लखनऊः राजधानी की सड़कों को चमकाने के लिए नगर निगम के द्वारा अब सफाई कर्मियों से नहीं बल्कि स्वीपिंग मशीनों का उपयोग किया जा रहा है. नगर निगम प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सड़कों की सफाई मशीनों के माध्यम से कराने का फैसला लिया. जिसके बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पहले 4 सफाई मशीनें खरीदी गई थी. वहीं अब नगर निगम के पास कुल 6 मशीनें हैं. निर्धारित मार्गों पर इन मशीनों के द्वारा रात 11:00 बजे से लेकर सुबह 4:00 बजे तक सफाई का काम किया जाता है. इन मशीनों से डेढ़ सौ किलोमीटर की सड़कों की साफ सफाई का काम लिया जाता है. जिससे कि राजधानी लखनऊ की सड़कों से गुजरने के बाद लोगों को सफाई की विश्वस्तरीय व्यवस्था का एहसास हो सके.
150 किलोमीटर सड़कों की होती है मशीनों से सफाई
राजधानी लखनऊ अब स्मार्ट सिटी है. वहीं नगर निगम की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है. क्योंकि पूरे शहर को स्मार्ट बनाने के लिए व्यवस्थाएं भी स्मार्ट होनी चाहिए. नगर निगम के पास सफाई के लिए कर्मचारियों की संख्या निर्धारित है. जिनसे वार्ड के भीतर सफाई का काम लिया जाता है, लेकिन शहर की बड़ी सड़कों की सफाई का काम काफी मुश्किल होता है. इसके लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत खरीदी गई 6 स्वीपिंग मशीनों से सड़कों की साफ-सफाई का काम हो रहा है. रात 11:00 बजे से लेकर सुबह 4:00 बजे तक जब सड़कें खाली होती है तो लखनऊ में मशीनों के माध्यम से सफाई का काम किया जाता है. फिलहाल 150 किलोमीटर रोज इन मशीनों से सफाई का काम हो रहा है.
बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए मशीनें उपयोगी
साफ-सफाई का काम झाड़ू से करने पर बड़ी मात्रा में वातावरण में धूल पहुंचती है. जिससे वायु की गुणवत्ता खराब होती है. राजधानी लखनऊ में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत खरीदी गई 6 सफाई मशीनों के माध्यम से सड़कों की सफाई का काम बड़े पैमाने पर हो रहा है. इन महंगी मशीनों के माध्यम से सफाई के काम में सड़कें भी साफ तो होती हैं और धूल भी नहीं उड़ती है.
महंगा है मशीनों का रखरखाव
पहले खरीदी गई 4 स्वीपिंग मशीनों की लागत 60 लाख रुपये बताई गई. जबकि बाद में खरीदी गई 2 मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीन की कुल लागत 3 करोड़ है, लेकिन इन मशीनों का रखरखाव काफी महंगा है. जो अब नगर निगम को भारी पड़ने लगा है. प्रत्येक मशीनों पर नगर-निगम के द्वारा रोजाना 7-8 हजार रुपये खर्च होता है, जबकि महीने में यह लगभग 5.5 लाख का खर्च हो रहा है. यह खर्च मशीन की कुल कीमत का सालाना खर्च लगभग 35 से 40% है. वहीं एक मशीन 1 घंटे में 10 लीटर डीजल का उपयोग करती हैं. वहीं मशीनों के माध्यम से 8 घंटे में लगभग 40 किलोमीटर की सफाई का काम लिया जाता है.
इन सड़कों की होती है सफाई
स्मार्ट सिटी लखनऊ की चुनी हुई सड़कों की सफाई का काम रात में किया जाता है. शहर की फैजाबाद, रायबरेली और एयरपोर्ट सड़क, गोमती नगर विधानसभा मार्ग की सड़कों की सफाई का काम इन मशीनों से किया जाता है. वहीं यह मशीनें रात 11:00 बजे से लेकर सुबह 4:00 बजे तक काम करती है क्योंकि इस दौरान सड़कें खाली होती हैं. जिससे सड़क पर चलने वाले लोगों को कोई परेशानी न उठाना पड़े. वही मशीनों से सफाई के काम में कर्मियों की बचत होती है. ड्राइवर और हेल्पर भी मशीन के साथ होते हैं.
नगर निगम खरीदेगा तीन और सफाई मशीनें
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत नगर-निगम लखनऊ तीन और स्वीपिंग मशीनों को खरीदने की प्रक्रिया में है. इसके लिए कार्य योजना बन चुकी है और टेंडर होना बाकी है. इन मशीनों के आने के बाद सफाई के लिए कुल 9 मशीनें होंगी. जिनसे राजधानी लखनऊ की 300 किलोमीटर से ज्यादा सड़कों की प्रतिदिन सफाई का काम होगा.
नगर निगम लखनऊ में पर्यावरण अभियंता पंकज भूषण ने बताया कि इस समय नगर निगम के पास कुल 6 स्वीपिंग मशीनें हैं. जिनसे रोजाना डेढ़ सौ किलोमीटर की सड़कों की सफाई का काम हो रहा है. हालांकि इन मशीनों का रखरखाव काफी महंगा है. प्रत्येक मशीन पर रोज सात से आठ हजार का रखरखाव का खर्च आता है. एक मशीन प्रतिदिन 8 घंटे में लगभग 40 किलोमीटर की सफाई का काम करती है.