लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत के दौरे के दूसरे दिन भी महत्वपूर्ण बैठक में संघ के कामकाज की समीक्षा हुई. वहीं संघ के धर्म जागरण मंच से जुड़े लोगों ने उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ महीनों में हुई धर्मांतरण की घटनाओं पर चिंता जताई और इन्हें रोकने को लेकर चर्चा की, जिस पर सरसंघचालक ने धर्मांतरण जैसी घटनाओं को रोकने के लिए जन जागरूकता पर विशेष जोर दिया.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कुटुंब प्रबोधन के विषय में कहा कि कुटुंब यानी परिवार संरचना प्रकृति प्रदत्त है. इसलिए इसको सुरक्षित रखकर इसका संरक्षण करना भी हमारा दायित्व है. आरएसएस प्रमुख राजधानी के अपने दो दिवसीय प्रवास के दूसरे दिन अवध प्रांत के प्रचारकों और अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें उन्होंने कहा कि परिवार असेंबल की गई इकाई नहीं है. यह संरचना प्रकृति प्रदत्त है.
मोहन भागवत ने कहा कि हमारे समाज में परिवार एक विस्तृत कल्पना है. इसमें केवल पति-पत्नी और बच्चे ही परिवार नहीं हैं. बल्कि बुआ, काका-काकी, चाचा-चाची, दादी-दादा आदि भी प्राचीन काल से हमारी परिवार संकल्पना में रहे हैं. इसलिए परिवार में प्रारंभ से ही बच्चों के अंदर संस्कार निर्माण करने की योजना होनी चाहिए. उनके अंदर अतिथि देवो भव का भाव उत्पन्न करना चाहिए और समय-समय पर उन्हें महापुरुषों की कहानियां और उनके संस्मरण भी सुनाए जाने चाहिए.
RSS प्रमुख ने सामाजिक समरसता के विषय में कहा कि कोई भी ऐसी जाति नहीं है, जिसमें श्रेष्ठ महान तथा देशभक्त लोगों ने जन्म नहीं लिया हो. मंदिर, श्मशान और जलाशय पर सभी जातियों का समान अधिकार है. महापुरुष केवल अपने श्रेष्ठ कार्यों से महापुरुष हैं और उनको उसी दृष्टि से देखे जाने का भाव भी समाज में बनाए रखना बहुत ही आवश्यक है. उन्होंने कहा कि गांव आधारित और प्राकृतिक खेती के लिए भी समाज को जागृत और प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पिछले दिनों पर्यावरण गतिविधि और हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन द्वारा किए गए प्रकृति वंदन कार्यक्रम की सराहना की. उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि समाज में देशहित में किसी भी सामाजिक संगठन धार्मिक संगठन द्वारा किए जाने वाले कार्य में संघ के स्वयंसेवकों को बढ़कर सहयोग करना चाहिए. संघ प्रमुख मोहन भागवत प्रचार को और अन्य प्रमुख लोगों ने उत्तर प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों से भी अवगत कराया.