लखनऊ : आठवीं बार विधानसभा चुनाव जीतकर आए विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना ने अपने व्यक्तित्व कौशल से वह कर दिखाया, जो कभी असंभव प्रतीत होता था. 23 मई से शुरू होकर 31 मई तक चलने वाला विधान सभा का बजट सत्र कई मायनों में अनूठा रहा. अठारहवीं विधान सभा के प्रथम सत्र में सबसे अच्छी बात यह रही कि इसमें सदन बाधित नहीं हुआ. कार्यवाही में बड़ी संख्या में सदस्यों ने हिस्सा लिया. राज्यपाल के अभिभाषण को छोड़ दें तो पूरा सत्र शांतिपूर्वक चला. जनकल्याण के तमाम विषयों पर सदस्यों ने चर्चा की. नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष के तरकशों से व्यंग्य बाण भी चले, लेकिन सत्र का समापन हल्के-फुल्के माहौल में हास्य-विनोद के साथ हुआ. विधान सभा अध्यक्ष ने इस सफलता का श्रेय सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों को दिए, किंतु इस सफलता के अलग हकदार विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना ही हैं.
विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बताया कि बजट सत्र में 55 घंटे 57 मिनट तक विधानसभा की कार्रवाई चली. इस दौरान सदस्यों के 439 तारांकित प्रश्न आए, जिनका उत्तर दिया गया. उन्होंने बताया कि इस सत्र में कुल 06 महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए, जिसमें सभी सदस्यों ने विधेयकों के प्रस्तुतीकरण और विधि निर्माण में हिस्सा लिया. 1524 अतारांकित प्रश्न भी आए. उन्होंने नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव समेत सभी का आभार जताया. विधानसभा अध्यक्ष ने यह बताया कि इस सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण एवं बजट पर बोलने वाले सदस्यों की संख्या भी उल्लेखनीय है. बजट पर मुख्यमंत्री एवं संसदीय कार्य मंत्री सहित सत्ता पक्ष के कुल 76 सदस्यों एवं प्रतिपक्ष से 49 सदस्यों यानी कुल 125 सदस्यों ने चर्चा में हिस्सा लिया. वहीं, राज्यपाल के अभिभाषण पर सत्ता पक्ष के कुल 68 सदस्यों एवं प्रतिपक्ष से 50 सदस्यों ने अपने विचार प्रकट किए. बजट भाषण पर सत्ता पक्ष की ओर से कुल 07 घंटे 41 मिनट एवं विपक्ष की ओर से कुल 06 घंटे 07 मिनट चर्चा की गई. 243 सदस्यों ने सदन को संबोधित किया, जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
विधान सभा अध्यक्ष महाना ने बताया कि इस सत्र में ई-विधान जैसा हाईटेक सिस्टम लागू करने वाली यूपी पहली विधानसभा बनी. लगभग सभी सदस्यों ने नई तकनीक का उपयोग किया. विधानसभा में कार्यवाही पहली बार लगभग पेपरलेस रही. अध्यक्ष ने इस पर सदन में एक नई परंपरा भी आरंभ की, जिसमें सत्र के दौरान जिन सदस्यों का जन्मदिन होगा, उन्हें सदन की ओर से बधाई दी जाएगी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को सम्मिलित सदन को संबोधित करने के लिए निवेदन किया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है. अब छह जून को सुबह 11 बजे राष्ट्रपति दोनों सदनों के सम्मिलित सदन को संबोधित करेंगे. इस संबंध में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी कहते हैं कि निश्चित रूप से यही सकारात्मक सोच है. लंबे अर्से के बाद शायद पहली बार ऐसा हुआ है, जब एक भी दिन एक भी मिनट के लिए स्थगित नहीं हुई है विधानसभा. बहुत सारे नए साथियों को बोलने का मौका मिला. मंत्रीगण तैयारी के साथ आए और जो भी विपक्ष का सवाल रहा, उसका उत्तर दिया. विपक्ष भी इससे संतुष्ट रहा. मुख्यमंत्री ने भी एक-एक बिंदु पर जवाब दिया.
वहीं, सपा विधायक नफीस अहमद ने कहा कि यह एक अच्छी बात रही कि इस बार सदन बहुत अच्छी तरह चला. सत्र में सबसे बड़ा योगदान विपक्ष का होता है. नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने हर मुद्दे पर अपना पक्ष रखा और सदन को सुचारु रूप से चलाने में सहयोग भी किया. इसके लिए हम उनको और विधान सभा अध्यक्ष को बधाई देते हैं. इस विषय पर भाजपा विधायक निर्मल वर्मा कहते हैं कि सरकार भी नई है और विधान सभा अध्यक्ष भी नव निर्वाचित हैं. सरकार का मत ही सबका साथ और सबका विकास का है. सदन के भीतर भी इस नारे को चरितार्थ करने का काम पक्ष और विपक्ष ने किया. जिस तरह सौहार्द्र के वातावरण ने पक्ष-विपक्ष ने चर्चा की वह पहले कभी दिखाई नहीं दी है.
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