लखनऊः लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा अपार्टमेंट के फ्लैट बेचने के समय किए वादे के अनुसार आवंटियों को सुविधा न देने के मामले में मंगलवार को रेरा कोर्ट ने फटकार लगाई है. इसके साथ ही जुर्माना लगाने का भी आदेश दिया है. गोमतीनगर विस्तार के ग्रीनवुड आई जे ब्लाक मामले में रेरा के आदेश का पालन न करने के आरोप में सेक्शन 63 के तहत एलडीए पर जुर्माना लगाने की कार्रवाई का आदेश जारी हुआ है. पिछले दिनों 06 नबम्बर को रेरा कोर्ट में फैसला सुरक्षित हो गया था. इस मामले में लखनऊ जन कल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने आवंटियों के हक के लिए मामला दर्ज कराया था.
एलडीए की अपील को किया गया खारिज
ग्रीनवुड आई जे ब्लॉक अपार्टमेंट की बुकलेट में किए गए वायदे को पूरा करने को लेकर रेरा के आदेश के खिलाफ एलडीए ने कोर्ट में अपील भी की थी. लेकिन एलडीए की ओर से दायर अपील को पिछले दिनों कोर्ट ने खारिज कर दिया.
एलडीए ने आवंटियों को नहीं दी सुविधाएं
लखनऊ जनकल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि एलडीएल ने बुकलेट में अत्याधुनिक कम्युनिटी सेंटर, पार्क, खिड़कियों में यूपीवीसी स्लाइडिंग सिस्टम, किचन में एग्जास्ट फैन के साथ साथ दर्जन भर ऐसे वायदे किये थे, जिसे पूरा नहीं किया. अपार्टमेंट में फायर सिस्टम चालू नहीं किया, इतना ही नहीं नियमानुसार कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करके खुद एलडीए को सोसाइटी बनानी थी और आवास विकास की तर्ज पर कार्पस फंड एवं मेंटिनेंस शुल्क उसी खाते में जमा करना था. लेकिन यह सब एलडीए ने नहीं किया.
रेरा अध्यक्ष राजीव कुमार ने कार्रवाई का दिया था आदेश
रेरा अध्यक्ष राजीव कुमार ने अपने आदेश में अपार्टमेंट एक्ट के तहत नियमानुसार सोसायटी बनाने और उसके सभी देय जिसमें मेंटिनेंस और कार्पस फंड को ग्रीनवुड आई जे ब्लाक को देने को कहा था. लेकिन एलडीए वायदा पूरा करने के बजाय रेरा अपील में पहुंच गया था. इसी मामले में मंगलवार को फैसला सुनाते हुए रेरा अपील कोर्ट ने एलडीए की अपील को खारिज कर दिया.
अपार्टमेंट के आवंटियों के लिए वरदान होगा आदेश
यह आदेश न सिर्फ ग्रीनवुड बल्कि लखनऊ के सभी एलडीए के अपार्टमेन्ट के आवंटियों को उनका हक दिलाने में वरदान साबित होगा. मामले में पिछले दिनों हुई सुनवाई में रेरा कोर्ट ने फैसला रिजर्व कर लिया था. अपने फैसले में रेरा कोर्ट ने सेक्शन 63 के तहत एलडीए के खिलाफ कार्यवाही के लिए सचिव रेरा को निर्देश दिए हैं. जिसमे कोर्ट के आदेश का पालन न करने के मामले में पूरे प्रोजेक्ट का 5% अर्थदंड लगाने का प्राविधान है.