लखनऊ: सोमवार को नगर निगम के जोन 1 से 8 तक में कार्यदाई संस्थाओं के तहत कार्यरत मार्ग प्रकाश व्यवस्था के कर्मचारियों ने लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया के घर के बाहर जमकर नारेबाजी की. इन कर्मचारियों की सैलरी करीब 9 महीने से बकाया है. जिससे इनके सामने परिवार को पालने की समस्या आ गई है. इसी को लेकर कर्मचारियों ने 17 दिसंबर को सांकेतिक हड़ताल की थी. उन्होंने ज्ञापन भेजकर मेयर और नगर आयुक्त को अवगत कराया था कि यदि उनकी मांगे 28 दिसंबर तक नहीं मांगी गईं तो वह पूर्णं रूप से कार्य बहिष्कार करेंगे.
कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन
मार्ग प्रकाश व्यवस्था में कार्यरत कर्मचारी पिछले 9 महीनों से वेतन न मिल पाने के कारण भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. कर्मचारियों का कहना है कि वेतन भुगतान न हो पाने के कारण हम उनकी जिंदगी बद से बदतर हो गई है. उनका कहना है कि वह लगातार नगर निगम के अधिकारियों और मेयर से सैलरी के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता है. इसी कड़ी में सोमवार को मार्ग प्रकाश व्यवस्था के कर्मचारी मेयर संयुक्ता भाटिया के आवास के बाहर पहुंचे और वहां पर उन्होंने नारेबाजी की. कर्मचारियों ने बताया कि 17 तारीख को उन्होंने सांकेतिक हड़ताल की थी. हड़ताल के बाद एक ज्ञापन नगर आयुक्त और मेयर को देकर अवगत कराया था कि यदि उनकी मांगे 28 दिसंबर तक नहीं मांगी गई तो 29 दिसंबर से पूर्णंता कार्य बहिष्कार किया जाएगा.
आज से कल तक हो जाएगा भुगतान
संयुक्ता भाटिया का कहना है कि कर्मचारियों ने उन्हें 15 दिन पहले सैलरी न मिलने की बात से अवगत कराया था. इस पर उन्होंने कार्यदाई संस्था द्वारा नगर निगम में बिल न लगाने के कारण उनको नगर निगम विभाग द्वारा भुगतान नहीं किया गया था. जिसका बिल लगाने पर आंशिक भुगतान 24 दिसंबर को किया गया है. मेयर ने कहा कि ठेकेदार श्रमिकों की सैलरी आज से कल तक भुगतान कर देगा. मेयर ने बताया कि नगर निगम का ठेकेदार से अनुबंध होता है कि ठेकेदार अपने पास से श्रमिकों की सैलरी प्रतिमाह देता रहेगा, लेकिन ठेकेदार ने नगर निगम के साथ हुए अनुबंध का अनुपालन नहीं किया है. जिसके लिए ठेकेदार पर कार्रवाई की जाएगी.
इस पर सरकार को देना होगा ध्यान
श्रमिक उमेश ने बताया कि संस्थाओं के माध्यम से कार्य कर रहे श्रमिकों के साथ सबसे बड़ी परेशानी यही होती है कि कार्यदाई संस्था विभागों से बिल न पास होने का बहाना बनाकर श्रमिकों की सैलरी रोक लेते हैं. श्रमिक संस्था और विभागों के चक्कर लगा लगा कर परेशान हो जाता है. विभाग वाले कहते हैं कि ठेकेदार से सैलरी लो, ठेकेदार कहता है कि विभाग से सैलरी नहीं मिली है, जिसके कारण हम अपने पास से आप लोगों को सैलरी नहीं दे पाएंगे. यह एक गंभीर विषय है. इस पर सरकार को अविलंब ध्यान देना होगा नहीं तो कर्मचारी कार्यदाई संस्था और विभागों के चक्कर लगाने पर मजबूर होंगे.