लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Samajwadi Party Akhilesh Yadav) ने कहा है कि भाजपा सरकार में यह पता लगाना मुश्किल हो गया है कि सड़कों में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़कें हैं. सड़कों की बदहाली में भी उत्तर प्रदेश अव्वल हो गया है. खुद सरकारी आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और सैकड़ों लोगों की जाने चली जाती हैं. मुख्यमंत्री योगी उत्तर प्रदेश की सत्ता में पिछले साढ़े पांच साल से काबिज हैं, उत्तर प्रदेश में गड्ढे भरने की तारीख पर तारीख दे रहे है पर अब तक तो कुछ हुआ नहीं और न कोई उनकी सुनता है और न कोई उस पर अमल करता है. गड्ढे भरने के लिए कई बार हजारों करोड़ रूपये का बजट तो जारी हुआ पर बंदरबांट में इसकी धनराशि किस गड्ढे में चली गई, निष्पक्ष जांच से ही शायद कभी पता लग सकेगा.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सच तो यह है कि भाजपा सरकार की गड्ढा मुक्त करने की योजना भ्रष्टाचार की योजना मात्र है. भाजपा सरकार में गड्ढा मुक्त सड़कों का हो हल्ला कई बार मचा, नतीजा कुछ नहीं निकला, उल्टे विभागीय मंत्री जी ही बदल गए. फिर मुख्यमंत्री ने इसकी कमान सम्हाली और एक नए मंत्री जी ने भी कई बार घोषणाएं कर गड्ढा मुक्त सड़कें होने की 15 नवम्बर 2022 अंतिम तिथि बताई. लक्ष्य से कोसों दूर सिर्फ और सिर्फ झूठी बयानबाजी से ही भाजपा सरकार काम चलाने का जौहर दिखा रही है.
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार और लूट मची हुई है. पुल और सड़कों के निर्माण में मानकों को ताक पर रखकर काम करने का नतीजा है कि सड़कें बनते ही टूटने लगतीं है. पिछले दिनों पीडब्लूडी मंत्री जी के खुरचते ही कानपुर में 34 करोड़ की लागत से बनी सड़क की लेबल उखड़ गई और मिट्टी निकल आई. ऐसी घटनाएं और भी सामने आई है. वर्ष 2017 में सोनभद्र में 22 सड़कें गड्ढा मुक्त करने के नाम पर 2.25 करोड़ रूपए हड़प लिए गए.
कहा कि राजधानी क्षेत्र की सड़कों के गड्ढे भी भाजपा राज का नायाब तोहफा है और तो और लखनऊ में राजभवन और मुख्यमंत्री आवास के पास ही विक्रमादित्य मार्ग की दशा इतनी खराब है कि वहां कभी न कभी वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो सकते है. उन्होंने कहा कि भाजपा राज में जहां हर स्तर पर निर्माणकार्यों में घोटाला हुआ है वहीं समाजवादी पार्टी की सरकार में बने पुल और एक्सप्रेस-वे अपनी गुणवत्ता की वजह से आज भी उदाहरण बने हुए हैं. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का निर्माण सिर्फ 21 महीने में मानकों के अनुसार हुआ जिस वजह से उस पर वायुसेना के युद्धक और माल वाहक विमान उतारे जा सके.
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