लखनऊ : महाराष्ट्र में जाणता राजा का मतलब होता है, बुद्धिमान राजा. छत्रपति शिवाजी महाराज इस तरह के बुद्धिमान राजा थे, जिन्होंने हिंदवी राज्य के साथ ही रामराज्य की झलक भी अपने पूरे शासनकाल में दिखाई. शिवाजी महाराज के जीवन से सभी को कुछ न कुछ सीखने को मिलता है. एक राजा को एक अच्छा अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री व दूरदर्शी होना बहुत जरूरी है. तभी वह अपने राज्य और संस्कृति को बचा सकता है. जिस राजा ने अपनी संस्कृति को बढ़ाने की कोशिश नहीं कि वह कभी अच्छा राजा साबित नहीं हो सकता. यह बातें केंद्रीय रक्षा मंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह ने मंगलवार को जनेश्वर मिश्र पार्क में छह दिनों से चल रहे "जाणता राजा" कार्यक्रम के समापन अवसर पर कहीं.
शिवाजी महाराज एक राष्ट्र नायक-जननायक : केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि शिवाजी महाराज सिर्फ एक राजा नहीं थे, बल्कि एक राष्ट्र नायक और जननायक भी थे. एक कल्याणकारी और न्यायप्रिय राजा होने के साथ-साथ उनकी सैन्य और सामरिक दृष्टि भी अद्भुत थी. उनके जीवन चरित्र से सभी भारतीयों को प्रेरणा लेने की आवश्यकता है. कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज अपने समय के सबसे महान राजाओ में से एक थे. जिन्होंने न केवल अपने राज्य को बचाया बल्कि अपनी संस्कृति को भी बचा के रखा. वह अपने संस्कृति के अच्छे प्रतिनिधि थे
शिवाजी से मिलती है प्रेरणा : राजनाथ ने कहा कि शिवाजी उन विभूतियां में से रहे हैं, जिसे हर कोई कुछ ना कुछ सीख सकता है. मैंने भी उनसे एक बात सीखी है समाज और संस्कृति के उत्थान के लिए अपनी सुरक्षा करना बहुत जरूरी है. मैं उसी से प्रेरणा लेकर रक्षा मंत्री के तौर पर अपनी सेवा देने के काम में लगा हूं. शिवाजी ने अपने समय पर बेहतरीन गोरिल्ला युद्ध नीति को विकसित किया. साथ ही उन्होंने भारत के इतिहास के सबसे बढ़िया नौसेना की भी स्थापना की थी. जब मैं इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आ रहा था तो पार्टी में हमारे साथी राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने मुझे एक बात याद दिलाई. उन्होंने बताया कि 2005 में जब पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन मुंबई में आयोजित हुआ था तो उसे समय मीटिंग करने के बाद में मुंबई में ही "जाणता राजा" नाटक देखने गया था.
अच्छे विचार को ही संस्कृति के प्रतिनिधित्व का मौका मिलता है : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ राजाओं के पास अच्छे विचार होते हैं पर वह संस्कृति के उचित सम्मान व उसके बचाव के लिए कुछ नहीं करते हैं. ऐसे में अच्छे विचार रखने वाले को संस्कृति उसे अपने प्रतिनिधित्व के तौर पर मौका प्रदान करती है. संस्कृति का मूल्य भगवान राम ने समझा और छत्रपति शिवाजी ने. कहा कि जिस तरह से भगवान राम अपनी संस्कृति और संस्कार को साबित करते हुए अपने पिता की आज्ञा पर 14 वर्ष के वनवास के लिए चले गए थे. इसी तरह शिवाजी ने भी अपने पूरे जीवन काल में अपनी संस्कृति और संस्कार को अपनाया.
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