लखनऊ: भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आस्था नाट्य कला रंगमंडल समिति की ओर से तीन दिवसीय नाट्य समारोह में हिंदी नाटक 'रंगबाज रसिया' का मंचन 3 फरवरी को किया गया. कशिश आर्ट एवं वेलफेयर सोसाइटी की व्यंगात्मक प्रस्तुति का शानदार मंचन गोमतीनगर स्थित संगीत नाटक अकादमी के वाल्मीकि प्रेक्षागृह में हुआ. नाट्य समारोह के दूसरे दिन 'रंगबाज रसिया' नाट्य प्रस्तुति से अव्यवस्थाओं को उजागर किया गया.
'स्वर्ग में पहुंचकर युवक ने की चालाकी'
रंगकर्मी युवक जिसका नाम अनमोल उर्फ रंगबाज रसिया है, जिसकी पृथ्वी पर मौत हो जाती है और वह स्वर्ग पहुंचता है, जहां पर सन्नाटा पसरा हुआ है. इतना ही नहीं एक सिंहासन छोड़कर कुछ भी नहीं है. युवक ने जब वहां के प्रहरी से पता किया तो पता चला कि वहां सभी देवता मनोरंजन करने में व्यस्त हैं. इसके बाद उसके मन मे चालाकी सूझती है. बाद में उसकी चालाकी खुलती और वह पकड़ा जाता है. उसने क्षमा मांगते हुए कहता है कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए चालाकी की थी. मुकेश वर्मा ने किया निर्देशन, नाटक का लेखन और निर्देशन मुकेश वर्मा ने किया. जबकि मुख्य विष्णु , ठाकुर देवेंद्र, देवराम और अनन्या ठाकुर ने मुख्य भूमिका निभाई.
नाटक 'रंगबाज रसिया' से की अव्यवस्थाओं पर चोट - theatrical festival in lucknow
राजधानी लखनऊ में संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से नाटक 'रंगबाज़ रसिया' का मंचन किया गया. गोमतीनगर स्थित संगीत नाटक अकादमी के वाल्मीकि प्रेक्षागृह में 'रंगबाज रसिया' नाट्य प्रस्तुति से अव्यवस्थाओं को उजागर किया गया.
लखनऊ: भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आस्था नाट्य कला रंगमंडल समिति की ओर से तीन दिवसीय नाट्य समारोह में हिंदी नाटक 'रंगबाज रसिया' का मंचन 3 फरवरी को किया गया. कशिश आर्ट एवं वेलफेयर सोसाइटी की व्यंगात्मक प्रस्तुति का शानदार मंचन गोमतीनगर स्थित संगीत नाटक अकादमी के वाल्मीकि प्रेक्षागृह में हुआ. नाट्य समारोह के दूसरे दिन 'रंगबाज रसिया' नाट्य प्रस्तुति से अव्यवस्थाओं को उजागर किया गया.
'स्वर्ग में पहुंचकर युवक ने की चालाकी'
रंगकर्मी युवक जिसका नाम अनमोल उर्फ रंगबाज रसिया है, जिसकी पृथ्वी पर मौत हो जाती है और वह स्वर्ग पहुंचता है, जहां पर सन्नाटा पसरा हुआ है. इतना ही नहीं एक सिंहासन छोड़कर कुछ भी नहीं है. युवक ने जब वहां के प्रहरी से पता किया तो पता चला कि वहां सभी देवता मनोरंजन करने में व्यस्त हैं. इसके बाद उसके मन मे चालाकी सूझती है. बाद में उसकी चालाकी खुलती और वह पकड़ा जाता है. उसने क्षमा मांगते हुए कहता है कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए चालाकी की थी. मुकेश वर्मा ने किया निर्देशन, नाटक का लेखन और निर्देशन मुकेश वर्मा ने किया. जबकि मुख्य विष्णु , ठाकुर देवेंद्र, देवराम और अनन्या ठाकुर ने मुख्य भूमिका निभाई.