लखनऊ: प्रदेश सरकार गरीबों एवं श्रमिकों के बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ावा देने के लिए संत रविदास शिक्षा सहायता योजना संचालित कर रही है. इस योजना के अंतर्गत बीओसी बोर्ड में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बच्चों को कक्षा 10वीं या 12वीं उत्तीर्ण करने पर विद्यालय जाने के लिए साइकिल दे रही है. साथ ही उन्हें मासिक छात्रवृत्ति भी दी जा रही है.
श्रम विभाग के तहत उप्र भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के माध्यम से योजना चलाई जा रही है. प्रदेश भर में अब तक 61,21,346 रुपये की लागत से 1,454 साइकिलों का वितरण किया जा चुका है. वहीं साइकिल वितरण से शैक्षिक सत्र 2019-20 व 2018-19 की कक्षा 10वीं व 12वीं पास श्रमिकों के छात्र-छात्राओं को भी लाभान्वित किया जा रहा है.
कक्षा एक से लेकर उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति
श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बताया कि श्रमिक के बच्चे भी पढ़ लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर व अधिकारी बन सकें. इसके लिए प्रदेश सरकार पूर्ण उत्तरदायित्व के साथ इस योजना के तहत निर्माण श्रमिक के अधिकतम दो संतानों को कक्षा-1 से लेकर उच्चतर शिक्षा में पढ़ाई के लिए मासिक छात्रवृत्ति दी जाती है. उन्होंने बताया कि कक्षा एक से पांच तक के लिए 1800 रुपये वार्षिक, कक्षा छह से 10 तक के लिए 2400 रुपये वार्षिक और कक्षा 11 से 12वीं तक के लिए 3000 रुपये वार्षिक छात्रवृत्ति दी जा रही है. इसी प्रकार आईटीआई, प्रोफेशनल, पाठ्यक्रमों के लिए भी इन बच्चों को छात्रवृत्ति दी जाती है. श्रमिक के बच्चों को उच्चतर शिक्षा में स्नातक में जहां 12 हजार रुपये प्रति वर्ष और स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त करने में 24 हजार रुपये प्रति वर्ष छात्रवृत्ति दी जाती है. इसी तरह मेडिकल की शिक्षा के लिए 8 हजार रुपये मासिक व शोध के लिए 12 हजार रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जा रही है.
बेटियों को किया जा रहा प्रोत्साहित
श्रम मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार मिशन शक्ति के तहत महिलाओं के सम्मान एवं स्वालंबन के लिए कार्य कर रही है. इस उद्देश्य से श्रम विभाग श्रमिक की बेटियों को साइकिल बांट रही है, जिससे वे खुशी-खुशी अपने स्कूल जा सकें और अपने माता-पिता का सपना पूरा कर सकें. संत रविदास शिक्षा सहायता योजना के अंतर्गत आगरा में 245, गोरखपुर में 272, पिपरी में 184, लखनऊ में 172, देवरिया में 188, मिर्जापुर में 184 साइकिलों का वितरण किया गया.