लखनऊः यूपी की 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. कई जगहों पर कम मतदान से बीजेपी नेतृत्व भी चिंतित नजर आई. इस उपचुनाव की खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ढाई साल की सरकार चलाने के बाद प्रदेश में उपचुनाव हुआ. साथ ही यह भी पता चलेगा कि योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में किस प्रकार से काम किया और जनता ने उन्हें कितने नंबर दिए हैं.
2017 में बीजेपी ने हासिल किया था पूर्ण बहुमत
उपचुनाव के परिणाम से उत्तर प्रदेश की सियासत के नए संदेश भी लोगों के सामने आएंगे. 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया. यही नहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के लिए भी उपचुनाव लिटमस टेस्ट की तरह है.
उपचुनाव के परिणाम से बदल सकती है प्रदेश की राजनीतिक समीकरण
2019 के चुनाव से पहले इस प्रकार की चर्चा और व्याख्या हो रही थी कि यह चुनाव सेमीफाइनल होंगे, लेकिन जब 2019 के चुनाव हुए तो जनता का पूरा साथ बीजेपी के साथ रहा. वहीं यह उपचुनाव जो हुए, इनमें भी भारतीय जनता पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ी है. प्रदेश प्रवक्ता का कहना है कि हम इन 11 सीटों पर पूरी गंभीरता से चुनाव लड़े हैं और सभी 11 सीटें बीजेपी जीत रही है.
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बता दें कि इन 11 सीटों में भारतीय जनता पार्टी के पास 9 सीटें हैं और समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी की एक-एक सीटें रहीं. वहीं कांग्रेस पार्टी उपचुनाव में किस प्रकार से अपना प्रदर्शन करती है. यह देखने वाली बात होगी.