है कि प्री स्कूल और फॉर्मल स्कूलों की स्थिति में बहुत अंतर है. स्कूलों में बच्चों की संख्या बहुत कम है और सुविधाएं बहुत ज्यादा. वहां कोविड-19 के प्रोटोकॉल का आसानी से पालन किया जा सकता है. 50% बच्चों को बुलाकर कक्षाएं चलाई जा सकती है. उनका दावा है कि अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं. ऐसे में अनुमति दे दी जाए.


वहीं दूसरी ओर अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन अभी स्कूलों में बच्चों को बुलाने के पक्ष में नहीं है. संगठन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेस चल रही हैं. उसमें बच्चों की अच्छी पढ़ाई हो रही है. कोरोना की तीसरी लहर को लेकर आशंका जताई गई है कि यह सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित करेगी. इन हालातों में ऑनलाइन क्लासेज चलाना अभी बेहतर होगा. आगे स्थिति की समीक्षा करके कक्षाओं का संचालन किया जाएगा.


यह है उत्तर प्रदेश की स्थितियां

उत्तर प्रदेश में बीते मार्च माह से ही स्कूल बंद कर दिए गए हैं. बच्चे घरों में बैठकर ऑनलाइन कक्षाएं कर रहे हैं. 1 जुलाई से शिक्षकों को स्कूल में बुलाया गया है. लखनऊ प्रीस्कूल एसोसिएशन का दावा है कि उन्होंने अभिभावकों के बीच एक सर्वे किया है. इस सर्वे में 48% के आसपास अभिभावकों की ओर से बच्चों को स्कूल भेजने में सहमति जताई गई है.

एसोसिएशन की माने तो प्री स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की उम्र बेहद कम है. ऐसे में ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से पढ़ा पाना बेहद मुश्किल हो रहा है. लखनऊ प्रीस्कूल एसोसिएशन का दावा है कि स्क्रीन टाइम बढ़ जाने के कारण बच्चों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है.

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