लखनऊ : हरियाणा के नूंह में हुई रविवार को हिंसा में सबसे अधिक रोहिंग्या शामिल थे. वहां की सरकार ने रोहिंग्यों पर कार्रवाई भी शुरू कर दी है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इन रोहिंग्या मुसलमानों को एक योजना के तहत हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी यूपी में प्लांट किया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक बीते दिनों यूपी में हुई पीएफआई के सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में यह सामने आया था कि पीएफआइ देश का माहौल खराब करने के लिए यूपी के पश्चिमी यूपी के संवेदनशील जिलों में रोहिंग्याओं की एक बड़ी खेप प्लांट कर चुकी है. इतना ही नहीं यहां अभी और रोहिंग्या मुसलमान भेजे जा रहे थे. जिसके बाद यूपी एटीएस ने पश्चिमी यूपी के छह जिलों में ताबड़तोड़ छापेमारी की थी.
PFI ने पश्चिमी यूपी में प्लांट किए रोहिंग्या : सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में पीएफआई ने अपने गजवा ए हिंद मिशन को पूरा करने के लिए एक बड़ा प्लान बनाया था. पीएफआई भारत में गृह युद्ध की स्थिति उत्पन्न करना चाह रहा था. जिसके लिए उसने बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों की एक बड़ी फौज तैयार की थी. बीते माह अलग अलग इलाकों से गिरफ्तार किए गए पीएफआई के सदस्यों ने यूपी एटीएस की पूछताछ में यह कबूल किया था कि उन्होंने रोहिंग्यों को ऐसे बस्तियों में प्लांट किया है, जहां मिली जुली आबादी रहती है और संवेदनशील इलाकों में शामिल हैं. उनका मंसूबा धीरे धीरे हिंदू मुसलमान के बीच खाई पैदा कर छोटे से विवाद को बड़ी हिंसा और दंगे में बदलना था. हरियाणा पुलिस की जांच में यह सामने भी आया है कि नूंह में हुई हिंसा में रोहिंग्या मुसलमानों ने ही सबसे अधिक उत्पात मचाया था. इतना ही नहीं उन्होंने ही हिंसा को भड़काया भी था. ऐसे में अब उत्तर प्रदेश एटीएस और भी सतर्क हो गई है.
लोक सभा से पहले रोहिंग्याओं के सहारे हिंसा भड़काने की थी योजना : भारत में प्रतिबंधित संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का मंसूबा भारत, खासकर यूपी में गृह युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न कर गजवा ए हिंद को अमली जामा पहनाना है. इसके लिए पीएफआई ने लोक सभा चुनाव से पहले पश्चिमी यूपी में बड़ी हिंसा करने के मिशन को पूरा करने के लिए सबसे अधिक रोहिंग्याओं पर दांव खेला है. जिन इलाकों में पहले से ही रोहिंग्या रह रहे, उन्हे ट्रेनिंग देना और जहां नहीं हैं वहां उन्हे प्लांट करने के मिशन पर पीएफआई बीते कई वर्षों से काम कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक यूपी एटीएस को जांच में पता चला था कि लोक सभा के चुनाव से पहले यूपी में रोहिंग्याओं के सहारे हिंसा की जा सकती है. इसके चलते मई में यूपी एटीएस ने पश्चिमी यूपी के 10 जिलों से पीएफआई के 10 सदस्यों को उठा कर पूछताछ की थी.
हिंसा कराने के लिए रोहिंग्याओं का होता है इस्तेमाल : पूर्व डीजीपी एके जैन कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि यूपी में एक मिशन के तौर पर संवेदनशील इलाकों में रोहिंग्या मुसलमानों को प्लांट किया जा रहा है. ताकि जरूरत पड़ने पर उनका इस्तेमाल हिंसा फैलाने में किया जा सके. इसकी तस्दीक इस बात से भी होती है कि यूपी एटीएस ने पश्चिमी यूपी में सबसे अधिक रोहिंग्याओं की गिरफ्तारी की है. इन रोहिंग्याओं को संवेदनशील इलाकों में जानबूझ पर प्लांट किया जाता है फिर स्थानीय नेताओं और पीएफआई जैसे संगठन के लोग इन्हें संरक्षण देते हैं. ऐसे में इसे रोका जाना बहुत ही जरूरी है.