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लखनऊ: ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाएं सीख रही आत्मरक्षा के गुण

राजधानी लखनऊ में मलिहाबाद जोश अकादमी समिति द्वारा पिछले 10 वर्षों से ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं को बॉक्सिंग सिखाने का कार्य किया जा रहा है. इससे ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाएं आत्मरक्षा के गुण सीख रही है.

ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाएं सीख रही आत्मरक्षा के गुण.
ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाएं सीख रही आत्मरक्षा के गुण.
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Published : Nov 5, 2020, 8:00 PM IST

लखनऊ: मलिहाबाद जोश अकादमी समिति द्वारा पिछले 10 वर्षों से ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बॉक्सिंग सिखाने का कार्य किया जा रहा है. जिससे बालिकाएं आत्मरक्षा के गुण सीख रही हैं. इसमें ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियां पढ़ाई के साथ साथ बॉक्सिंग में भी रूचि ले रही है.

ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाएं सीख रही आत्मरक्षा के गुण.

क्षेत्र की बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मलिहाबाद जोश अकादमी समिति द्वारा पिछले 10 वर्षों से ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओ को बॉक्सिंग सिखाने का कार्य किया जा रहा है. जिससे बालिकाएं आत्मरक्षा के गुण सीख रही है, जिसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के गरीब परिवारों की बालिकाएं पढ़ाई और खेतों में काम करने के साथ साथ बॉक्सिंग की ओर आकर्षित हो रही है. इससे वह अपने सपनों को साकार कर मेडल जीतकर शहर की लड़कियों को मात दे रही है.

बालिकाओं को आत्मरक्षा के सिखाए जा रहे गुण
कोच सैफ खान बताते हैं कि मेरा एक ही मकसद है कि समाज में बालिकाओं को गलत नजर से देखने वाले मनचलों व शोहदो को मौके पर ही सबक सिखाया जा सके. यहां पर मौजूद शिवानी, मोनिका गौतम, अनीशा, बिनू रावत व अन्य पढ़ाई के साथ साथ नियमित अभ्यास करने को आती है.

ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाएं सीख रही आत्मरक्षा के गुण.
ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाएं सीख रही आत्मरक्षा के गुण.

बालिकाओं को खेतों में निशुल्क सिखा रहे हैं बॉक्सिंग
वहीं इस अकादमी के संचालक व कोच मोहम्मद सैफ खान बताते है कि पिछले 8 वर्षो से बिना किसी सरकारी मदद के ग्रामीण लड़कियों को बिना किसी संसाधन के खेतो में निशुल्क बॉक्सिंग सिखा रहे हैं. खेतों में अभ्यास करते समय इन बालिकाओ का उत्साह देखते ही बनता है. यहां पर मौजूद सबसे छोटी 12 वर्षीय रिया उसका सपना है कि वह पुलिस में भर्ती होकर देश की सेवा कर सके.

संसाधनों की कमी से हो रही दिक्कतें
जोश अकादमी के संचालक सैफ ने बताया कि हमारी एनजीओ के पास संसाधनों की कमी है, जिससे बच्चियों को सिखाने में दिक्कत होती है. सारा खर्च हम अपने पास से स्वयं करते हैं. सबसे बड़ी समस्या बॉक्सिंग रिंग की है, जिससे हमारी बच्चियां नंगे पैर सीखती है. हम प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुजारिश करते है कि हम लोगों को बॉक्सिंग रिंग, बॉक्सिंग ग्लब्स, हेड गार्ड, मुहैया कराए, जिससे हम अपने बच्चियों को नेशनल और ओलंपिक तक पहुंचा सके. जिससे वो प्रदेश और देश का नाम रौशन कर सके.

बॉक्सिंग सीखने वाली शिवानी मलिहाबाद के माधवपुर गांव की रहने वाली है. शिवानी बताती है कि देश प्रदेश में बालिकाओं के साथ हो रही घटनाओं को देखते हुए 3 साल पहले आत्मनिर्भर बनने के लिए बॉक्सिंग सीखनी शुरू की थी, जिससे वह डिस्ट्रिक लेवल, स्टेट और नेशनल लेवल पर प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी है. संसाधनों की कमी के कारण हम लोगों की प्रैक्टिस सही से नहीं हो पाती है.

लखनऊ: मलिहाबाद जोश अकादमी समिति द्वारा पिछले 10 वर्षों से ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बॉक्सिंग सिखाने का कार्य किया जा रहा है. जिससे बालिकाएं आत्मरक्षा के गुण सीख रही हैं. इसमें ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियां पढ़ाई के साथ साथ बॉक्सिंग में भी रूचि ले रही है.

ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाएं सीख रही आत्मरक्षा के गुण.

क्षेत्र की बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मलिहाबाद जोश अकादमी समिति द्वारा पिछले 10 वर्षों से ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओ को बॉक्सिंग सिखाने का कार्य किया जा रहा है. जिससे बालिकाएं आत्मरक्षा के गुण सीख रही है, जिसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के गरीब परिवारों की बालिकाएं पढ़ाई और खेतों में काम करने के साथ साथ बॉक्सिंग की ओर आकर्षित हो रही है. इससे वह अपने सपनों को साकार कर मेडल जीतकर शहर की लड़कियों को मात दे रही है.

बालिकाओं को आत्मरक्षा के सिखाए जा रहे गुण
कोच सैफ खान बताते हैं कि मेरा एक ही मकसद है कि समाज में बालिकाओं को गलत नजर से देखने वाले मनचलों व शोहदो को मौके पर ही सबक सिखाया जा सके. यहां पर मौजूद शिवानी, मोनिका गौतम, अनीशा, बिनू रावत व अन्य पढ़ाई के साथ साथ नियमित अभ्यास करने को आती है.

ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाएं सीख रही आत्मरक्षा के गुण.
ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाएं सीख रही आत्मरक्षा के गुण.

बालिकाओं को खेतों में निशुल्क सिखा रहे हैं बॉक्सिंग
वहीं इस अकादमी के संचालक व कोच मोहम्मद सैफ खान बताते है कि पिछले 8 वर्षो से बिना किसी सरकारी मदद के ग्रामीण लड़कियों को बिना किसी संसाधन के खेतो में निशुल्क बॉक्सिंग सिखा रहे हैं. खेतों में अभ्यास करते समय इन बालिकाओ का उत्साह देखते ही बनता है. यहां पर मौजूद सबसे छोटी 12 वर्षीय रिया उसका सपना है कि वह पुलिस में भर्ती होकर देश की सेवा कर सके.

संसाधनों की कमी से हो रही दिक्कतें
जोश अकादमी के संचालक सैफ ने बताया कि हमारी एनजीओ के पास संसाधनों की कमी है, जिससे बच्चियों को सिखाने में दिक्कत होती है. सारा खर्च हम अपने पास से स्वयं करते हैं. सबसे बड़ी समस्या बॉक्सिंग रिंग की है, जिससे हमारी बच्चियां नंगे पैर सीखती है. हम प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुजारिश करते है कि हम लोगों को बॉक्सिंग रिंग, बॉक्सिंग ग्लब्स, हेड गार्ड, मुहैया कराए, जिससे हम अपने बच्चियों को नेशनल और ओलंपिक तक पहुंचा सके. जिससे वो प्रदेश और देश का नाम रौशन कर सके.

बॉक्सिंग सीखने वाली शिवानी मलिहाबाद के माधवपुर गांव की रहने वाली है. शिवानी बताती है कि देश प्रदेश में बालिकाओं के साथ हो रही घटनाओं को देखते हुए 3 साल पहले आत्मनिर्भर बनने के लिए बॉक्सिंग सीखनी शुरू की थी, जिससे वह डिस्ट्रिक लेवल, स्टेट और नेशनल लेवल पर प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी है. संसाधनों की कमी के कारण हम लोगों की प्रैक्टिस सही से नहीं हो पाती है.

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