लखनऊ : ऐशबाग स्थित ऐतिहासिक रामलीला मैदान में मलबे की जगह कूड़े से पटाई हो रही है. इससे आसपास के लोगों में काफी आक्रोश भी है. 1860 से लगातार ऐशबाग में रामलीला का आयोजन होता रहा है. ऐतिहासिक रामलीला के आयोजनों में देश के तमाम बड़े नेता शामिल होते हैं. यहां आयोजित होने वाली रामलीला के मैदान में पिछले कुछ समय से काफी गड्ढे हो हैं. जिसकी भराई रामलीला कमेटी नगर निगम से करा रही है. नगर निगम की तरफ से यहां कूड़ा डाला जा रहा है. जिसकी वजह से आसपास काफी गंदगी हो रही है.
रामलीला कमेटी से जुड़े लोगों का कहना है कि आने वाले समय में रामलीला का आयोजन होना है. ऐसी स्थिति में मलबा फिलहाल मिल नहीं पा रहा है और इसके चलते ही कूड़े से भराई का काम किया जा रहा है. नगर निगम की महापौर सुषमा खरकवाल ने भी यही सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि कमेटी की तरफ से मलबे से भराई कराए जाने की बात कही गई है. जिससे आने वाले समय मे कार्यक्रम किया जा सके. मलबा न मिलने की वजह से कुछ कूड़ा भी डाला जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि नवाबी दौर में समृद्धि और परवान चढ़ी रामलीला लखनऊ की खास पहचान रखती है. 1860 में ऐशबाग रामलीला समिति बनी. देश भर से 250 से ज्यादा कलाकार रामलीला में अभिनय करते हैंं. ऐशबाग की रामलीला देश की सबसे पुरानी रामलीला मानी जाती है. कहते हैं कि चौमासा में जब अयोध्या से साधु-संत निकलते थे तो चार माह के लिए इसी ऐशबाग में उनका डेरा रहता था और दशहरे के वक्त वे इस मैदान में रामकथा का मंचन करते थे.
मेयर की नाराजगी के बाद अस्पताल के टैक्स की जांच शुरू
महापौर सुषमा खर्कवाल व अन्य अधिकारियों, समर्थकों को विनायक अस्पताल को आईसीयू में जूते पहनकर घुसने से रोकना महंगा पड़ सकता है. महापौर की नाराजगी के बाद नगर निगम प्रशासन ने अस्पताल के भवन की गृहकर की पत्रावली की जांच शुरू करा दी है. लखनऊ विकास प्राधिकरण में भी अस्पताल बिल्डिंग निर्माण की पत्रावली खंगाली जाने लगी है. इसके बाद अस्पताल की संचालिका डॉ. मुद्रिका सिंह के सोशल मीडिया में वायरल हो रहे बयान में पूरे विवाद को भ्रामक बताया जा रहा है.
हालांकि विवाद के पश्चात से ही नगर निगम प्रशासन ने जहां अस्पताल पर लगाए गए गृहकर की पत्रावली जोनल अधिकारी जोन आठ अजीत कुमार राय ने मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अंबी बिष्ट को सौंप दी है. साथ ही अपर नगर आयुक्त को पत्रावली के परीक्षण के लिए निर्देश दिए गए हैं. बताया जा रहा है कि जोन आठ में तैनात एक राजस्व निरीक्षक को मौके पर जाकर नए सिरे से अस्पताल की पैमाइश करने का निर्देश दिया गया है. महापौर सुषमा खर्कवाल व अस्पताल प्रशासन के मध्य शुरू हुई अहम की लड़ाई में अस्पताल प्रशासन चारों ओर से घिरता नजर आने लगा है. विवाद के पश्चात नाराज हुए नगर निगम अधिकारियों ने लखनऊ विकास प्राधिकरण से भी अस्पताल के स्वीकृत मानचित्र के अनुसार बिल्डिंग के नक्शा पास होने के साक्ष्य देने के लिए कहा है. बता दें, ईटीएफ प्रभारी सतेन्द्र सिंह बिजनौर रोड स्थित विनायक हास्पिटल में भर्ती है. जिनका हालचाल जानने के लिए महापौर सुषमा खर्कवाल, नगर निगम के अधिकारी, पार्षद व समर्थक हास्पिटल पहुंचे थे. जहां जूते पहन कर आईसीयू में जाने पर अस्पताल प्रशासन के रोकने के पश्चात मौके पर ही विवाद हो गया था. जिसके चलते मौके पर बखेड़ा शुरू हो गया था.
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