मध्य प्रदेश/ बैतूल: जो अपनी नींद भूलाकर हमें सुलाते हैं, अपने आंसू गिराकर हमें हसांते हैं, ऐसे मां-बाप के चेहरे पर अगर आप मुस्कुराहट ला सकें, तो समझ लेना आप दुनिया के सबसे अमीर शख्स हैं. रिश्तों को एक सूत्र में पिरोए रखने के लिए परिवार की छोटी-छोटी खुशियों का ख्याल रखना पड़ता है और जब बात मां-बाप की शादी की 70वीं वर्षगांठ की हो तो खुशियों में चार चांद लग जाते हैं. मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के गुनखेड़ गांव में 90 साल के श्रीपतराव और 87 वर्षीय भागीरथी की शादी की सालगिरह पर न सिर्फ फेरे हुए, बल्कि इस जोड़े को बग्गी में बैठाकर बाकायदा बारात भी निकाली गई. इस दौरान पूरा गांव बैंड-बाजों की धुन पर थिरकता नजर आया.
वृद्ध जोड़े की बारात में झूमें बाराती
मामला बैतूल जिले के छोटे से गांव गुनखेड़ का है. जहां गुरुवार की शाम एक वृद्ध जोड़े की बारात निकाली गई. इस जोड़े की शादी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है. बग्गी में बैठे इस जोड़े को जिसने भी देखा हैरान रह गया, लेकिन जब लोगों को हकीकत पता चली तो सभी ने इसकी खूब तारीफ की. साथ ही उनकी खुशियों में शामिल भी हुए. पूरा गांव श्रीपतराव और भागीरथी की शादी में नाच-गाने के साथ मस्ती में झूमता नजर आया.
70वीं वैवाहिक वर्षगांठ में बेटे ने दिया अनोखा तोहफा
यह आयोजन इस जोड़े की 70वीं वैवाहिक वर्षगांठ पर उनके बेटे मंचित चढ़ोकार ने किया था. भोपाल में ई-गवर्नेंस कंसल्टेंट मंचित का कहना है कि उनके मां-बाप ने गरीबी की हालात में भी उनकी अच्छी परवरिश की है. माता-पिता की 70वीं सालगिरह को यादगार बनाने के लिए उनकी फिर से शादी कराई. इस दौरान सारे रिश्तेदारों को न्योता दिया गया और सारे गांव को आमंत्रित कर शादी की रश्में निभाई गईं.
1950 में हुई श्रीपतराव और भागीरथी की शादी
मंचित कहते हैं कि गरीबी के दिनों उनके माता-पिता नें बहुत संघर्ष कर उनको पाल पोसकर बढ़ा किया है. मां-बाप का कर्ज हम कभी नहीं चुका सकते हैं, लेकिन उनके चेहरे की मुस्कुराट की एक छोटी सी कोशिश तो कर सकते हैं. अपनी खुशी जाहिर करते हुए जोड़े ने कहा कि हमारी शादी दिसम्बर 1950 में हुई थी. अब ऐसा लग रहा है कि समय का पहिया उल्टा घूम गया है. दंपति बेटे द्वारा दिए गए इस नायाब तोहफे से काफी खुश हैं.
आदर्श बेटे का नायाब तोहफा
माता-पिता की शादी की वर्षगांठ पर मंचित द्वारा दिया गया यह नायाब तोहफा समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश है. आज के समय में जब कुछ लोग अपने मां-बाप को अपने साथ रखने से भी कतराते हैं, ऐसे लोगों को मंचित जैसे शख्स से सीखना चाहिए. उन्हें याद करना चाहिए कि मां-बाप ने कितनी तकलीफें सहकर उन्हें पाला-पोसा है. जो मां-बाप खुद भूखे रहकर बच्चों को भरपेट खाना खिलाते हैं, वही बच्चें बड़े होने पर उन्हें दो वक्त की रोटी तक नहीं देते हैं. ऐसे वक्त में मंचित ने अपने मां-बाप की खुशियों में चार चांद लगाकर एक आदर्श बेटा बनकर दिखाया है.