लखनऊ : अवध अपने गंगा जमुनी तहज़ीब, खुशबूदार पकवान, कारीगरी और कला संस्कृति के लिए हमेशा से ही मशहूर रहा है. मौजूदा दौर में ऐसी कई कलाएं है जो खोती हुई नज़र आ रही है. जिसका सीधा असर कला से जुड़े पारम्परिक घरानों पर पड़ा. कई बार हमारे समाज में कला अभिव्यक्ति से जुड़े लोगों को रुढ़िवादी सोच की नज़र की दृष्टि से देखा जाता है. सनतकदा संस्था की ओर से आयोजित सात दिवसीय कल्चर कार्यक्रम में हाथों से बनी हुई चीजें आपको देखने को मिलेगी. महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल के तीसरे दिन बहुत भारी मात्रा में लोग क्राफ़्ट्स और वीव्स बाज़ार में ख़रीदारी करते दिखे. सनतकदा फेस्टिवल में एंट्री के लिए 40 रुपए शुल्क का टिकट लग रहा है. इसके बाद अंदर आपको तमाम दुकानें दिखाई देंगी. यहां पर आपको देसी ही नहीं बल्कि विदेशी भी लोग मिलेंगे. यहां पर कुल 100 दुकानें भिन्न-भिन्न जगह की लगी हुई हैं.
दूरदराज से आए व्यापारियों ने बातचीत के दौरान कहा कि वह सनतकदा फेस्टिवल में हर साल आते हैं. यहां पर घूमने फिरने के लिए काफी लोग आते हैं. साथ ही हाथों से बने समान लोगों को बेहद पसंद आते हैं. लोग बड़े मन से यहां पर खरीदारी भी करते हैं. सोमवार को मुज़फ़्फ़र अली ने अतुल मिश्रा से उनकी किताब ज़िक्र पर बातचीत हुई. साथ ही नवाब वाहिद अली शाह के योगदान पे रोशनी डाली गई. फ़िल्मी दुनिया में अवध के योगदान पर मुज़फ़्फ़र अली ने कहा की अवध लोगों में जो बात है वह उनके ख़ून में बहता है. प्रसिद्ध होमकुक्ड फ़ूड फेस्टिवल में लोग आनंद उठाते दिखे. लोगों ने नूर ख़ान का बनाया लाल मिर्च का कीमा मात्र 15 मिनट में सोल्ड आउट घोषित कराया. साथ ही पंजाबी थाली, रान मुसल्लम, काले गाजर का हलवा बहुत पसंद किया जा रहा है. इसके अलावा वीव्स बाज़ार में हथकरघा इकट और अफ़ग़ानिस्तान से आयी ज्वेलरी के स्टाल पर बहुत बड़ी संख्या में ख़रीदार दिखे. चबूतरे पर अभिजीत रॉय चौधरी, नवीन मिश्रा और ज़ीशान अब्बास ने सरोद वादन समझाया और बजाया.
महिलाओं ने कहा कि वह लखनऊ से ही ताल्लुक रखती हैं. एक अच्छा फेस्टिवल हमारे लखनऊ में आयोजित हो रहा है. यहां हस्तकला और कारीगर के हाथ का हुनर देखने को मिलता है. हमारे बाजार से महंगे यहां के समान हैं, लेकिन चीज भी काफी बेहतरीन यहां उपलब्ध है. कार्यक्रम की शाम अमृतलाल नागर किस्सागोई तख्त, बारादरी में सांस्कृतिक प्रदर्शन और किस्सागोई को समर्पित थी. पहला प्रदर्शन इल्मास हुसैन खान ने किया जो लखनऊ तबला घराने से संबंध रखते हैं. यह प्रदर्शन शानदार था और तबले पर प्रस्तुत बंदिशों ने दर्शकों को पूरी तरह से मंत्रमुग्ध कर दिया. इसके ही साथ क्राफ़्ट्स और वीवीएस बाज़ार में चरखी नामक स्टाॅल जो पटवा ज्वेलरी और बालों में गूंथे जाने वाले धागों पर युवाओं की खूब भीड़ उमड़ती दिखी. बावर्ची टोला और सलेमपुर हाउस में भी बहुत भीड़ देखी गई.