लखनऊ: तबादलों के बाद तमाम अधिकारी इधर से उधर किए गए, जिसमें लखनऊ के आरटीओ और एआरटीओ भी शामिल हैं. इस बार के तबादलों में खास बात यह रही कि लखनऊ में एक एआरटीओ की संख्या जरूर बढ़ गई, लेकिन अभी जितने एआरटीओ राजधानी लखनऊ के ऑफिस के लिए चाहिए उनकी संख्या पूरी नहीं हो पाई है.
पिछले कई सालों से आरटीओ लखनऊ में एआरटीओ के पदों की भरपाई नहीं की जा सकी है. इसके चलते ही चेकिंग अभियान पर असर पड़ रहा है. इस बार भी तबादला नीति के तहत तमाम अधिकारियों के तबादले किए गए. जहां पर अधिकारियों की जरूरत थी, वहां अधिकारी भी पोस्ट किए गए, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ही आरटीओ कार्यालय में एआरटीओ की संख्या पूरी नहीं की गई है. इससे काम नहीं चल पा रहा है.
राजधानी में आरटीओ अधिकारियों की भारी किल्लत
- राजधानी लखनऊ समेत पूरे प्रदेश के हर जिले में आरटीओ और एआरटीओ कार्यालय मौजूद हैं.
- यहां पर कर्मचारियों की तो बात छोड़िए अधिकारी तक पिछले दो साल से पूरे नहीं हो पाए हैं.
- दो साल पहले प्रवर्तन के तीनों दलों के एआरटीओ की टीम पूरी थी.
- अधिकारियों की कमी पूरा न हो पाना आरटीओ के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.
- यहां पर प्रवर्तन दल का एक अधिकारी किसी न किसी के प्रोटोकॉल में ही लगा रहता है.
- चेकिंग के लिए ऊपर से आने वाले आदेशों का पालन भी हो पाना मुश्किल हो जाता है.
हमारे कार्यालय में जितने भी प्रवर्तन दस्तों की कमी है, हम उन्हें पूरा कराने का प्रयास करेंगे. इस बारे में बात करेंगे और अपने कार्यालय में प्रवर्तन अधिकारियों के साथ बात करके अच्छे से काम कराएंगे. सख्ती से सभी कार्य पूर्ण कराए जाएंगे.
-रामफेर द्विवेदी,आरटीओ लखनऊ