लखनऊ : उत्तर प्रदेश में नव चयनित 69 हजार शिक्षकों के वेतन का रास्ता साफ हो गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग को इन शिक्षकों का वेतन जारी करने के निर्देश दिए हैं. इसके बाद विभाग ऑफलाइन वेरीफिकेशन की प्रक्रिया को शिथिल करते हुए वेतन जारी करने की तैयारी कर रहा. जल्द ही इस पर नया आदेश जारी होने की उम्मीद है.
यह है स्थिति
बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन संचालित प्रदेशभर के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में बीते वर्ष शिक्षकों की नियुक्ति की गई. पूर्व निर्धारित प्रक्रिया के तहत नवनियुक्त शिक्षकों के सभी दस्तावेजों का सत्यापन किया जाना है. सत्यापन के बाद ही वेतन का भुगतान किया जा सकता है. लेकिन इसके चलते बीते करीब 7 से 8 महीने से अभ्यर्थियों का वेतन फंसा हुआ है. वे स्कूलों में नौकरी कर रहे हैं लेकिन वेतन नहीं मिल रहा है. अभ्यर्थियों की खराब माली हालत को देखते हुए बेसिक शिक्षा मंत्री की ओर से भी बीते दिनों वेतन भुगतान की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए गए थे.
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नई व्यवस्था में किए जा रहे हैं यह बदलाव
- सभी अभ्यर्थियों को दस्तावेजों के संबंध में एक शपथ पत्र संबंधित जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में देना होगा.
- बेसिक शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि शपथ पत्र के बाद यदि कोई त्रुटि वेरिफिकेशन में आती है तो विभाग FIR कराने के साथ शिक्षकों से वसूली भी कराएगा.
दो चरणों में हुई है भर्ती
- 69000 शिक्षक भर्ती की पहली कॉउंसलिंग 12 अक्टूबर 2020 को हुई थी जिसमें नियुक्ति पत्र 17 अक्टूबर को मिला था.
- दूसरी कॉउंसलिंग 2 से 4 दिसंबर 2020 को हुई थी. इसमें 5 दिसंबर को नव चयनित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र मिला था.
शिक्षक संगठन ने किया फैसले का स्वागत
उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. मांग की है कि 31 मई तक समस्त नवनियुक्त शिक्षकों से शपथपत्र लेकर समस्त बीएसए वेतन भुगतान करने का कार्य पूर्ण करें जिससे कोरोना काल में 7 माह से वेतन से वंचित शिक्षकों को आर्थिक रूप से राहत मिल सकें.