लखनऊः आध्यात्मिक गुरु और पर्यावरणविद् सद्गुरू 30 हजार किलोमीटर का सफर तय करके लखनऊ आ रहे हैं. वह धरती बचाने का अभियान (SAVE SOIL) चला रहे हैं. 64 वर्षीय सद्गुरू 27 देशों की यात्रा पर हैं. वह अपने 'जर्नी टू सेव सॉइल' (Save Soil Journey) अभियान के तहत 100 दिनों की बाइक यात्रा में 30 हजार किलोमीटर की दूरी तय करेंगे. इसी कड़ी में लखनऊ और उत्तर प्रदेश के बच्चों को इस अभियान से जोड़ने के लिए वह 7 जून को लखनऊ भी आ रहे हैं.
सद्गुरू के आने से पहले उनके SAVE SOIL अभियान को बच्चों तक पहुंचाने की मुहिम शुरू कर दी गई है. मंगलवार को जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यहां ईशा फाउंडेशन से जुड़ी गीतिका भारती ने बच्चों से संवाद किया. उन्हें SAVE SOIL अभियान के बारे में जानकारी दी. सदगुरू का संदेश बच्चों तक पहुंचाया गया. साथ ही, इस महाअभियान से जुड़ने की अपील भी की. स्कूल के चेयरमैन सर्वेश गोयल ने बताया कि उनका स्कूल इस महाभियान के साथ खड़ा है. हर बच्चे को इससे जोड़कर पृथ्वी को बचाने की इस मुहीम में समर्थन करेंगे.
यह है SAVE SOIL अभियान : SAVE SOIL अभियान सद्गुरू द्वारा शुरू किया गया एक वैश्विक आंदोलन है. इसमें, वह पूरी दुनिया को आने वाले समय में मिट्टी के संकट के बारे में रूबरू कराने और उससे बचने के लिए अभी से नीति बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. इसी अभियान के तहत 64 वर्षीय सदगुरू 'जर्नी टू सेव सॉइल' (Save Soil Journey) नामक अभियान पर निकले हैं. वह यूके, यूरोप और मिडल-ईस्ट से होते हुए भारत तक 27 देशों से गुजरेंगे. वह 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) के अवसर पर भारत के कावेरी बेसिन में इसका अभियान को खत्म करेंगे. इस दौरान वह दुनिया के नेता, मीडिया और विशेषज्ञों से मिलेंगे और मिट्टी को बचाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने पर जोर देंगे.
ऐसे जुड़ सकते हैं बच्चे : जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान ईशा फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने बच्चों को बड़ी संख्या में इस अभियान से जुड़ने की अपील की. उन्होंने बच्चों को प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखकर मिट्टी के संरक्षण के लिए नीति बनाने के लिए अनुरोध करने को कहा है. गीतिका भारती ने कहा कि केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मिट्टी को लेकर एक संकट पैदा होना जा रहा है. जैविक पदार्थों की कमी से मिट्टी रेत में बदल जाती है.
यही हालात रहे तो आने वाले 20 वर्षों में 9.30 बिलियन लोगों के लिए 40 प्रतिशत तक कम भोजन का उत्पादन होगा. इसका जल प्रवाह से लेकर जैव विविधता तक पर असर पड़ रहा है. हजारों जीवों की प्रजातियां विलुप्त हो रहीं हैं. अगर दुनिया की मिट्टी को पुनर्जीवित नहीं किया जाता तो जलवायु परिवर्तन में योगदान देने वाले वातावरण में 850 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ सकते हैं. यह पिछले 30 वर्षों में संयुक्त रूप से मानवता के सभी उत्सर्जन से अधिक है. उन्होंने बच्चों को इस महाभियान से जुड़ने का संदेश दिया है.
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