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RPN Singh Profile: शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाले आरपीएन सिंह आखिर हैं कौन, कभी राहुल ब्रिगेड के थे फायर ब्रांड - लखनऊ की खबरें

Who is RPN Singh: 1993 में वह पहली बार पडरौना विधानसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन हार गए. इसके बाद 1996, 2002 और 2007 में लगातार तीन बार पडरौना से चुनाव जीते. एक बार हारने के बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में आरपीएन कुशीनगर सीट जीतने में कामयाब रहे. उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को 21 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया.

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RPN Singh Profile: शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाले आरपीएन सिंह आखिर हैं कौन,
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Published : Jan 25, 2022, 3:19 PM IST

हैदराबाद : कांग्रेस के दिग्गज नेता और मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आरपीएन सिंह आज बीजेपी में शामिल हो गए. उन्हें जितिन प्रसाद के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का बड़ा चेहरा माना जाता था. आरपीएन सिंह को सोमवार को जारी हुई कांग्रेस की स्टार प्रचारकों की सूची में भी नाम शामिल था. कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह को यूपी चुनाव के लिए स्टार प्रचारक बनाया था. हालांकि अब मामला बदल चुका है. वह अब यूपी में 'कमल' खिलाने के लिए प्रचार करेंगे. कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी आरपीएन सिंह को स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ कुशीनगर की पडरौना सीट से उतार सकती है.

आरपीएन सिंह राहुल गांधी की टीम का हिस्सा रहे हैं. युवा व जुझारू नेता के रूप में भी जाने जाते रहे हैं. वे कांग्रेस की ओर से विधानसभा चुनाव प्रभारी भी रह चुके हैं. आरपीएन सिंह कुशीनगर के शाही सैंथवार परिवार से ताल्लुख रखते हैं. वह केंद्रीय गृह राज्यमंत्री भी रहे चुके हैं. कांग्रेस ने उन्हें कई राज्यों का प्रभारी बनाया था. उनके पिता सीपीएन सिंह कांग्रेस के वफादार नेता थे. वह कुशीनगर से सांसद भी रहे थे. वह 1980 में इंदिरा सरकार में रक्षा राज्यमंत्री बनाया गया था.

पडरौना में हुआ था जन्म

आरपीएन सिंह का जन्म 25 अप्रैल 1964 को पडरौना राजपरिवार में हुआ था. आरपीएन सिंह का पूरा नाम कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह है. इन्हें पडरौना में राजा हेब और भैया जी कहा जाता है. डरौना को लेकर माना जाता है कि ये वही जगह है जहां तम बुद्ध ने आखिरी बार भोजन किया था. रपीएन सिंह के पिता सीपीएन सिंह (CPN Singh) को राजनीति में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) लेकर आई थीं. सीपीएन सिंह कुशीनगर से लोकसभा सांसद थे.

वो 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार में रक्षा राज्यमंत्री भी रहे. सीपीएन सिंह के राजनीतिक कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इमरजेंसी के बाद 1980 के लोकसभा चुनाव का प्रचार इंदिरा गांधी ने पडरौना से ही शुरू किया था. इस चुनावी रैली का आयोजन सीपीएन सिंह ने ही करवाया था.

यह भी पढ़ें : UP Election 2022: आरपीएन सिंह को कांग्रेस ने बनाया था स्टार...आज हो गए 'फरार'

आरपीएन सिंह ने अपनी स्कूली शिक्षा देहरादून के दून स्कूल से पूरी की है. यह वही स्कूल है जहां से राजीव गांधी, राहुल गांधी, नवीन पटनायक जैसी शख्सियतों ने पढ़ाई की है. 1982 में उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कॉलेज में एडमिशन लिया. यहां से उन्होंने हिस्ट्री में बीए की डिग्री हासिल की. इसके बाद आगे की पढ़ाई आरपीएन सिंह ने अमेरिका से पूरी की.

पिता की हत्या के बाद संभाली पारिवारिक और राजनीतिक जिम्मेदारी

अमेरिका में पढ़ाई के दौरान ही आरपीएन सिंह के पिता की हत्या कर दी गई. इस कारण वो पढ़ाई छोड़कर घर लौट आए. पिता के निधन के बाद सारी जिम्मेदारी आरपीएन सिंह पर आ गई. उन पर राजनीति में शामिल होने का दबाव भी बनने लगा. इसके बाद 1990 में उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और कांग्रेस में शामिल हो गए.

2011 की कांग्रेस सरकार में केंद्रीय पेट्रोलियम एवम प्राकृतिक गैस मंत्री राज्य मंत्री रहे. 2012 में केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग और कॉरपोरेट मामलों के राज्यमंत्री रहे. 2013 से 2014 तक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रहे. पिछला दो लोकसभा चुनाव भाजपा के कैंडिडेट से हार गए थे.

कांग्रेस संगठन में भी बड़े पदों पर रहे

- 1997 से 1999 तक उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे
- 2003 से 2006 तक AICC के सचिव रहे
आरपीएन सिंह को झारखंड राज्य के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में प्रदेश प्रभारी बनाया था जिनकी अगुवाई में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा और वहां गठबंधन की सरकार बनी. वर्तमान समय में झारखंड के प्रभारी हैं.

पहली बार पडरौना से लड़े चुनाव

1993 में वह पहली बार पडरौना विधानसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन हार गए. इसके बाद 1996, 2002 और 2007 में लगातार तीन बार पडरौना से चुनाव जीते. एक बार हारने के बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में आरपीएन कुशीनगर सीट जीतने में कामयाब रहे. उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को 21 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया. स्वामी प्रसाद मौर्य उस समय बहुजन समाज पार्टी में थे.

पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने के बाद आरपीएन सिंह मनमोहन सिंह की सरकार में राज्य मंत्री बनाए गए. वो सड़क परिवहन मंत्री और पेट्रोलियम मंत्रालय में राज्य मंत्री रहे. 2014 और 2019 में भी आरपीएन यहां से चुनाव लड़े लेकिन दोनों बार हार गए. कांग्रेस संगठन में भी भी आरपीएन सिंह अहम पदों पर रहे हैं. 1997 से 1999 तक उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं. इसके अलावा 2003 से 2006 तक कांग्रेस में सचिव भी रहे हैं. आरपीएन सिंह ने 2002 में पत्रकार सोनिया सिंह से शादी की. आरपीएन और सोनिया की तीन बेटियां हैं.

हैदराबाद : कांग्रेस के दिग्गज नेता और मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आरपीएन सिंह आज बीजेपी में शामिल हो गए. उन्हें जितिन प्रसाद के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का बड़ा चेहरा माना जाता था. आरपीएन सिंह को सोमवार को जारी हुई कांग्रेस की स्टार प्रचारकों की सूची में भी नाम शामिल था. कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह को यूपी चुनाव के लिए स्टार प्रचारक बनाया था. हालांकि अब मामला बदल चुका है. वह अब यूपी में 'कमल' खिलाने के लिए प्रचार करेंगे. कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी आरपीएन सिंह को स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ कुशीनगर की पडरौना सीट से उतार सकती है.

आरपीएन सिंह राहुल गांधी की टीम का हिस्सा रहे हैं. युवा व जुझारू नेता के रूप में भी जाने जाते रहे हैं. वे कांग्रेस की ओर से विधानसभा चुनाव प्रभारी भी रह चुके हैं. आरपीएन सिंह कुशीनगर के शाही सैंथवार परिवार से ताल्लुख रखते हैं. वह केंद्रीय गृह राज्यमंत्री भी रहे चुके हैं. कांग्रेस ने उन्हें कई राज्यों का प्रभारी बनाया था. उनके पिता सीपीएन सिंह कांग्रेस के वफादार नेता थे. वह कुशीनगर से सांसद भी रहे थे. वह 1980 में इंदिरा सरकार में रक्षा राज्यमंत्री बनाया गया था.

पडरौना में हुआ था जन्म

आरपीएन सिंह का जन्म 25 अप्रैल 1964 को पडरौना राजपरिवार में हुआ था. आरपीएन सिंह का पूरा नाम कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह है. इन्हें पडरौना में राजा हेब और भैया जी कहा जाता है. डरौना को लेकर माना जाता है कि ये वही जगह है जहां तम बुद्ध ने आखिरी बार भोजन किया था. रपीएन सिंह के पिता सीपीएन सिंह (CPN Singh) को राजनीति में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) लेकर आई थीं. सीपीएन सिंह कुशीनगर से लोकसभा सांसद थे.

वो 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार में रक्षा राज्यमंत्री भी रहे. सीपीएन सिंह के राजनीतिक कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इमरजेंसी के बाद 1980 के लोकसभा चुनाव का प्रचार इंदिरा गांधी ने पडरौना से ही शुरू किया था. इस चुनावी रैली का आयोजन सीपीएन सिंह ने ही करवाया था.

यह भी पढ़ें : UP Election 2022: आरपीएन सिंह को कांग्रेस ने बनाया था स्टार...आज हो गए 'फरार'

आरपीएन सिंह ने अपनी स्कूली शिक्षा देहरादून के दून स्कूल से पूरी की है. यह वही स्कूल है जहां से राजीव गांधी, राहुल गांधी, नवीन पटनायक जैसी शख्सियतों ने पढ़ाई की है. 1982 में उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कॉलेज में एडमिशन लिया. यहां से उन्होंने हिस्ट्री में बीए की डिग्री हासिल की. इसके बाद आगे की पढ़ाई आरपीएन सिंह ने अमेरिका से पूरी की.

पिता की हत्या के बाद संभाली पारिवारिक और राजनीतिक जिम्मेदारी

अमेरिका में पढ़ाई के दौरान ही आरपीएन सिंह के पिता की हत्या कर दी गई. इस कारण वो पढ़ाई छोड़कर घर लौट आए. पिता के निधन के बाद सारी जिम्मेदारी आरपीएन सिंह पर आ गई. उन पर राजनीति में शामिल होने का दबाव भी बनने लगा. इसके बाद 1990 में उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और कांग्रेस में शामिल हो गए.

2011 की कांग्रेस सरकार में केंद्रीय पेट्रोलियम एवम प्राकृतिक गैस मंत्री राज्य मंत्री रहे. 2012 में केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग और कॉरपोरेट मामलों के राज्यमंत्री रहे. 2013 से 2014 तक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रहे. पिछला दो लोकसभा चुनाव भाजपा के कैंडिडेट से हार गए थे.

कांग्रेस संगठन में भी बड़े पदों पर रहे

- 1997 से 1999 तक उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे
- 2003 से 2006 तक AICC के सचिव रहे
आरपीएन सिंह को झारखंड राज्य के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में प्रदेश प्रभारी बनाया था जिनकी अगुवाई में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा और वहां गठबंधन की सरकार बनी. वर्तमान समय में झारखंड के प्रभारी हैं.

पहली बार पडरौना से लड़े चुनाव

1993 में वह पहली बार पडरौना विधानसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन हार गए. इसके बाद 1996, 2002 और 2007 में लगातार तीन बार पडरौना से चुनाव जीते. एक बार हारने के बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में आरपीएन कुशीनगर सीट जीतने में कामयाब रहे. उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को 21 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया. स्वामी प्रसाद मौर्य उस समय बहुजन समाज पार्टी में थे.

पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने के बाद आरपीएन सिंह मनमोहन सिंह की सरकार में राज्य मंत्री बनाए गए. वो सड़क परिवहन मंत्री और पेट्रोलियम मंत्रालय में राज्य मंत्री रहे. 2014 और 2019 में भी आरपीएन यहां से चुनाव लड़े लेकिन दोनों बार हार गए. कांग्रेस संगठन में भी भी आरपीएन सिंह अहम पदों पर रहे हैं. 1997 से 1999 तक उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं. इसके अलावा 2003 से 2006 तक कांग्रेस में सचिव भी रहे हैं. आरपीएन सिंह ने 2002 में पत्रकार सोनिया सिंह से शादी की. आरपीएन और सोनिया की तीन बेटियां हैं.

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