लखनऊ: यूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विपक्षी दलों ने अपनी रणनीति तैयार कर सरकार को घेरने का पूरा प्लान बनाया है. इन दलों में राष्ट्रीय लोकदल, अपना दल कमेरावादी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस पार्टी शामिल हैं. जहां राष्ट्रीय लोकदल के विधायक सरकार को किसानों के बकाया के साथ ही फसल का समर्थन मूल्य और अन्य मुद्दों को लेकर घेरने को तैयार हैं, वही कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और अपना दल (कमेरावादी) ने बेरोजगारी, कानून व्यवस्था और चिकित्सा व्यवस्था के साथ ही शिक्षक भर्ती को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा करने का पूरा प्लान तैयार किया है.
राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार भले ही लाख दावे करे, लेकिन किसानों की तमाम समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. उनके बकाए का भुगतान नहीं हो रहा है, साथ ही फसलों के समर्थन मूल्य को लेकर भी मुसीबत बनी हुई है. उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है. नौजवानों को रोजगार नहीं मिल रहा है. उन्हें दर-दर भटकना पड़ रहा है. शिक्षा व्यवस्था बदहाल होती जा रही है.
अस्पतालों में मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. कानून व्यवस्था दम तोड़ती जा रही है. इन सभी मुद्दों को लेकर राष्ट्रीय लोक दल के विधायक सदन के अंदर सरकार से सवाल करेंगे. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशू अवस्थी का कहना है कि हर बार की तरह इस बार भी सदन के अंदर जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर कांग्रेस सरकार से सवाल करेगी. जनता के हित में सरकार से जवाब भी चाहेगी. इस सरकार में कानून व्यवस्था किस तरह की है सबको पता है.
बेरोजगारी दर कहां तक पहुंच गई है, इससे भी सभी वाकिफ हैं. पढ़े लिखे नौजवान बेरोजगार घूम रहे हैं. चिकित्सा व्यवस्था दोयम दर्जे की है. इन सभी सवालों का जवाब सदन में सरकार से लिया जाएगा. सदन में बहुजन समाज पार्टी के विधायक उमाशंकर सिंह का कहना है कि बहुजन समाज पार्टी की तरफ से जनता से जुड़े मुद्दे सदन में प्राथमिकता के साथ रखे जाएंगे. जो भी अहम समस्याएं हैं उन्हें लेकर सरकार से सवाल जवाब किया जाएगा. अपना दल कमेरावादी की विधायक पल्लवी पटेल का कहना है कि कानून व्यवस्था, बेरोजगारी, शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था को लेकर सरकार पर तीखे सवाल किए जाएंगे. जवाब भी लिया जाएगा.
लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह का कहना है कि सरकार ने जनता का विश्वास पूरी तरह खो दिया है. प्रदेश में चारों तरफ अराजकता का माहौल, किसान, व्यापारी, छात्र, नौजवान, बेरोजगार, पिछड़ा, अल्पसंख्यक, दलित आदि की समस्याओं के समाधान में सरकार पूरी तरह से फेल है. किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य नहीं. सरकार की अदूरदर्शिता व जटिल प्रक्रिया से क्रय केंद्रों पर धान की खरीद नहीं.
यूरिया बाजार से गायब है. किसान की आय लगातार घट रही है. गांव के लोगों के हाथ में पैसे के अभाव ने बाजार में मंदी ला दी है. सरकार विकास कार्यों में भी रुचि नहीं ले रही है. कानून व्यवस्था ध्वस्त है. नियम तो लोकतंत्र को बचाने के लिए बनाया जाता है लेकिन सरकार लोकतंत्र को खत्म करने के लिए नए-नए नियम बना रही है.