लखनऊः मथुरा जिले में हुए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (EOW) या एसआईटी से कराने की सिफारिश की गई है. समाज कल्याण के निदेशक राकेश कुमार ने शासन को भेजे पत्र में कहा है कि विभागीय स्तर पर सीमित समय में यह जांच संभव नहीं है. छात्रवृत्ति घोटाले में निजी फार्मेसी संस्थान, आयुर्वेद, यूनानी पाठ्यक्रमों को संचालित करने वाले संस्थान B.Ed संस्थान और निजी महाविद्यालय के खिलाफ भी गंभीर अनियमितता की शिकायत पाई गई है. इसलिए पूरे मामले की जांच के बाद ही पता चल सकेगा कि इस घोटाले में कौन-कौन लोग शामिल हैं.
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समाज कल्याण के निदेशक ने शासन को भेजा पत्र
मथुरा में आईआईटी और पॉलिटेक्निक संस्थानों में 2015-16 से लेकर 2019-20 तक शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति के तहत 22.99 करोड़ दिए गए थे. जिसमें 9.62 करोड़ रुपये का गबन सामने आया है. मथुरा में पैरामेडिकल, जीएनएम और एएनएम पाठ्यक्रम संचालित करने वाले निजी संस्थानों में भी करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति की अनिमितता के मामले भी सामने आए हैं. इस पूरे मामले पर समाज कल्याण के निदेशक राकेश कुमार ने शासन को एक पत्र भेजा है और इस पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू या एसआईटी से कराने की सिफारिश की है.
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