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छोटे दलों के साथ गठबंधन कर 'सत्ता की कुर्सी' पर काबिज होना चाहती है समाजवादी पार्टी

चुनाव के पूर्व बड़ी संख्या में छोटे दलों के साथ गठबंधन कर रही समाजवादी पार्टी. सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल की प्रसपा के साथ भी कर सकते हैं गठबंधन. छोटे दलों से गठबंधन के भाजपा के फार्मूले को ही दोहराने की अखिलेश की कोशिश.

छोटे दलों के साथ गठबंधन कर 'सत्ता की कुर्सी' पर काबिज होना चाहती है समाजवादी पार्टी
छोटे दलों के साथ गठबंधन कर 'सत्ता की कुर्सी' पर काबिज होना चाहती है समाजवादी पार्टी
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Published : Nov 16, 2021, 3:58 PM IST

लखनऊ : समाजवादी पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी की राह पर चलती हुई नजर आ रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने तमाम छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन कर लिया था.

इसके चलते सत्ता की कुर्सी पर काबिज हो गई थी. अब 2022 विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी भी इसी रणनीति पर कई छोटे दलों को साथ लेकर अपनी राह तैयार करने में जुटी हुई है.

दरअसल, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़े दलों के बजाए छोटे दलों को साथ लेकर चुनाव मैदान में उतरने की बात कही थी. इसी बात को आगे बढ़ाते हुए सपा ने छोटे दलों के साथ तेजी से गठबंधन करना शुरू कर दिया.

छोटे दलों के साथ गठबंधन कर 'सत्ता की कुर्सी' पर काबिज होना चाहती है समाजवादी पार्टी

इनमें महान दल, जनवादी सोशलिस्ट पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल, भारतीय किसान सेना, लेबर पार्टी, तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियां प्रमुख हैं. कृष्णा पटेल की अगुवाई वाली अपना दल भी समाजवादी पार्टी के साथ बताई जा रही है.

सपा नेताओं का कहना है कि प्रदेश में अन्य छोटे दलों को भी साथ लेने की कोशिश है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का पूर्वांचल के कई जिलों में अच्छा प्रभाव माना जाता है. राजभर बिरादरी के लोग उसके साथ जुड़े हुए हैं. इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो किसानों की नाराजगी का फायदा समाजवादी पार्टी को हो सकता है.

यह भी पढ़ें : नवंबर के अंतिम सप्ताह में बसपा घोषित कर सकती है विधानसभा प्रत्याशियों की पहली लिस्ट !

गौरतलब है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी प्रभाव रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल के साथ सपा का गठबंधन है. ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा-रालोद गठबंधन सपा को काफी लाभ देगा. इसके अलावा महान दल, जनवादी सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय किसान सेना सहित अन्य छोटे दल भी समाजवादी पार्टी के साथ हैं.

इनके साथ होने से समाजवादी पार्टी को कुछ न कुछ फायदा जरूर हो सकता है. खास बात यह है कि समाजवादी पार्टी के साथ प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी जल्द जुड़ने वाले हैं. इसकी औपचारिक घोषणा 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर किए जाने के संकेत सपा नेताओं ने दिए हैं.

वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद कहते हैं कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहले ही कहा कि वह बड़े दलों को साथ लेने के बजाए छोटे दलों को साथ लेकर चुनाव मैदान में उतरेंगे. इसी के अंतर्गत तमाम छोटे दल समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी छोटे दलों को साथ लेकर विधानसभा चुनाव-2022 में मजबूती से चुनाव लड़ेगी और सरकार बनाएगी.

कहा कि जनता समाजवादी पार्टी की सरकार बनाने का फैसला कर चुकी है. समाजवादी पार्टी आने वाले समय में जल्द से जल्द प्रत्याशी उतारेगी और गठबंधन वाले दलों से भी बातचीत करते हुए सीटों का बंटवारा दिसंबर की शुरुआत में ही कर दिया जाएगा. आने वाले समय में शिवपाल सिंह यादव की पार्टी भी समाजवादी पार्टी के साथ आएगी और इसका फायदा भी समाजवादी पार्टी को होगा.

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लखनऊ : समाजवादी पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी की राह पर चलती हुई नजर आ रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने तमाम छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन कर लिया था.

इसके चलते सत्ता की कुर्सी पर काबिज हो गई थी. अब 2022 विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी भी इसी रणनीति पर कई छोटे दलों को साथ लेकर अपनी राह तैयार करने में जुटी हुई है.

दरअसल, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़े दलों के बजाए छोटे दलों को साथ लेकर चुनाव मैदान में उतरने की बात कही थी. इसी बात को आगे बढ़ाते हुए सपा ने छोटे दलों के साथ तेजी से गठबंधन करना शुरू कर दिया.

छोटे दलों के साथ गठबंधन कर 'सत्ता की कुर्सी' पर काबिज होना चाहती है समाजवादी पार्टी

इनमें महान दल, जनवादी सोशलिस्ट पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल, भारतीय किसान सेना, लेबर पार्टी, तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियां प्रमुख हैं. कृष्णा पटेल की अगुवाई वाली अपना दल भी समाजवादी पार्टी के साथ बताई जा रही है.

सपा नेताओं का कहना है कि प्रदेश में अन्य छोटे दलों को भी साथ लेने की कोशिश है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का पूर्वांचल के कई जिलों में अच्छा प्रभाव माना जाता है. राजभर बिरादरी के लोग उसके साथ जुड़े हुए हैं. इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो किसानों की नाराजगी का फायदा समाजवादी पार्टी को हो सकता है.

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गौरतलब है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी प्रभाव रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल के साथ सपा का गठबंधन है. ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा-रालोद गठबंधन सपा को काफी लाभ देगा. इसके अलावा महान दल, जनवादी सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय किसान सेना सहित अन्य छोटे दल भी समाजवादी पार्टी के साथ हैं.

इनके साथ होने से समाजवादी पार्टी को कुछ न कुछ फायदा जरूर हो सकता है. खास बात यह है कि समाजवादी पार्टी के साथ प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी जल्द जुड़ने वाले हैं. इसकी औपचारिक घोषणा 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर किए जाने के संकेत सपा नेताओं ने दिए हैं.

वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद कहते हैं कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहले ही कहा कि वह बड़े दलों को साथ लेने के बजाए छोटे दलों को साथ लेकर चुनाव मैदान में उतरेंगे. इसी के अंतर्गत तमाम छोटे दल समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी छोटे दलों को साथ लेकर विधानसभा चुनाव-2022 में मजबूती से चुनाव लड़ेगी और सरकार बनाएगी.

कहा कि जनता समाजवादी पार्टी की सरकार बनाने का फैसला कर चुकी है. समाजवादी पार्टी आने वाले समय में जल्द से जल्द प्रत्याशी उतारेगी और गठबंधन वाले दलों से भी बातचीत करते हुए सीटों का बंटवारा दिसंबर की शुरुआत में ही कर दिया जाएगा. आने वाले समय में शिवपाल सिंह यादव की पार्टी भी समाजवादी पार्टी के साथ आएगी और इसका फायदा भी समाजवादी पार्टी को होगा.

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