लखनऊ : समाजवादी पार्टी ने निकाय चुनाव के लिए निकायों के जारी आरक्षण को लेकर आपत्तियां दर्ज कराई हैं. सपा नेताओं के एक प्रतिनिधि मंडल ने गुरुवार को नगर निकाय निदेशालय पहुंचकर प्रदेश भर में जारी आरक्षण प्रक्रिया में कई खामियां बताने का काम किया. सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने नगर निकाय चुनाव में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को अनुमन्य आरक्षण से कम आरक्षित सीटें देने पर निदेशक स्थानीय निकाय निदेशालय लखनऊ में आपत्तियां दाखिल की हैं.
उन्होंने बताया है कि 30 मार्च 2023 को जारी आरक्षण सूची में कई खामियां इंगित करते हुए नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत के चुनाव में कम सीटें आरक्षित करने का विवरण दिया है. समाजवादी पार्टी ने नियमावली में हुई अनियमितताओं में सभी नियमानुसार संसोधन की मांग स्थानीय निकाय निदेशालय के नाम भेजी हैं. आपत्तियों की सूची में बताया कि नगर पंचायत अध्यक्ष पद के कुल 544 में जिला बलरामपुर, कानपुर नगर, ललितपुर में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं की गयी हैं.
उन्होंने कहा कि नगर पंचायत अध्यक्ष पद के कुल 544 में इसी तरह जिला अमेठी, अमरोहा, बलरामपुर, बिजनौर, चन्दौली, गाजियाबाद, कन्नौज, कानपुर नगर, ललितपुर, महोबा, मिर्जापुर, रामपुर, श्रावस्ती, वाराणसी में अनुसूचित जाति के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं की गयी है. जिला बलरामपुर, चित्रकूट, इटावा, हापुड, कानपुर नगर, ललितपुर में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं की गयी है. इसी तरह नगर पंचायत अध्यक्ष पद के कुल 544 पदों के सापेक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन कई जिलों में कम आरक्षण मिला. नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद के कुल पद 199 में अनुसूचित जनजाति को एक भी सीट आरक्षित नहीं की गयी. नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद में बस्ती एवं देवीपाटन मंडल में अनुसूचित जाति के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं की गयी है.
उन्होंने कहा कि 'नगर पालिका परिषद अध्यक्ष के कुल पद 199 पदों के सापेक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन कई जिलों में कम आरक्षण मिला. उत्तर प्रदेश में नगर निगम के महापौर पद के लिए कुल 17 पदों के सापेक्ष अनुसूचित जाति के लिए 21 फीसदी अनुमन्य आरक्षण के अनुसार 3.57 सीटें आरक्षित होनी चाहिए, जबकि घोषित आरक्षण में केवल 02 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गयी हैं. अनुमन्य आरक्षण के अनुपात में 1.57 सीटें कम आरक्षित की गयी हैं. अनुसूचित जाति को 11 फीसदी की आरक्षण दिया गया है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में नगर निगम महापौर पद के कुल 17 पदों के सापेक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी अनुमन्य आरक्षण के अनुसार 4.59 सीटें आरक्षित होनी चाहिए, जबकि घोषित आरक्षण में केवल 4 सीटें ही अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गयी हैं. अनुमन्य आरक्षण के अनुपात में 0.59 सीटें कम आरक्षित की गयी हैं. अन्य पिछड़ा वर्ग को 23 फीसदी ही आरक्षण दिया गया है.'
सपा अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि 'उत्तर प्रदेश नगर पंचायत अध्यक्षों के कुल पद 544 के सापेक्ष अनुसूचित जाति के लिए 84 सीटें आरक्षित हैं, जिनमें अनुसूचित जाति की महिलाओं का आरक्षण नियमावली के विपरीत अधिक 61 पद आरक्षित कर 75 फीसदी भागीदारी दी गयी है, जबकि अनुसूचित जाति पुरूष के लिए 23 पद आरक्षित कर मात्र 27 फीसद ही दिया गया है. उत्तर प्रदेश नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद के लिए 199 पदों के सापेक्ष अनुसूचित जाति को 24 सीटें आरक्षित हैं, जिसमें अनुसूचित जाति महिलाओं को आरक्षण नियमावली के विपरीत 16 पद आरक्षित कर 66 फीसदी भागीदारी दी है, जबकि आरक्षण की परिधि में 33 फीसदी होनी चाहिए.'
उन्होंने बताया कि 'उत्तर प्रदेश नगर पंचायत में अध्यक्ष पद के कुल पद 544 के सापेक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग को 147 पद आरक्षित किए गए हैं, जिसके सापेक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के लिए 76 पद आरक्षित कर 51 फीसदी भागीदारी दी है एवं अन्य पिछड़ा वर्ग पुरूष के लिए 71 पद आरक्षित हैं, जोकि 48 फीसदी होता है. उत्तर प्रदेश नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद के लिए 199 पदों के सापेक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग को 53 सीटें आरक्षित की गयी हैं, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग महिलाओं को आरक्षण नियमावली के विपरीत 23 पद आरक्षित कर 56 फीसदी भागीदारी दी गयी, जबकि आरक्षण की परिधि में 33 फीसदी होना चाहिए. प्रतिनिधि मंडल में के.के. श्रीवास्तव, सर्वेश अम्बेडकर, डॉ हरिश्चन्द्र सिंह, राधेश्याम सिंह शामिल रहे और अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं.