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लखनऊ: RTO कार्यलय में ARTO की कमी, काम पर पड़ रहा असर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत पूरे प्रदेश के हर जिले में आरटीओ और एआरटीओ कार्यालय मौजूद हैं. इन ज्यादातर कार्यालयों में कर्मचारियों का टोटा है. राजधानी लखनऊ का आरटीओ कार्यालय भी इसमें शामिल है.

आरटीओ कार्यालय लखनऊ.
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Published : Jul 2, 2019, 5:00 PM IST

Updated : Jul 5, 2019, 10:35 AM IST

लखनऊ: तबादलों के बाद तमाम अधिकारी इधर से उधर किए गए, जिसमें लखनऊ के आरटीओ और एआरटीओ भी शामिल हैं. इस बार के तबादलों में खास बात यह रही कि लखनऊ में एक एआरटीओ की संख्या जरूर बढ़ गई, लेकिन अभी जितने एआरटीओ राजधानी लखनऊ के ऑफिस के लिए चाहिए उनकी संख्या पूरी नहीं हो पाई है.

जानकारी देते आरटीओ रामफेर द्विवेदी.

पिछले कई सालों से आरटीओ लखनऊ में एआरटीओ के पदों की भरपाई नहीं की जा सकी है. इसके चलते ही चेकिंग अभियान पर असर पड़ रहा है. इस बार भी तबादला नीति के तहत तमाम अधिकारियों के तबादले किए गए. जहां पर अधिकारियों की जरूरत थी, वहां अधिकारी भी पोस्ट किए गए, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ही आरटीओ कार्यालय में एआरटीओ की संख्या पूरी नहीं की गई है. इससे काम नहीं चल पा रहा है.

राजधानी में आरटीओ अधिकारियों की भारी किल्लत

  • राजधानी लखनऊ समेत पूरे प्रदेश के हर जिले में आरटीओ और एआरटीओ कार्यालय मौजूद हैं.
  • यहां पर कर्मचारियों की तो बात छोड़िए अधिकारी तक पिछले दो साल से पूरे नहीं हो पाए हैं.
  • दो साल पहले प्रवर्तन के तीनों दलों के एआरटीओ की टीम पूरी थी.
  • अधिकारियों की कमी पूरा न हो पाना आरटीओ के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.
  • यहां पर प्रवर्तन दल का एक अधिकारी किसी न किसी के प्रोटोकॉल में ही लगा रहता है.
  • चेकिंग के लिए ऊपर से आने वाले आदेशों का पालन भी हो पाना मुश्किल हो जाता है.

हमारे कार्यालय में जितने भी प्रवर्तन दस्तों की कमी है, हम उन्हें पूरा कराने का प्रयास करेंगे. इस बारे में बात करेंगे और अपने कार्यालय में प्रवर्तन अधिकारियों के साथ बात करके अच्छे से काम कराएंगे. सख्ती से सभी कार्य पूर्ण कराए जाएंगे.
-रामफेर द्विवेदी,आरटीओ लखनऊ

लखनऊ: तबादलों के बाद तमाम अधिकारी इधर से उधर किए गए, जिसमें लखनऊ के आरटीओ और एआरटीओ भी शामिल हैं. इस बार के तबादलों में खास बात यह रही कि लखनऊ में एक एआरटीओ की संख्या जरूर बढ़ गई, लेकिन अभी जितने एआरटीओ राजधानी लखनऊ के ऑफिस के लिए चाहिए उनकी संख्या पूरी नहीं हो पाई है.

जानकारी देते आरटीओ रामफेर द्विवेदी.

पिछले कई सालों से आरटीओ लखनऊ में एआरटीओ के पदों की भरपाई नहीं की जा सकी है. इसके चलते ही चेकिंग अभियान पर असर पड़ रहा है. इस बार भी तबादला नीति के तहत तमाम अधिकारियों के तबादले किए गए. जहां पर अधिकारियों की जरूरत थी, वहां अधिकारी भी पोस्ट किए गए, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ही आरटीओ कार्यालय में एआरटीओ की संख्या पूरी नहीं की गई है. इससे काम नहीं चल पा रहा है.

राजधानी में आरटीओ अधिकारियों की भारी किल्लत

  • राजधानी लखनऊ समेत पूरे प्रदेश के हर जिले में आरटीओ और एआरटीओ कार्यालय मौजूद हैं.
  • यहां पर कर्मचारियों की तो बात छोड़िए अधिकारी तक पिछले दो साल से पूरे नहीं हो पाए हैं.
  • दो साल पहले प्रवर्तन के तीनों दलों के एआरटीओ की टीम पूरी थी.
  • अधिकारियों की कमी पूरा न हो पाना आरटीओ के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.
  • यहां पर प्रवर्तन दल का एक अधिकारी किसी न किसी के प्रोटोकॉल में ही लगा रहता है.
  • चेकिंग के लिए ऊपर से आने वाले आदेशों का पालन भी हो पाना मुश्किल हो जाता है.

हमारे कार्यालय में जितने भी प्रवर्तन दस्तों की कमी है, हम उन्हें पूरा कराने का प्रयास करेंगे. इस बारे में बात करेंगे और अपने कार्यालय में प्रवर्तन अधिकारियों के साथ बात करके अच्छे से काम कराएंगे. सख्ती से सभी कार्य पूर्ण कराए जाएंगे.
-रामफेर द्विवेदी,आरटीओ लखनऊ

Intro:तबादलों के बाद भी कई सालों से आरटीओ ऑफिस में नहीं हो पाई अधिकारियों की भरपाई

लखनऊ। तबादलों के बाद तमाम अधिकारी इधर से उधर किए गए जिसमें लखनऊ के आरटीओ और एआरटीओ भी शामिल हैं। इस बार के तबादलों में खास बात यह रही कि लखनऊ में एक एआरटीओ की संख्या जरूर बढ़ गई, लेकिन अभी जितने एआरटीओ राजधानी लखनऊ के ऑफिस के लिए चाहिए उनकी संख्या पूरी नहीं हो पाई है। पिछले कई साल से आरटीओ लखनऊ में एआरटीओ के पदों की भरपाई नहीं की जा सकी है। इसके चलते ही चेकिंग अभियान पर असर पड़ रहा है। इस बार भी तबादला नीति के तहत तमाम अधिकारियों के तबादले किए गए जहां पर अधिकारियों की जरूरत थी वहां अधिकारी भी पोस्ट किए गए, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ही आरटीओ कार्यालय में एआरटीओ की संख्या पूरी नहीं की गई है, इससे काम नहीं चल पा रहा है।


Body:उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत पूरे प्रदेश के हर जिले में आरटीओ और एआरटीओ कार्यालय मौजूद हैं। इन ज्यादातर कार्यालयों में कर्मचारियों का टोटा है। राजधानी लखनऊ का आरटीओ कार्यालय भी इसमें शामिल है। चूंकि लखनऊ का आरटीओ ऑफिस काफी मायने रखता है ऐसे में यहां पर कर्मचारियों की संख्या के साथ ही अधिकारियों की भी संख्या पूरी होनी चाहिए, लेकिन ऐसा है नहीं। यहां पर कर्मचारियों की तो बात छोड़िए अधिकारी तक पिछले 2 साल से पूरे नहीं हो पाए हैं। 2 साल पहले जब अधिकारियों के संख्या पूरी हुई भी थी तो वह भी कई साल बाद हो पाई थी, लेकिन एआरटीओ प्रवर्तन की पूरी टीम की बात की जाए तो 2 साल से वह अधूरी ही है। 2 साल पहले प्रवर्तन के तीनों दलों के एआरटीओ की टीम पूरी थी। जिनमें एआरटीओ प्रवर्तन प्रथम बीके अस्थाना, एआरटीओ द्वितीय प्रवीण कुमार सिंह और एआरटीओ तृतीय आलोक कुमार सिंह तैनात किए गए थे, लेकिन अगले साल ही उनका तबादला हो गया। अब बीके अस्थाना फैजाबाद, आलोक कुमार बिजनौर और प्रवीण कुमार सीतापुर एआरटीओ कार्यालय में तैनात हैं। लखनऊ आरटीओ कार्यालय में 2 साल से एआरटीओ प्रथम के रूप में संजीव गुप्ता से ही काम चलाया जा रहा है। इस बार तबादले के बाद झांसी से अनिल यादव को यहां भेजा गया है तो दो एआरटीओ हो पाए हैं, जबकि तीसरे एआरटीओ की कमी अभी भी अधूरी ही है।

बाइट: रामफेर द्विवेदी, आरटीओ लखनऊ

हमारे कार्यालय में जितने भी प्रवर्तन दस्तों की कमी है हम उन्हें पूरा कराने का प्रयास करेंगे। परिवहन आयुक्त से इस बारे में बात करेंगे और अपने कार्यालय में प्रवर्तन अधिकारियों के साथ बात करके अच्छे से काम कराएंगे। सख्ती से सभी कार्य पूर्ण कराए जाएंगे।




Conclusion:इस बार भी प्रवर्तन दलों के अधिकारियों की कमी पूरा न हो पाना आरटीओ के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। वजह है कि यहां पर प्रवर्तन दल का एक अधिकारी किसी न किसी के प्रोटोकॉल में ही लगा रहता है, ऐसे में आए दिन चेकिंग के लिए ऊपर से आने वाले आदेशों का पालन भी हो पाना मुश्किल हो जाता है। अधिकारियों का कहना है कि कम से कम उच्च स्तर के अधिकारियों को चाहिए कि राजधानी लखनऊ में तो अधिकारियों की कमी पूरी कर ही दी जाए।
Last Updated : Jul 5, 2019, 10:35 AM IST
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