लखनऊ: समाजवादी पार्टी से नाता तोड़कर संजय सेठ ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का बहुजन समाज पार्टी से हुए गठबंधन के पीछे संजय सेठ की ही भूमिका रही है. सपा-बसपा की यह पुरानी बगावत को दोस्ती में बदलने का श्रेय भी संजय सेठ को ही जाता है. समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान तमाम बड़े प्रोजेक्ट हथियाने वाले संजय सेठ उससे पहले बहुजन समाज पार्टी की सरकार के दौरान भी बसपा की आंख के तारे रहे.
बदली हुई परिस्थितियों में संजय सेठ ने थामा बीजेपी का दामन
- जानकारों के मुताबिक संजय सेठ की मजबूरी ही बीजेपी में शामिल होने का बड़ा कारण रहा है.
- संजय सेठ विशुद्ध रूप से बिल्डर से राजनेता बने.
- उनके तमाम सारे ऐसे प्रोजेक्ट रहे जिनकी वजह से अब उन्हें राजनीतिक संरक्षण होना बेहद जरूरी है.
- 2015 में सीबीआई के ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक की बेनामी संपत्ति मिली थी.
- सीज करने की कार्रवाई इनकम टैक्स द्वारा चलने के साथ ही उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर मामले भी चले.
- केंद्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक भारतीय जनता पार्टी की सरकार होने के कारण संजय सेठ बीजेपी में शामिल हो गये.
- समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में शुमार और अखिलेश यादव के काफी करीबी माने जाते हैं.
- संजय सेठ ने राज्य सभा से इस्तीफा दे दिया.
संजय सेठ भारतीय जनता पार्टी की नीतियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित होकर बीजेपी में शामिल हुए हैं. वह राष्ट्रवाद से भी प्रभावित हुए और अगर कोई पार्टी की नीतियों से प्रभावित होकर आ रहा है राष्ट्रवाद से ओतप्रोत होकर तो बीजेपी में उनका स्वागत है.
-शलभमणि त्रिपाठी, प्रदेश प्रवक्ता भाजपा