लखनऊः वरिष्ठ धर्मगुरु और इस्लामिक स्कॉलर स्व. मौलाना कल्बे सादिक़ के इसाले सवाब की मजलिस हज़ारों लोगों की मौजूदगी में रविवार को हुई। चौक स्थित गुफ़्रामाब इमामबाड़े में मौलाना सय्यद सफी हैदर ने मजलिस को सम्बोधित किया. इसमें मौलाना कल्बे सादिक़ के चाहने वाले बड़ी तादाद में शरीक हुए।
डॉ. कल्बे सादिक़ की मजलिस हुई
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष डॉ. कल्बे सादिक़ के इसाले सवाब की मजलिस सैकड़ों अकीदतमंदों की मौजूदगी में चौक स्थित इमामबाड़ा गुफ़्रामाब में हुई। मजलिस की शुरुआत तिलावते कलाम पाक से हुई. इसके बाद डॉ. कल्बे सादिक़ को श्रद्धांजलि पेश की गई।
मौलाना सफी हैदर ने पढ़ाई मजलिस
मौलाना डॉ. कल्बे सादिक की मजलिस को शिया धर्मगरु और तंज़ीमुल मकातिब के अध्यक्ष मौलाना सय्यद सफी हैदर ने सम्बोधित किया। मजलिस को सम्बोधित करते हुए मौलाना ने कहा कि मरहूम इल्म (शिक्षा) के क्षेत्र में किसी से कम नहीं थे, लेकिन गरूर और तकब्बुर से वो कोसों दूर थे। मौलाना सफी हैदर ने कहा की पढ़ो और पढ़ाओ नारक मौलाना कल्बे सादिक़ ने दिया था।
नम आंखों से सोगवारों ने दिया पुरसा
गौरतलब है कि बीते मंगलवार को मौलाना कल्बे सादिक़ का लम्बी बीमारी के बाद एरा मेडिकल कॉलेज में निधन हो गया था। मजलिस के बाद हज़ारों सोगवारों ने कल्बे सादिक़ के बेटों कल्बे हुसैन, कल्बे सिबेतैन नूरी और दामाद नजमी हुसैन को ताज़ियत (शोक) पेश की।
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