लखनऊ: यूपी में क्लीनिक इस्टेबलिशमेंट एक्ट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) के 12 साल हो चुके हैं. वर्ष 2010 से डंप पड़े कानून को अब सरकार लागू करने जा रही है. इसके लिए जिला स्तर पर रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण का गठन हो गया है. इसमें शामिल सदस्य कानून में तय मानक होने पर ही अस्पतालों का पंजीकरण पर मुहर लगाएंगे. 31 मार्च से पुराना नियम निष्क्रिय हो जाएगा.
50 बेड के अस्पताल कराएं दोबारा पंजीकरण: अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने पहले 30 बेड या उससे अधिक सभी अस्पतालों को नए कानून के तहत पंजीकरण कराने का नियम जारी किया था. 15 दिसम्बर 2021 से पंजीकरण के लिए पोर्टल खोलने का दावा किया. इसके बाद नर्सिंग होम संचालकों ने विरोध किया. इसके बाद सरकार व संचालकों की वार्ता हुई. अब नया नियम 50 या उससे अधिक बेड वाले अस्पताल पर लागू होगा.
31 मार्च को निरस्त हो जाएंगे पुराने पंजीकरण: राज्य में प्राइवेट अस्पतालों की संख्या 12,468 के करीब हैं. यह 10 बेड से लेकर 400 बेड तक के हैं. ऐसे में 50 बेड व उससे ऊपर तक के अस्पतालों को पुराना पंजीकरण 31 मार्च 2022 को समाप्त हो जाएगा.
अब मानक करने होंगे पूरे: अभी तक राज्य में अस्पतालों का पंजीकरण वर्ष 2003 के एक कोर्ट के आदेश पर होता था. उसका कोई पंजीकरण शुल्क भी नहीं होता था. यह अधिकार सीएमओ के पास था. वहीं, नए नियम में डीएम मुहर लगाएंगे. इसके अलावा अस्पतालों को बायोमेडिकल वेस्ट, फायर सिस्टम समेत सभी मानक पूरे करने होंगे.
जिला स्तर पर यह अफसर नामित: सरकार ने हर जनपद में जिला रजिस्ट्री प्राधिकरण का गठन किया है. इसमें जिला अधिकारी अध्यक्ष होंगे. मुख्य चिकित्सा अधिकारी सचिव नामित किए गए हैं. इसके अलावा सदस्य के तौर पर अपर जिलाधिकारी, अध्यक्ष इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और अपर पुलिस अधीक्षक सदस्य होंगे.
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