लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बारे में कहा जाता है कि यहां बच्चे बाल्यावस्था में ही सियासी दांव-पेंच सीख जाते हैं. यहां शहरी चौक चौराहों से लेकर गांव की पगडंडियों तक पर चलने वाला शख्स आपको सियासी पंडित से कम नहीं लगेगा. हर एक शख्स आपको दूसरे से जुदा और तर्क की कसौटी पर खरा जान पड़ेगा, यानी यहां के लोगों की कंवेन्सिंग क्षमता दूसरे राज्यों के बाशिंदों की तुलना में कहीं अधिक है. शायद यही कारण है कि शुरू से ही उत्तर प्रदेश के लोगों का राजनीति की ओर झुकाव रहा है. वहीं, हाल के कुछ वर्षों में यहां के लोगों का राजनीति में रुझान बढ़ा है और इसी का प्रतिफल है कि लोग अपनी बातों को रखने के लिए राजनीतिक पार्टियां बना रहे हैं.
खैर, आप जान कर हैरान रह जाएंगे कि यूपी में देश की सबसे अधिक 653 गैर मान्यता प्राप्त पार्टियां हैं. वहीं, 2019 के पंजीकरण के मुताबिक देश में सियासी पार्टियों की संख्या 2,301 पहुंच गई है. इससे पहले 2010 में कुल 1,112 सियासी पार्टियां थीं. वहीं, अगर हम सियासी पार्टियों को मिलने वाले चंदे की बात करें तो आपको कोई यह जान कर हैरानी होगी कि सूबे की "अपना देश पार्टी" को सबसे अधिक चंदा मिला है और यह राशि करीब 65.63 करोड़ रुपये है.
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दरअसल, उक्त जानकारी गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR ) की जारी एक सार्वजनिक रिपोर्ट के माध्यम से सामने आई है. इसके अलावा रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि देश में पंजीकृत पर गैर मान्यता प्राप्त सियासी पार्टियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
ताजा जानकारी के मुताबिक 2010 में ऐसी पार्टियों की संख्या 1,112 थीं, लेकिन 2019 आते-आते इनकी संख्या बढ़कर 2,301 पहुंच गई. यानी एक दशक में यह संख्या दोगुनी हो गई. और कमाल की बात तो यह है कि यूपी में बीते नौ वर्षों में 653 नई पार्टियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है. लेकिन ये सभी पार्टियां गैर मान्यता प्राप्त सियासी पार्टियों की सूची में हैं.
हालांकि, ताजा जानकारी के मुताबिक जहां देश में गैर मान्यता प्राप्त सियासी पार्टियों की संख्या 2,301 है, वहीं उत्तर प्रदेश में ऐसी पार्टियों की संख्या तेजी से बढ़ी है. सियासी जानकार व विश्लेषक प्रोफेसर ललित कुचालिया की मानें तो सूबे में गैर मान्यता प्राप्त सियासी पार्टियों में करीब 28 फीसद का इजाफा हुआ है. ऐसे में गैर मान्यता प्राप्त सियासी पार्टियों की सूची में यूपी टॉप पर है तो दूसरे स्थान पर 291 पार्टियों के साथ राजधानी दिल्ली का नाम है. हालांकि, इस सूची में शामिल तमिलनाडु 184 पार्टियों के साथ तीसरे पायदान पर बना है.
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आपको बता दें कि गैर मान्यता प्राप्त पार्टियों की श्रेणी में उन सियासी पार्टियों को रखा जाता है, जिनका रजिस्ट्रेशन हाल फिलहाल में हुआ हो या जिन्हें विधानसभा या फिर लोकसभा चुनाव में इतने वोट नहीं मिले कि उन्हें राज्य स्तरीय पार्टियों की सूची में रखा जा सके.
रिपोर्ट में मिला चंदे का उल्लेख
दरअसल, चुनाव आयोग ने एक अक्तूबर, 2014 से गैर मान्यता प्राप्त पार्टियों के चुनावी खर्च और पार्टी फंड में ट्रांसपेरेंसी व जवाबदेही सुनिश्चित करने को दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इसके तहत इन पार्टियों को सूबे के मुख्य चुनाव आयुक्त को चंदे और खर्च से संबंधित रिपोर्ट देनी होती हैं और ये रिपोर्ट हर वर्ष 30 सितंबर को वार्षिक चंदा रिपोर्ट के रूप में पेश करनी होती है.
इस पार्टी को मिला सबसे अधिक चंदा
शायद आप उस पार्टी का नाम सुनकर हैरान रह जाएंगे, जिसे सूबे में सबसे अधिक चंदा मिला है. जी हां, इस पार्टी का नाम "अपना देश पार्टी" है और चंदे की रकम पाने में यह पार्टी अन्य सियासी पार्टियों की तुलना में कहीं अधिक भाग्यशाली रही है. गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के वर्ष 2017-18 व 2018-19 में सबसे अधिक उसे 4,300 लोगों ने 65.63 करोड़ रुपया चंदा दिया.
यानी हर शख्स ने औसतन डेढ़ लाख रुपये चंदा दिया है. हालांकि, ये आंकड़ा इन दो वित्त वर्षों में आए कुल चंदा की राशि का करीब 72.88 फीसद है. वहीं, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि उत्तर प्रदेश के 653 गैर मान्यता प्राप्त सियासी पार्टियों में से 2018-19 में सिर्फ 20 पार्टियों और वर्ष 2017-18 के दौरान केवल 11 पार्टियों ने ही रिपोर्ट उपलब्ध कराई है.
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