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हादसों की अहम वजह युवाओं का असंशोधनीय व्यवहार: राज्य स्तरीय पुरस्कार विजेता - साक्षी द्विवेदी

राजधानी लखनऊ में परिवहन विभाग की तरफ से आयोजित राज्य स्तरीय भाषण प्रतियोगिता में साक्षी द्विवेदी ने 56 प्रतिभागियों को मात देकर प्रथम पुरस्कार जीत लिया है. साक्षी द्विवेदी को परिवहन विभाग ने 51 हजार रुपये इनाम देकर पुरस्कृत किया है.

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राज्य स्तरीय पुरस्कार विजेता साक्षी द्विवेदी.
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Published : Jan 25, 2020, 9:23 AM IST

लखनऊ: परिवहन विभाग की तरफ से आयोजित राज्य स्तरीय भाषण प्रतियोगिता में साक्षी द्विवेदी ने सभी प्रतिभागियों को हराकर बाजी मार ली है. प्रदेश में पहले स्थान पर आने वाली साक्षी द्विवेदी को 51 हजार रुपये के इनाम से परिवहन विभाग ने पुरस्कृत किया. भाषण प्रतियोगिता में 'सड़क सुरक्षा एक चुनौती' विषय पर 56 प्रतिभागियों को साक्षी ने मात दी. 'ईटीवी भारत' ने राज्य स्तर पर प्रथम पुरस्कार विजेता साक्षी द्विवेदी से बातचीत की.

राज्य स्तरीय पुरस्कार विजेता साक्षी द्विवेदी से बातचीत करते ईटीवी भारत संवाददाता.

विजेता साक्षी द्विवेदी ने कहा कि शब्दों में नहीं बता सकती कि मुझे कैसा लगा. अपने जनपद का नाम रोशन किया. राज्य का नाम रोशन किया. मेरे विद्यालय से मुझे काफी सपोर्ट मिला. उन लोगों की बदौलत मैंने राज्य और जिले का नाम रोशन किया है और इस नोबल कॉज में अपना योगदान दे पाई. यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है.

साक्षी द्विवेदी ने सड़क हादसों के रोक पर कहा कि मेरा मानना है कि सब को सब कुछ पता है. कौन सा कानून है, कैसे पालन करना है. इसका मुख्य कारण है असंशोधनीय व्यवहार. लोग समझने के लिए तैयार ही नहीं है कि हमें यह करना है. असंशोधनीय व्यवहार जब तक लोग नहीं हटाएंगे, तब तक दुर्घटनाओं पर काबू नहीं किया जा सकता, साक्षरता चाहे कितनी ही क्यों न करा लें.

ये भी पढ़ें- लखनऊ: अपने मद से संविदा कर्मचारियों का वेतन देगी लोहिया संस्थान


लोगों को संदेश देते हुए साक्षी द्विवेदी ने कहा कि जब हम आधुनिकीकरण की बात करते हैं तो अवश्य उसका संदर्भ रफ्तार से होता है. परंतु यह रफ्तार हमारे दो पहिया और चार पहिया वाहन पर नहीं होती है. वह मानसिक आधुनिकीकरण की बात होती है. रफ्तार अवश्य रखें, लेकिन इसे सही दिशा निर्देशन दें.

लखनऊ: परिवहन विभाग की तरफ से आयोजित राज्य स्तरीय भाषण प्रतियोगिता में साक्षी द्विवेदी ने सभी प्रतिभागियों को हराकर बाजी मार ली है. प्रदेश में पहले स्थान पर आने वाली साक्षी द्विवेदी को 51 हजार रुपये के इनाम से परिवहन विभाग ने पुरस्कृत किया. भाषण प्रतियोगिता में 'सड़क सुरक्षा एक चुनौती' विषय पर 56 प्रतिभागियों को साक्षी ने मात दी. 'ईटीवी भारत' ने राज्य स्तर पर प्रथम पुरस्कार विजेता साक्षी द्विवेदी से बातचीत की.

राज्य स्तरीय पुरस्कार विजेता साक्षी द्विवेदी से बातचीत करते ईटीवी भारत संवाददाता.

विजेता साक्षी द्विवेदी ने कहा कि शब्दों में नहीं बता सकती कि मुझे कैसा लगा. अपने जनपद का नाम रोशन किया. राज्य का नाम रोशन किया. मेरे विद्यालय से मुझे काफी सपोर्ट मिला. उन लोगों की बदौलत मैंने राज्य और जिले का नाम रोशन किया है और इस नोबल कॉज में अपना योगदान दे पाई. यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है.

साक्षी द्विवेदी ने सड़क हादसों के रोक पर कहा कि मेरा मानना है कि सब को सब कुछ पता है. कौन सा कानून है, कैसे पालन करना है. इसका मुख्य कारण है असंशोधनीय व्यवहार. लोग समझने के लिए तैयार ही नहीं है कि हमें यह करना है. असंशोधनीय व्यवहार जब तक लोग नहीं हटाएंगे, तब तक दुर्घटनाओं पर काबू नहीं किया जा सकता, साक्षरता चाहे कितनी ही क्यों न करा लें.

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लोगों को संदेश देते हुए साक्षी द्विवेदी ने कहा कि जब हम आधुनिकीकरण की बात करते हैं तो अवश्य उसका संदर्भ रफ्तार से होता है. परंतु यह रफ्तार हमारे दो पहिया और चार पहिया वाहन पर नहीं होती है. वह मानसिक आधुनिकीकरण की बात होती है. रफ्तार अवश्य रखें, लेकिन इसे सही दिशा निर्देशन दें.

Intro:सर, दो बार वीडियो आपकी मांग पर भेज चुका हूं सर। इसी स्लग से एफटीपी के माध्यम से। धन्यवाद।

नोट: फीड एफटीपी से भेजी गई है।
slug: up_luc_04_tiktak_first prize winner_s.s.c_7203805


'ईटीवी भारत' से बोलीं राज्य स्तरीय पुरस्कार विजेता: हादसों की अहम वजह युवाओं का असंशोधनीय व्यवहार, होना चाहिए इसमें सुधार


लखनऊ। परिवहन विभाग की तरफ से आयोजित राज्य स्तरीय भाषण प्रतियोगिता में साक्षी द्विवेदी ने सभी प्रतिभागियों को हराकर बाजी मारी। प्रदेश में पहले स्थान पर आने वाली साक्षी द्विवेदी को ₹51000 देकर परिवहन विभाग ने पुरस्कृत किया। भाषण प्रतियोगिता में 'सड़क सुरक्षा एक चुनौती' विषय पर 56 प्रतिभागियों को साक्षी ने मात दी। 'ईटीवी भारत' ने राज्य स्तर पर प्रथम पुरस्कार विजेता साक्षी द्विवेदी से बात की।


Body:यह पुरस्कार पाकर आपको कैसा लगा?

मैं शब्दों में नहीं बता सकती कि मुझे कैसा लगा। अपने जनपद का नाम रोशन किया। राज्य का नाम रोशन किया। मेरे विद्यालय से मुझे काफी सपोर्ट मिला मेरी प्रिंसिपल और मेरी टीचर का। उन लोगों की बदौलत मैंने राज्य और जिले का नाम रोशन किया है और इस नोबल कॉज में अपना योगदान दे पाई। यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।

इस प्रतियोगिता के लिए आपने किस तरह से तैयारी की थी?

मैंने हमेशा से यही माना कि कोई चीज जो हमारे आसपास घटित हो रही है उसके लिए किसी उपकरण बोली या बताई हुई बातों पर निर्भर नहीं होना चाहिए। आस-पास यदि हम देखें तो उससे ही पता चलता है। जो नेचुरलिटी होती है वही दिखाना चाहिए कि आप असलियत में क्या महसूस कर रहे हैं। युवाओं की बात आती है, युवा समाज में बदलाव लाना चाहते हैं ये तभी संभव हो पाएगा जब हम नेचरल दिखें। मैंने इसी को मानते हुए अपनी तैयारी की थी तीनों स्तर पर।


सड़क हादसों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है क्या आपको लगता है इस तरह की भाषण प्रतियोगिताओं से उस पर रोक लग सकती है?

मुझे लगता है जब कोई भाषण देने आता है तो वह चाहे किसी भी बैकग्राउंड से आता हो तो मानसिकता जरूर बदलती है। इंसान जब खाली बैठता है या जब गलत करता है तो कहीं न कहीं एक पॉइंट आता है, एक लेवल होता है जब उसे उस चीज का गिल्ट फील होता है, पश्चाताप होता है। तो भाषण प्रतियोगिता इंपैक्टफुल सिर्फ भाषण देने वाले के लिए ही नहीं होती है उनके लिए भी होती है जो वहां पर मौजूद होते हैं। उन लोगों पर भी असरकारक साबित होती है। भारतीय संस्कृति तो है ही ऐसी कि दूसरे को देखकर वही करने की कोशिश करते हैं। इसी फिलासफी पर अगर हम चले तो भाषण प्रतियोगिता का एक मुख्य रूप होता हो सकता है कि हम अपनी सड़क प्रणाली को विश्व भर में प्रेरणादाई बना लें।


Conclusion:आपको दुर्घटना की सबसे मुख्य वजह क्या लगती है?

मेरा मानना है कि लोगों को पता तो सब होता है डिजिटललाइजेशन का युग है। सब को सब कुछ पता है कौन सा कानून है कैसे पालन करना है। इसका मुख्य कारण है असंशोधनीय व्यवहार। लोग समझने के लिए तैयार ही नहीं है कि हमें यह करना है अपने लिए या दूसरों के लिए। ऐसा लगता है कि इससे उनको हानि या लाभ नहीं होगा बल्कि दूसरों को होगा। आजादी हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है को आजकल लोगों ने नियम उल्लंघन हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है में परिवर्तित कर दिया है। तो असंशोधनीय व्यवहार जब तक लोग नहीं हटाएंगे तब तक दुर्घटनाओं पर काबू नहीं किया जा सकता। साक्षरता चाहे कितनी ही क्यों न करा लें।

क्या संदेश देना चाहेंगी आजकल के युवाओं को, जो नियमों का उल्लंघन करते हैं?

मैं उनको यही संदेश देना चाहूंगी कि जब हम आधुनिकीकरण की बात करते हैं तो अवश्य उसका संदर्भ रफ्तार से होता है, परंतु यह रफ्तार हमारे दो और चार पहिया वाहन पर नहीं होती है। वह होती है आधुनिकीकरण की जो अपना मानसिक आधुनिकीकरण होता है। उसके बाहुबल पर देश को विकास के विमान पर सैर कराएं। कुछ ऐसा करें ताकि विदेश से जो लोग आते हैं उसको प्रेरणादाई मानें और अपने देश की संस्कृति को वहां ले जाना चाहे। रफ्तार अवश्य रखें युवा परंतु इसे सही दिशा निर्देशन दें। जो आजकल बाइक स्टंट करते हैं जवानी के जोश में यह अभिमान का आगोश भी होता है कहीं न कहीं जब नियमों के पालन की बात आती है। अगर इतना गुरूर है तो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाकर करतब दिखाएं। देश का नाम रोशन करें। यदि इतना ही खून खौल रहा है तो काफी सकारात्मक निवारण हो सकते हैं अपने को सिद्ध करने के।


अखिल पांडेय, लखनऊ, 9336864096

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