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कोरोना पर नियंत्रण के लिए प्रदेश में रैंडम चेकिंग बढ़ाने के निर्देश

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Published : Jun 20, 2020, 5:39 PM IST

उत्तर प्रदेश में अब कोरोना संक्रमण की रैंडम चेकिंग करवाई जा रही है. पिछले दिनों श्रमिकों, वृद्धाश्रमों और बाल एवं महिला संरक्षण गृहों में रैंडम चेकिंग की गई. सीएम ने रैंडम चेकिंग को अनिवार्य बताया है.

लखनऊ
अवनीश अवस्थी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए अब रैंडम चेकिंग पर जोर दिया जा रहा है. श्रमिकों, वृद्धाश्रमों, बाल एवं महिला संरक्षण गृहों में कोरोना की रैंडम जांच करवाई जा रही है. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि कोरोना मुक्त उत्तर प्रदेश बनाने के लिए रैंडम जांच अनिवार्य है. इसके साथ ही सभी अस्पतालों में कोरोना हेल्प डेस्क स्थापित किये जाने पर भी उनका जोर है.

अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री का स्पष्ट निर्देश है कि रैंडम चेकिंग मजबूती से की जाए. इस रैंडम चेकिंग में नई विधि भी आई है, जो आईसीएमआर ने जारी की है. नई विधि के बारे में स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग को लागू करने के निर्देश दिए गए हैं. मुख्यमंत्री ने अस्पतालों को प्राथमिकता के तौर पर वहां कोविड हेल्प डेस्क स्थापित किए जाने के निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग ने हर सीएचसी, पीएचसी, अस्पताल एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अपने यहां हेल्प डेस्क स्थापित करने का निर्देश दिया है.

कोविड हेल्प डेस्क पर सुबह 8 से रात 8 बजे तक स्टाफ की ड्यूटी रहेगी. पल्स ऑक्सीमीटर, इंफ्रारेड थर्मामीटर, सैनिटाइजर जैसी चीजें वहां रखी जाएंगी. मंडलायुक्त और जिलाधिकारी हेल्प डेस्क व्यवस्था की समीक्षा करेंगे. राजस्व विभाग अपनी तहसीलों पर और महत्वपूर्ण कार्यालयों पर हेल्प डेस्क स्थापित करेगा. इसी तरह से सभी जिलों में कोविड हेल्प डेस्क बनाकर लोगों को कोरोना के बारे में जानकारी दी जाएगी.

यूपी में अब तक कोरोना के 17,135 मामले आए सामने

उत्तर प्रदेश में अब तक 17,135 कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं. अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि कोरोना के 6237 एक्टिव केस हैं. वहीं डिस्चार्ज किए जा चुके लोगों की संख्या 10,369 है. उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण से 529 लोगों की मृत्यु हुई है. आइसोलेशन वार्ड में 6239 लोगों को रखा गया है, जिनका विभिन्न अस्पतालों और चिकित्सा महाविद्यालयों में इलाज किया जा रहा है. फैसिलिटी क्वारेंटाइन में 7062 लोगों को रखा गया है. फैसिलिटी क्वारेंटाइन में रखे गए लोगों का सैंपल लेकर जांच करवायी जा रही है. शुक्रवार को प्रदेश में 14,048 सैंपल की जांच की गई. प्रदेश में अब तक 5 लाख 42 हजार 972 लोगों की जांच की जा चुकी है.

वृद्धाश्रम, बाल गृह, महिला संरक्षण गृहों में रहने वाले लोगों की सैंपलिंग की गई. 75 में से तीन जिलों सुलतानपुर, कुशीनगर और जालौन के वृद्धाश्रम में पॉजिटिव केस सामने आए हैं. बाकी किसी भी जिले के वृद्धाश्रम में कोई कोरोना संक्रमित मरीज नहीं पाया गया है. इसके साथ ही तत्काल इन जिलों को सतर्क कर दिया गया है और रैंडम टेस्टिंग करवाई गई. इसी तरह से बाल गृह और बालिका संरक्षण गृह में भी पूरे प्रदेश में रैंडम सैंपलिंग करवाई गई. इसमें मेरठ और कानपुर नगर में संक्रमण सामने आया है. अब उन आश्रय स्थलों में रहने वाले सभी लोगों की जांच करवाए जाने के निर्देश दिए गए हैं. जो लोग संक्रमित पाए गए हैं, उनके इलाज के लिए जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

एसिंप्टोमैटिक मरीज से दूसरों को कम खतरा

वहीं एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि एसिंप्टोमैटिक केस (बिना लक्षण के कोरोना मरीज) में संक्रमित मरीज 10 दिन के बाद किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर सकता है. आईसीएमआर के नए नियमों के तहत एक शासनादेश जारी किया गया है. अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि इसमें डिस्चार्ज करने की पॉलिसी में बदलाव लाया गया है. एसिंप्टोमैटिक कोरोना संक्रमित लोगों को बिना जांच के 10 दिन के अंदर घर भेज दिया जाएगा. उन्हें सात दिनों तक अपने घर पर होम क्वारेंटाइन रहना होगा. उन्होंने बताया कि एसिंप्टोमैटिक केस में नई जानकारी सामने आई है कि ऐसे लोग 10 दिनों के बाद दूसरे को संक्रमित नहीं करते हैं.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए अब रैंडम चेकिंग पर जोर दिया जा रहा है. श्रमिकों, वृद्धाश्रमों, बाल एवं महिला संरक्षण गृहों में कोरोना की रैंडम जांच करवाई जा रही है. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि कोरोना मुक्त उत्तर प्रदेश बनाने के लिए रैंडम जांच अनिवार्य है. इसके साथ ही सभी अस्पतालों में कोरोना हेल्प डेस्क स्थापित किये जाने पर भी उनका जोर है.

अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री का स्पष्ट निर्देश है कि रैंडम चेकिंग मजबूती से की जाए. इस रैंडम चेकिंग में नई विधि भी आई है, जो आईसीएमआर ने जारी की है. नई विधि के बारे में स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग को लागू करने के निर्देश दिए गए हैं. मुख्यमंत्री ने अस्पतालों को प्राथमिकता के तौर पर वहां कोविड हेल्प डेस्क स्थापित किए जाने के निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग ने हर सीएचसी, पीएचसी, अस्पताल एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अपने यहां हेल्प डेस्क स्थापित करने का निर्देश दिया है.

कोविड हेल्प डेस्क पर सुबह 8 से रात 8 बजे तक स्टाफ की ड्यूटी रहेगी. पल्स ऑक्सीमीटर, इंफ्रारेड थर्मामीटर, सैनिटाइजर जैसी चीजें वहां रखी जाएंगी. मंडलायुक्त और जिलाधिकारी हेल्प डेस्क व्यवस्था की समीक्षा करेंगे. राजस्व विभाग अपनी तहसीलों पर और महत्वपूर्ण कार्यालयों पर हेल्प डेस्क स्थापित करेगा. इसी तरह से सभी जिलों में कोविड हेल्प डेस्क बनाकर लोगों को कोरोना के बारे में जानकारी दी जाएगी.

यूपी में अब तक कोरोना के 17,135 मामले आए सामने

उत्तर प्रदेश में अब तक 17,135 कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं. अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि कोरोना के 6237 एक्टिव केस हैं. वहीं डिस्चार्ज किए जा चुके लोगों की संख्या 10,369 है. उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण से 529 लोगों की मृत्यु हुई है. आइसोलेशन वार्ड में 6239 लोगों को रखा गया है, जिनका विभिन्न अस्पतालों और चिकित्सा महाविद्यालयों में इलाज किया जा रहा है. फैसिलिटी क्वारेंटाइन में 7062 लोगों को रखा गया है. फैसिलिटी क्वारेंटाइन में रखे गए लोगों का सैंपल लेकर जांच करवायी जा रही है. शुक्रवार को प्रदेश में 14,048 सैंपल की जांच की गई. प्रदेश में अब तक 5 लाख 42 हजार 972 लोगों की जांच की जा चुकी है.

वृद्धाश्रम, बाल गृह, महिला संरक्षण गृहों में रहने वाले लोगों की सैंपलिंग की गई. 75 में से तीन जिलों सुलतानपुर, कुशीनगर और जालौन के वृद्धाश्रम में पॉजिटिव केस सामने आए हैं. बाकी किसी भी जिले के वृद्धाश्रम में कोई कोरोना संक्रमित मरीज नहीं पाया गया है. इसके साथ ही तत्काल इन जिलों को सतर्क कर दिया गया है और रैंडम टेस्टिंग करवाई गई. इसी तरह से बाल गृह और बालिका संरक्षण गृह में भी पूरे प्रदेश में रैंडम सैंपलिंग करवाई गई. इसमें मेरठ और कानपुर नगर में संक्रमण सामने आया है. अब उन आश्रय स्थलों में रहने वाले सभी लोगों की जांच करवाए जाने के निर्देश दिए गए हैं. जो लोग संक्रमित पाए गए हैं, उनके इलाज के लिए जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

एसिंप्टोमैटिक मरीज से दूसरों को कम खतरा

वहीं एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि एसिंप्टोमैटिक केस (बिना लक्षण के कोरोना मरीज) में संक्रमित मरीज 10 दिन के बाद किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर सकता है. आईसीएमआर के नए नियमों के तहत एक शासनादेश जारी किया गया है. अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि इसमें डिस्चार्ज करने की पॉलिसी में बदलाव लाया गया है. एसिंप्टोमैटिक कोरोना संक्रमित लोगों को बिना जांच के 10 दिन के अंदर घर भेज दिया जाएगा. उन्हें सात दिनों तक अपने घर पर होम क्वारेंटाइन रहना होगा. उन्होंने बताया कि एसिंप्टोमैटिक केस में नई जानकारी सामने आई है कि ऐसे लोग 10 दिनों के बाद दूसरे को संक्रमित नहीं करते हैं.

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