लखनऊ: राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने कानपुर में अपहृत युवक संजीत यादव की हत्या की घटना को सरकार और पुलिस पर बदनुमा दाग बताया. उन्होंने कहा कि अपहरण करके अपहृत युवक की निर्मम हत्या बहुत दुखद है. गाजियाबाद में विक्रम जोशी की हत्या के बाद अब कानपुर की घटना है, जिसमें पुलिस ने अपहरणकर्ताओं को पैसे भी दिलवाए और हत्या भी हो गई.
सीएम योगी से सहायता की मांग
रालोद प्रवक्ता ने कहा कि इस घटना से आम जनजीवन की सुरक्षा पर प्रश्न चिह्न लग गया है, क्योंकि सुरक्षा का उत्तरदायित्व निभाने वाली पुलिस ही अपराधियों से सांठ-गांठ की भूमिका में नजर आती है. पुलिस जनता की रक्षक के बजाय भक्षक बन जाती है. उन्होंने सीएम योगी से मृतक युवक के परिवार को 50 लाख की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है. साथ ही फिरौती की रकम भी वापस दिलाने की मांग की है.
बता दें कि कानपुर के संजीत यादव हत्याकांड में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं. विभिन्न राजनीतिक दल प्रदेश की योगी सरकार को इस मुद्दे पर घेरने में जुटे हुए हैं. वहीं कानपुर पुलिस की कार्रवाई पर संदेह भी जता रहे हैं. कांग्रेस पार्टी ने कानपुर की घटना पर आक्रोश जाहिर करते हुए प्रदेश भर में सरकार का पिंडदान और श्राद्ध का कार्यक्रम आयोजित कर सरकार से तत्काल इस्तीफा देने की मांग की.
समाजवादी पार्टी ने भी इस हत्याकांड पर पुलिस की कार्रवाई पर संशय जताया है. सपा ने योगी सरकार को अपराध पर कंट्रोल न कर पाने में पूरी तरह नाकाम बताया है और इस्तीफे की मांग की है.
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भी इस घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग प्रदेश सरकार से की है. आम आदमी पार्टी ने भी इस घटना पर सरकार को घेरने का काम किया. पुलिस अधिकारियों पर कोई कड़ा एक्शन न लेने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधा गया.
क्या है कानपुर की घटना
कानपुर के बर्रा लैब टेक्नीशियन संजीत यादव बीती 22 जून को लापता हो गए थे. अगले दिन परिजनों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. 26 जून को एसएसपी के आदेश पर राहुल यादव पर नामजद अपहरण की रिपोर्ट दर्ज की गई. 29 जून को अपहरणकर्ताओं ने 30 लाख की फिरौती के लिए परिजनों को फोन किया.
13 जुलाई को परिजनों ने अपहरणकर्ताओं के कहने पर 30 लाख रुपये से भरा बैग गुजैनी पुल से नीचे फेंक दिया. 14 जुलाई को संजीत का घर न लौटने पर परिजनों ने एसएसपी कार्यालय और आईजी जोन से मामले की शिकायत की थी. 22 जुलाई को पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर और दोस्तों से पूछताछ की तो अगले दिन चार अभियुक्तों को पुलिस ने धर दबोचा.
अपहरणकांड में 31 वें दिन यानी गुरुवार रात खुलासा हुआ कि संजीत की हत्या कर दी गई है. पुलिस ने चार आरोपितों को पकड़ लिया है, लेकिन अभी तक शव नहीं मिला है. संजीत के परिजनों का कहना है कि अपहरणकर्ताओं ने पुलिस को 26 बार फोन किया था, फिर भी सर्विलांस टीम उन्हें ट्रेस नहीं कर पाई. हालांकि पुलिस ने अपहरणकर्ताओं के मोबाइल रिचार्ज करने वाले दुकानदार को पकड़कर जरूर अपनी पीठ थपथपा ली, लेकिन इससे ज्यादा पुलिस कुछ भी नहीं कर सकी. इस किडनैपिंग केस में पुलिस पर अपहरणकर्ताओं को पैसे दिलवाने का आरोप लगा है. इस मामले में लापरवाही के कारण 11 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है.