लखनऊ: उत्तर प्रदेश समेत देशभर में कोरोना वायरस महामारी का तांडव किसी से छिपा हुआ नहीं है वहीं योगी सरकार और उनके अधिकारियों की मानें तो उन्होंने कोरोना वायरस की स्थिति पर नियंत्रण पा लिया है. गांव में पहुंचकर जिस तरीके से कोरोना तबाही मचाना शुरू कर चुका है. ऐसे में गांव की व्यवस्थाओं पर जो सरकारी ताल ठोकी जा रही है. उसका ईटीवी भारत ने एक्सक्लूसिव रियलिटी चेक किया देखे आप भी खास रिपोर्ट.
कोरोना की दूसरी लहर में सरकारी व्यवस्थाओं का मजबूत ढांचा ताश के पत्तों की तरह बिखर गया. सरकार अपनी उसी छवि को अब दोबारा बनाने की कोशिश में जुटी हुई है. भले ही सरकार को उसके लिए मौत के आंकड़े भी क्यों न छिपाने पड़े.
कब्रिस्तान में दफनाए जा रही लाशें और श्मशान में जलाई जा रही इंसानियत को कोई अपने मोबाइल फोन के कैमरे में कैद न कर ले और आने वाले समय में सरकार से सवाल न पूछा जाए इस वजह से श्मशान और कब्रिस्तान को टीन की चादरों से ढकने का बीड़ा नगर निगम को सरकार ने दे दिया. फिर क्या था सरकारी कर्मचारी और अधिकारी भी सरकार की छवि बचाने में जुट गए तो इंसान और इंसानियत को भला बचाने की कौन सोचे.
शहर में तबाही मचाने के बाद कोरोना ने अब अपना रुख गांव की ओर मोड़ लिया है. शहरी क्षेत्रों में तो मीडिया के बड़े-बड़े कैमरों की कवरेज के डर से सरकार कुछ बहुत टेस्टिंग और मौत के आंकड़े पेश कर रही है, लेकिन गांवों में तो यह प्रक्रिया भी शुरू करने की जहमत नहीं उठाई जा रही. सरकार भले ही यह दावा कर रही हो कि उसने रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया है जो गांव-गांव गली-गली घर घर जाकर लोगों से बात करेगी और मरीजों को चिन्हित कर उनका इलाज किया जाएगा साथ ही साथ गांव में सैनिटाइजेशन भी करवाया जाएगा. सरकारी अधिकारी हो या कर्मचारी सभी अपनी गाड़ियों में बैठकर दौरे करने में लगे हुए हैं. क्योंकि प्रदेश के मुखिया भी आजकल प्रदेशभर के जिलों के दौरे कर रहे हैं.
रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तक नहीं जानते ग्रामीण
रियलिटी चेक के लिए ईटीवी भारत की टीम राजधानी से 45 किलोमीटर दूर गांव पहुंची. जहां गांव के लोगों से बातचीत में सरकारी वादों की पोल खुलती नजर आई. नेशनल हाईवे से मात्र 700 मीटर अंदर आने पर गांव और आसपास के क्षेत्रों से पता चला कि वहां कई लोगों की मृत्यु तो हुई, लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि उन सभी की मौत कोरोना वायरस की वजह से हुई है. क्योंकि टेस्टिंग तो यहां कराई नहीं जा रही. लोगों को यह तक नहीं पता कि टेस्टिंग कहां हो रही है. वहीं, कोरोना वायरस वैक्सीनेशन को लेकर जिस तरीके से सरकार ढोल बजा रही है. गांव में रहने वाले लोग उसके रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तक नहीं जानते.
ग्रामीणों से बातचीत में पता चला कि कुछ दिन पहले गांव में करीब 10-15 लोगों की तबीयत खराब हो गई थी. लेकिन व्यवस्थाएं लचर होने के कारण सरकारी गाड़ी इन लोगों को इलाज के लिए ले जाने के लिए नहीं पहुंच सकी. बताया गया कि नेशनल हाईवे से 700 मीटर दूर स्थित गांव की दूरी बहुत ज्यादा है.
फिलहाल सरकार कह रही है कि हम काम कर रहे हैं तो हमें मानना भी चाहिए. क्योंकि उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट ने भी यह बता दिया है कि प्रदेश के गांवों में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं अब राम भरोसे हैं और सरकार को भगवान श्री राम पर कितना भरोसा है यह बताने की हमें जरूरत नहीं.
भले ही सरकार चाहे लाख दावे कर ले लेकिन सच्चाई झूठ के परदों के पीछे छिप नहीं सकती. एक्सक्लूसिव ग्राउंड रिपोर्ट में पाया गया कि किस तरीके से सरकारी दावों की पोल खुल रही है. लोगों को यह तक जानकारी नहीं कि उन्हें कोरोना की जांच कहां करवानी है और किस तरीके से खुद को वैक्सीनेट करवाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना है. फिलहाल उत्तर प्रदेश के लिए हाईकोर्ट की बात में दम है कि गांव की स्वास्थ्य व्यवस्था सचमुच राम भरोसे ही है.
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