लखनऊ : उत्तर प्रदेश में लगभग मृतप्राय हो चुकी राष्ट्रीय लोक दल को पंचायत चुनाव ने संजीवनी प्रदान की है. इन चुनावों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी को एक बार फिर से जिंदा कर दिया है. उम्मीद के मुताबिक पंचायत चुनाव में पार्टी ने प्रदर्शन किया है और इसे पार्टी नेता अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बेहतर परिणाम के रूप में देख रहे हैं. किसान आंदोलन में किसानों की मुखर आवाज उठाने का फायदा निश्चित तौर पर राष्ट्रीय लोक दल को हुआ है. पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में नए सिरे से जोश पैदा हो गया है.
किसान आंदोलन ने दी ऑक्सीजन
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव संपन्न हो गए हैं. पार्टियों की मेहनत का परिणाम सामने आ गया है. जहां उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है, वहीं कदम से कदम मिलाकर चलने वाली राष्ट्रीय लोक दल ने भी आशानुरूप सफलता हासिल की है. वैसे तो पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी का नल सूख गया था, लेकिन किसान आंदोलन ने जिन उम्मीदों पर पानी फिर गया था, उन्हें एक बार फिर से जगा दिया है. पार्टी नेताओं का मानना है कि पंचायत चुनाव से साबित हो गया है कि पार्टी की खोई हुई जमीन फिर से वापस हो गई है. जिला पंचायत सदस्य की 65 से ज्यादा सीटें राष्ट्रीय लोक दल ने जीत ली हैं. इतना ही नहीं, अब पार्टी कई जगह पर अध्यक्ष के पद पर भी अपना दावा पेश कर रही है.
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लोकसभा चुनाव में मिली थी बुरी हार
राष्ट्रीय लोक दल की राजनीति पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक खास स्थान रखती थी, लेकिन पार्टी के समीकरण ऐसे गड़बड़ाए कि राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह और उनके बेटे व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी भी अपनी सीट नहीं बचा पाए. लोकसभा चुनाव में पार्टी के सारे समीकरण बिगड़ गए, लेकिन इसी दौरान कृषि कानूनों को लेकर किसान सड़क पर उतर पड़े और रालोद को मौका मिल गया. किसानों के पक्ष में खड़े होकर रालोद के नेताओं ने आवाज बुलंद की और इसी का नतीजा पंचायत चुनाव में सामने आ गया. पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया और ऐसे जिलों में भी सीटें हासिल कीं जहां पर उम्मीद न के बराबर थी.
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किसान और जनता रालोद के साथ