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लखनऊः योगी सरकार के लिए अग्निपरीक्षा होंगे उपचुनाव नतीजे - 2019 के विधानसभा चुनाव

यूपी के 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भाजपा सरकार के लिए कड़ी परीक्षा होगी. ढाई साल के भाजपा शासन की नीतियों से जनता कितनी खुश है, इसका परिणाम तो 24 अक्टूबर को ही देखने को मिलेगा.

बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता.
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Published : Oct 22, 2019, 7:02 PM IST

लखनऊः यूपी की 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. कई जगहों पर कम मतदान से बीजेपी नेतृत्व भी चिंतित नजर आई. इस उपचुनाव की खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ढाई साल की सरकार चलाने के बाद प्रदेश में उपचुनाव हुआ. साथ ही यह भी पता चलेगा कि योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में किस प्रकार से काम किया और जनता ने उन्हें कितने नंबर दिए हैं.

योगी सरकार की अग्निपरीक्षा.

2017 में बीजेपी ने हासिल किया था पूर्ण बहुमत
उपचुनाव के परिणाम से उत्तर प्रदेश की सियासत के नए संदेश भी लोगों के सामने आएंगे. 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया. यही नहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के लिए भी उपचुनाव लिटमस टेस्ट की तरह है.

उपचुनाव के परिणाम से बदल सकती है प्रदेश की राजनीतिक समीकरण
2019 के चुनाव से पहले इस प्रकार की चर्चा और व्याख्या हो रही थी कि यह चुनाव सेमीफाइनल होंगे, लेकिन जब 2019 के चुनाव हुए तो जनता का पूरा साथ बीजेपी के साथ रहा. वहीं यह उपचुनाव जो हुए, इनमें भी भारतीय जनता पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ी है. प्रदेश प्रवक्ता का कहना है कि हम इन 11 सीटों पर पूरी गंभीरता से चुनाव लड़े हैं और सभी 11 सीटें बीजेपी जीत रही है.

पढ़ें- लखनऊ कैंट उपचुनाव: कम मतदान पर चिंतित बीजेपी नेतृत्व, तत्काल बनाई ये रणनीति

बता दें कि इन 11 सीटों में भारतीय जनता पार्टी के पास 9 सीटें हैं और समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी की एक-एक सीटें रहीं. वहीं कांग्रेस पार्टी उपचुनाव में किस प्रकार से अपना प्रदर्शन करती है. यह देखने वाली बात होगी.

लखनऊः यूपी की 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. कई जगहों पर कम मतदान से बीजेपी नेतृत्व भी चिंतित नजर आई. इस उपचुनाव की खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ढाई साल की सरकार चलाने के बाद प्रदेश में उपचुनाव हुआ. साथ ही यह भी पता चलेगा कि योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में किस प्रकार से काम किया और जनता ने उन्हें कितने नंबर दिए हैं.

योगी सरकार की अग्निपरीक्षा.

2017 में बीजेपी ने हासिल किया था पूर्ण बहुमत
उपचुनाव के परिणाम से उत्तर प्रदेश की सियासत के नए संदेश भी लोगों के सामने आएंगे. 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया. यही नहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के लिए भी उपचुनाव लिटमस टेस्ट की तरह है.

उपचुनाव के परिणाम से बदल सकती है प्रदेश की राजनीतिक समीकरण
2019 के चुनाव से पहले इस प्रकार की चर्चा और व्याख्या हो रही थी कि यह चुनाव सेमीफाइनल होंगे, लेकिन जब 2019 के चुनाव हुए तो जनता का पूरा साथ बीजेपी के साथ रहा. वहीं यह उपचुनाव जो हुए, इनमें भी भारतीय जनता पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ी है. प्रदेश प्रवक्ता का कहना है कि हम इन 11 सीटों पर पूरी गंभीरता से चुनाव लड़े हैं और सभी 11 सीटें बीजेपी जीत रही है.

पढ़ें- लखनऊ कैंट उपचुनाव: कम मतदान पर चिंतित बीजेपी नेतृत्व, तत्काल बनाई ये रणनीति

बता दें कि इन 11 सीटों में भारतीय जनता पार्टी के पास 9 सीटें हैं और समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी की एक-एक सीटें रहीं. वहीं कांग्रेस पार्टी उपचुनाव में किस प्रकार से अपना प्रदर्शन करती है. यह देखने वाली बात होगी.

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लखनऊ। यूपी की 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। ढाई साल सरकार चलाने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार के नेतृत्व में 11 सीटों के उपचुनाव हुए हैं ऐसे में जनता का मूड सरकार के कामकाज को लेकर क्या रहा सरकार की नीतियों से जनता कितना प्रभावित होकर मतदान की किस को लेकर चुनाव परिणाम उत्तर प्रदेश की सियासत के लिए नए सियासी संकेत देने वाले होंगे।




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कई जगहों पर कम मतदान से बीजेपी नेतृत्व भी चिंतित नजर आया। इस उपचुनाव की खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ढाई साल की सरकार चलाने के बाद उपचुनाव हो रहा है और ऐसे में योगी आदित्यनाथ की कड़ी अग्नि परीक्षा बताई जा रही है। सरकार चलाने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ नेतृत्व में यूपी की 11 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है और स्वाभाविक रूप से इनके परिणाम योगी आदित्यनाथ के कामकाज पर जनता की मुहर लगाए जाने को लेकर है।
यह भी पता चलेगा कि योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में किस प्रकार से काम किया और जनता ने उन्हें कितने नंबर दिया। उपचुनाव के परिणाम से उत्तर प्रदेश की सियासत के नए संदेश भी लोगों के सामने आएंगे कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार और संगठन किस प्रकार से काम किया।
2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया अब जब ढाई साल सरकार के बाद जब 11 सीटों पर चुनाव हुए हैं तो स्वाभाविक रूप से सरकार के कामकाज पर जनता की मुहर लगना उपचुनाव के परिणाम बताने वाले होंगे।
यही नहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के लिए भी उपचुनाव लिटमस टेस्ट की तरह है भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद उप चुनाव हो रहे हैं और संगठन किस प्रकार से काम कर रहा है उसको लेकर भी चुनाव परिणाम नए सियासी संकेत देने वाले होंगे।
बाईट
हरिश्चंद्र श्रीवास्तव, प्रदेश प्रवक्ता भाजपा

2019 के चुनाव से पहले इस प्रकार की चर्चा और व्याख्या हो रही थी कि यह चुनाव सेमीफाइनल होंगे लेकिन जब 2019 के चुनाव हुए तो जनता का पूरा साथ बीजेपी के साथ रहा और यह उपचुनाव जो हो रहे हैं इनमें भी भारतीय जनता पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ी है और बीजेपी सभी चुनाव को चुनौती की तरह हमेशा लेती है हम इन 11 सीटों पर पूरी गंभीरता से चुनाव लड़े हैं और सभी 11 सीटें बीजेपी जीत रही है।



Conclusion:उपचुनाव वाली इन 11 सीटों में भारतीय जनता पार्टी के पास 9 सीटें हैं और समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी की एक एक सीटें रहीं तो कांग्रेस पार्टी का उपचुनाव कुछ भी नहीं रहा। उपचुनाव कांग्रेस किस प्रकार से अपना प्रदर्शन करते हैं यह देखने वाली बात होगी कि उत्तर प्रदेश में आगे किस दिशा में आगे बढ़ रहा है, उपचुनाव के प्रदेश की सियासत संदेश लेकर आएंगे।
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