लखनऊ : उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन के लिए बनाए जा रहे नए कानून मोडिलिटी टैरिफ डिटरमिनेशन रेगुलेशन 2022 को अंतिम रूप देते हुए नया कानून बना दिया. अधिसूचना जारी करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को भेज दिया है. उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जहां पर मोडिलिटी टैरिफ रेगुलेशन का कानून बना दिया गया है. अधिसूचना जारी होते ही उत्तर प्रदेश में नया कानून लागू हो जाएगा.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 'अब इस नए कानून में लोक महत्व सहित रणनीतिक महत्व व इमरजेंसी वाले सभी ऐसे मामले जहां 220 केवी या उससे ऊपर के उपकेंद्रों के लिए पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लिमिटेड को टैरिफ बेस कंपटेटिव बिडिंग (टीबीसीबी) में जाने के बजाय स्वयं निर्माण करने की छूट होगी. विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 62 के तहत एक तरह से हरी झंडी मिल गई है. शर्त यह होगी कि ऐसे सभी 220 केवी या उससे ऊपर के ट्रांसमिशन उपकेंद्र जिसका निर्माण खुदबखुद पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन कराना चाहता है उसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार की संस्तुति के साथ उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग से अनुमति लेना जरूरी रहेगा. नए कानून में यह भी प्रावधान कर दिया गया है कि महत्वपूर्ण कार्यों के लिए पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन को 100 करोड़ रुपए तक की लागत वाले निर्माण कार्यों की छूट रहेगी. उन्होंने बताया कि उपभोक्ता परिषद की लंबी लड़ाई का यह भी नतीजा है कि केंद्र सरकार की तरफ से पिछले दिनों हाई प्राइस हेड मार्केट में विदेशी कोयले व गैस आधारित उत्पादन इकाइयों की अधिकतम बिजली बेचने की जो जीरो से रुपया 50 प्रति यूनिट तक का कानून बनाया गया था उस पर भी विद्युत नियामक आयोग ने अपने कानून में कड़ा प्रतिबंध लगा दिया है.'
आयोग ने कहा है कि 'बिजली कंपनियां बिना उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अनुमोदन के 50 रुपए प्रति यूनिट तक वाली बिजली की खरीद नहीं करेंगी. विद्युत नियामक आयोग इस दिशा में उपभोक्ता हित में गुण दोष के आधार पर उपभोक्ता हित में ही निर्णय लेगा.'
यह भी पढ़ें : Umesh Pal murder case: सिम कार्ड के सहारे शूटरों को तलाशने में जुटी एसटीएफ और पुलिस
Electricity Department : नियामक आयोग ने बनाया नया कानून, उत्तर प्रदेश सरकार को भेजी अधिसूचना
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने नया कानून बना दिया (Electricity Department) है. आयोग ने इसकी अधिसूचना जारी करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को भेज दिया है.
लखनऊ : उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन के लिए बनाए जा रहे नए कानून मोडिलिटी टैरिफ डिटरमिनेशन रेगुलेशन 2022 को अंतिम रूप देते हुए नया कानून बना दिया. अधिसूचना जारी करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को भेज दिया है. उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जहां पर मोडिलिटी टैरिफ रेगुलेशन का कानून बना दिया गया है. अधिसूचना जारी होते ही उत्तर प्रदेश में नया कानून लागू हो जाएगा.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 'अब इस नए कानून में लोक महत्व सहित रणनीतिक महत्व व इमरजेंसी वाले सभी ऐसे मामले जहां 220 केवी या उससे ऊपर के उपकेंद्रों के लिए पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लिमिटेड को टैरिफ बेस कंपटेटिव बिडिंग (टीबीसीबी) में जाने के बजाय स्वयं निर्माण करने की छूट होगी. विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 62 के तहत एक तरह से हरी झंडी मिल गई है. शर्त यह होगी कि ऐसे सभी 220 केवी या उससे ऊपर के ट्रांसमिशन उपकेंद्र जिसका निर्माण खुदबखुद पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन कराना चाहता है उसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार की संस्तुति के साथ उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग से अनुमति लेना जरूरी रहेगा. नए कानून में यह भी प्रावधान कर दिया गया है कि महत्वपूर्ण कार्यों के लिए पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन को 100 करोड़ रुपए तक की लागत वाले निर्माण कार्यों की छूट रहेगी. उन्होंने बताया कि उपभोक्ता परिषद की लंबी लड़ाई का यह भी नतीजा है कि केंद्र सरकार की तरफ से पिछले दिनों हाई प्राइस हेड मार्केट में विदेशी कोयले व गैस आधारित उत्पादन इकाइयों की अधिकतम बिजली बेचने की जो जीरो से रुपया 50 प्रति यूनिट तक का कानून बनाया गया था उस पर भी विद्युत नियामक आयोग ने अपने कानून में कड़ा प्रतिबंध लगा दिया है.'
आयोग ने कहा है कि 'बिजली कंपनियां बिना उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अनुमोदन के 50 रुपए प्रति यूनिट तक वाली बिजली की खरीद नहीं करेंगी. विद्युत नियामक आयोग इस दिशा में उपभोक्ता हित में गुण दोष के आधार पर उपभोक्ता हित में ही निर्णय लेगा.'
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