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टूट गया राजा भैया का तिलिस्म, सत्ता की सीढ़ियों पर चलना हुआ मुश्किल

मोदी की सुनामी का असर राजा भैया की भी पार्टी पर देखने को मिला. सत्ता के गलियारों में अपनी हनक और अपनी पकड़ वाले राजा भैया की पार्टी को दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है. इसके बाद से अब राजा भैया की डगर कठिन हो गई है.

देखें रिपोर्ट.
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Published : May 25, 2019, 10:01 AM IST

Updated : May 25, 2019, 2:25 PM IST

लखनऊ: लोकसभा चुनावों से ठीक पहले अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक बनाने वाले रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दोनों उम्मीदवार लोकसभा चुनाव 2019 में चुनाव हार गए हैं. रघुराज प्रताप सिंह ने प्रतापगढ़ से अक्षय प्रताप सिंह व कौशांबी लोकसभा सीट से शैलेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया था. इन दोनों सीटों को जीतने के लिए रघुराज प्रताप सिंह ने कई जनसभाएं कीं, लेकिन यह जनसभाएं जनता को लुभाने में कामयाब नहीं हो पाईं. दोनों ही सीटों पर रघुराज प्रताप सिंह के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है. इसी के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने आप को मजबूती से स्थापित करने के लिए रघुराज प्रताप सिंह की चुनौतियां भी बढ़ी हैं, कभी समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह व समाजवादी पार्टी के बीच दूरियां बढ़ी हैं.

देखें रिपोर्ट.
  • प्रतापगढ़ से अक्षय प्रताप सिंह चुनाव मैदान में थे. अक्षय प्रताप सिंह तीसरे स्थान पर रहे. इस लोकसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार संगम लाल गुप्ता 4,36291 वोट पाकर विजयी रहे हैं. वहीं बसपा के उम्मीदवार अशोक त्रिपाठी 3,18539 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे.
  • कौशांबी लोकसभा सीट से शैलेंद्र कुमार मैदान में थे. शैलेंद्र कुमार तीसरे स्थान पर रहे. लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार विनोद सोनकर 3,83009 वोट पाकर विजयी हुए. वहीं समाजवादी पार्टी उम्मीदवार इंद्रजीत सरोज को 3,44287 वोट मिले.

लोकसभा चुनाव 2019 में जनता ने क्षेत्रीय दलों को नकार दिया है. बताते चलें पार्टी बनाने के बाद रघुराज प्रताप सिंह को लेकर उत्तर प्रदेश में खूब चर्चाएं हो रही थीं. अंदाजा लगाया जा रहा था कि उत्तर प्रदेश को नया राजनीतिक समीकरण मिलेगा, लेकिन रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक लोकसभा चुनाव 2019 में पूरे तरीके से फेल साबित हुई.

राजा भैया ने दो सीट पर उम्मीदवार उतारे, दोनों पर मिली हार

पार्टी बनाने के बाद रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी व भाजपा के एलायंस की अटकलें लगाई जा रही थीं. चुनाव से ठीक पहले रघुराज प्रताप सिंह ने कुल 14 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया था. इसके बाद भी भाजपा के साथ रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी का गठबंधन नहीं हो सका, जिसके बाद बैकफुट पर आते हुए रघुराज प्रताप सिंह ने सिर्फ दो लोकसभा सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे और इन दोनों ही सीट पर रघुराज प्रताप सिंह के उम्मीदवार नाकामयाब रहे हैं.

अब यूपी में राजा भैया खुद को कैसे करेंगे स्थापित

रघुराज प्रताप सिंह पिछली समाजवादी पार्टी में मंत्री थे. समाजवादी पार्टी में रघुराज प्रताप सिंह की अच्छी पकड़ मानी जाती थी, लेकिन पार्टी बनाने के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से रघुराज प्रताप सिंह के संबंध मधुर नहीं रहे. लिहाजा अब उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने आप को स्थापित करने के लिए रघुराज प्रताप सिंह का रास्ता कठिन नजर आ रहा है. हालांकि, रघुराज प्रताप सिंह की भाजपा के साथ अच्छे संबंध हैं, लेकिन अपनी पार्टी बनाने के बाद रघुराज प्रताप सिंह के भाजपा में शामिल होने की संभावनाएं न के बराबर हैं और रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी इस स्थिति में नहीं है कि वह भाजपा के साथ गठबंधन कर सके. लिहाजा अब रघुराज प्रताप सिंह को अपनी पार्टी को उत्तर प्रदेश की राजनीति में स्थापित करने के लिए नए सिरे से मेहनत करनी होगी और नए समीकरण के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने लिए अपनी पार्टी के लिए जगह तलाशनी होगी.

राजनीतिक विश्लेषक क्या मानते हैं

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि रघुराज प्रताप सिंह लंबे समय से निर्दलीय चुनाव लड़ कर उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहे हैं. पार्टी बनाने के बाद रघुराज प्रताप सिंह की चुनौतिया बढ़ी हैं, लेकिन जिन सीटों पर वह विधानसभा चुनाव लड़ते आए हैं, वहां पर रघुराज प्रताप सिंह का वर्चस्व है. लिहाजा 1 सीट पर पार्टी को स्थापित करने में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा, अंदाजा यही लगाया जा रहा है कि अभी फिलहाल रघुराज प्रताप सिंह किसी पार्टी के साथ गठबंधन करने की अपेक्षा अपनी पार्टी को मजबूत करने पर ध्यान देंगे.

राजनीतिक विश्लेषक मनोज भद्रा ने बताया कि रघुराज प्रताप सिंह लंबे समय से निर्दलीय राजनीति में तकरीर रहे हैं. प्रतापगढ़ व आसपास की विधानसभा क्षेत्र में रघुराज प्रताप सिंह का अच्छा प्रभाव है, लोकसभा चुनाव उनके लिए टफ था, लिहाजा उनके उम्मीदवार सीट निकालने में नाकामयाब रहे हैं, जब तक मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष थे, तब तक रघुराज प्रताप सिंह समाजवादी पार्टी के मजबूत नेता थे. अखिलेश के वर्चस्व के बाद पार्टी में रघुराज प्रताप सिंह का कद छोटा हुआ है. लिहाजा अब समाजवादी पार्टी के साथ रघुराज प्रताप सिंह के जाने की संभावनाएं कम नजर आ रही हैं.

लखनऊ: लोकसभा चुनावों से ठीक पहले अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक बनाने वाले रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दोनों उम्मीदवार लोकसभा चुनाव 2019 में चुनाव हार गए हैं. रघुराज प्रताप सिंह ने प्रतापगढ़ से अक्षय प्रताप सिंह व कौशांबी लोकसभा सीट से शैलेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया था. इन दोनों सीटों को जीतने के लिए रघुराज प्रताप सिंह ने कई जनसभाएं कीं, लेकिन यह जनसभाएं जनता को लुभाने में कामयाब नहीं हो पाईं. दोनों ही सीटों पर रघुराज प्रताप सिंह के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है. इसी के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने आप को मजबूती से स्थापित करने के लिए रघुराज प्रताप सिंह की चुनौतियां भी बढ़ी हैं, कभी समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह व समाजवादी पार्टी के बीच दूरियां बढ़ी हैं.

देखें रिपोर्ट.
  • प्रतापगढ़ से अक्षय प्रताप सिंह चुनाव मैदान में थे. अक्षय प्रताप सिंह तीसरे स्थान पर रहे. इस लोकसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार संगम लाल गुप्ता 4,36291 वोट पाकर विजयी रहे हैं. वहीं बसपा के उम्मीदवार अशोक त्रिपाठी 3,18539 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे.
  • कौशांबी लोकसभा सीट से शैलेंद्र कुमार मैदान में थे. शैलेंद्र कुमार तीसरे स्थान पर रहे. लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार विनोद सोनकर 3,83009 वोट पाकर विजयी हुए. वहीं समाजवादी पार्टी उम्मीदवार इंद्रजीत सरोज को 3,44287 वोट मिले.

लोकसभा चुनाव 2019 में जनता ने क्षेत्रीय दलों को नकार दिया है. बताते चलें पार्टी बनाने के बाद रघुराज प्रताप सिंह को लेकर उत्तर प्रदेश में खूब चर्चाएं हो रही थीं. अंदाजा लगाया जा रहा था कि उत्तर प्रदेश को नया राजनीतिक समीकरण मिलेगा, लेकिन रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक लोकसभा चुनाव 2019 में पूरे तरीके से फेल साबित हुई.

राजा भैया ने दो सीट पर उम्मीदवार उतारे, दोनों पर मिली हार

पार्टी बनाने के बाद रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी व भाजपा के एलायंस की अटकलें लगाई जा रही थीं. चुनाव से ठीक पहले रघुराज प्रताप सिंह ने कुल 14 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया था. इसके बाद भी भाजपा के साथ रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी का गठबंधन नहीं हो सका, जिसके बाद बैकफुट पर आते हुए रघुराज प्रताप सिंह ने सिर्फ दो लोकसभा सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे और इन दोनों ही सीट पर रघुराज प्रताप सिंह के उम्मीदवार नाकामयाब रहे हैं.

अब यूपी में राजा भैया खुद को कैसे करेंगे स्थापित

रघुराज प्रताप सिंह पिछली समाजवादी पार्टी में मंत्री थे. समाजवादी पार्टी में रघुराज प्रताप सिंह की अच्छी पकड़ मानी जाती थी, लेकिन पार्टी बनाने के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से रघुराज प्रताप सिंह के संबंध मधुर नहीं रहे. लिहाजा अब उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने आप को स्थापित करने के लिए रघुराज प्रताप सिंह का रास्ता कठिन नजर आ रहा है. हालांकि, रघुराज प्रताप सिंह की भाजपा के साथ अच्छे संबंध हैं, लेकिन अपनी पार्टी बनाने के बाद रघुराज प्रताप सिंह के भाजपा में शामिल होने की संभावनाएं न के बराबर हैं और रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी इस स्थिति में नहीं है कि वह भाजपा के साथ गठबंधन कर सके. लिहाजा अब रघुराज प्रताप सिंह को अपनी पार्टी को उत्तर प्रदेश की राजनीति में स्थापित करने के लिए नए सिरे से मेहनत करनी होगी और नए समीकरण के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने लिए अपनी पार्टी के लिए जगह तलाशनी होगी.

राजनीतिक विश्लेषक क्या मानते हैं

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि रघुराज प्रताप सिंह लंबे समय से निर्दलीय चुनाव लड़ कर उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहे हैं. पार्टी बनाने के बाद रघुराज प्रताप सिंह की चुनौतिया बढ़ी हैं, लेकिन जिन सीटों पर वह विधानसभा चुनाव लड़ते आए हैं, वहां पर रघुराज प्रताप सिंह का वर्चस्व है. लिहाजा 1 सीट पर पार्टी को स्थापित करने में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा, अंदाजा यही लगाया जा रहा है कि अभी फिलहाल रघुराज प्रताप सिंह किसी पार्टी के साथ गठबंधन करने की अपेक्षा अपनी पार्टी को मजबूत करने पर ध्यान देंगे.

राजनीतिक विश्लेषक मनोज भद्रा ने बताया कि रघुराज प्रताप सिंह लंबे समय से निर्दलीय राजनीति में तकरीर रहे हैं. प्रतापगढ़ व आसपास की विधानसभा क्षेत्र में रघुराज प्रताप सिंह का अच्छा प्रभाव है, लोकसभा चुनाव उनके लिए टफ था, लिहाजा उनके उम्मीदवार सीट निकालने में नाकामयाब रहे हैं, जब तक मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष थे, तब तक रघुराज प्रताप सिंह समाजवादी पार्टी के मजबूत नेता थे. अखिलेश के वर्चस्व के बाद पार्टी में रघुराज प्रताप सिंह का कद छोटा हुआ है. लिहाजा अब समाजवादी पार्टी के साथ रघुराज प्रताप सिंह के जाने की संभावनाएं कम नजर आ रही हैं.

Intro:एंकर

लखनऊ। लोकसभा चुनावों से ठीक पहले अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक बनाने वाले रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दोनों उम्मीदवार लोकसभा चुनाव 2019 में चुनाव हार गए हैं। रघुराज प्रताप सिंह ने प्रतापगढ़ से अक्षय प्रताप सिंह को व कौशांबी लोकसभा सीट से शैलेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया था इन दोनों सीटों को जीतने के लिए रघुराज प्रताप सिंह ने कई जनसभाएं की लेकिन या जनसभाएं जनता को लुभाने में कामयाब नहीं रही हैं दोनों ही सीटों पर रघुराज प्रताप सिंह के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है। इसी के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने आप को मजबूती से स्थापित करने के लिए रघुराज प्रताप सिंह की चुनौतियां भी बढ़ी हैं कभी समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह व समाजवादी पार्टी के बीच दूरियां बढ़ी हैं।

प्रतापगढ़ से अक्षय प्रताप सिंह चुनाव मैदान में थे अक्षय प्रताप सिंह तीसरे स्थान पर रहे हैं। इस लोकसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार संगम लाल गुप्ता 436291 वोट पाकर विजई रहे हैं वहीं बसपा के उम्मीदवार अशोक त्रिपाठी 318539 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे हैं।

कौशांबी लोकसभा सीट से शैलेंद्र कुमार मैदान में थे शैलेंद्र कुमार तीसरे स्थान पर रहे हैं लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार विनोद सोनकर 383009 वोट पाकर विजई हुए हैं वहीं समाजवादी पार्टी उम्मीदवार इंद्रजीत सरोज को 344287 वोट मिले हैं।


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लोकसभा चुनाव 2019 में जनता ने क्षेत्रीय दलों को नकार दिया है बताते चलें पार्टी बनाने के बाद रघुराज प्रताप सिंह को लेकर उत्तर प्रदेश में खूब चर्चाएं हो रही थी अंदाजा लगाया जा रहा था कि उत्तर प्रदेश को नया राजनीतिक समीकरण मिलेगा लेकिन रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक लोकसभा चुनाव 2019 में पूरी तरीके से फेल रही है।

पार्टी बनाने के बाद रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी व भाजपा के अलायंस की अटकलें लगाई जा रही थी चुनाव से ठीक पहले रघुराज प्रताप सिंह ने कुल 14 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया था इसके बाद भी भाजपा के साथ रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी का गठबंधन नहीं हो सका जिसके बाद बैकफुट पर आते हुए रघुराज प्रताप सिंह ने सिर्फ दो लोकसभा सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे और इन दोनों ही सीट पर रघुराज प्रताप सिंह के उम्मीदवार नाकामयाब रहे हैं।

रघुराज प्रताप सिंह पिछली समाजवादी पार्टी में मंत्री थे समाजवादी पार्टी में रघुराज प्रताप सिंह की अच्छी पैठ मानी जाती थी लेकिन पार्टी बनाने के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से रघुराज प्रताप सिंह के संबंध मधुर नहीं रहे हैं लिहाजा अब उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने आप को स्थापित करने के लिए रघुराज प्रताप सिंह का रास्ता कठिन नजर आ रहा है हालांकि रघुराज प्रताप सिंह की भाजपा के साथ अच्छे संबंध हैं लेकिन अपनी पार्टी बनाने के बाद रघुराज प्रताप सिंह भाजपा में शामिल होने की संभावनाएं ना के बराबर है और रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी इस स्थिति में नहीं है कि वह भाजपा के साथ गठबंधन कर सके लिहाजा अब रघुराज प्रताप सिंह को अपनी पार्टी को उत्तर प्रदेश की राजनीति में स्थापित करने के लिए नए सिरे से मेहनत करनी होगी और नए समीकरण के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने लिए अपनी पार्टी के लिए जगह तलाशनी होगी।


राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है रघुराज प्रताप सिंह लंबे समय से निर्दलीय चुनाव लड़ कर उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहे हैं पार्टी बनाने के बाद रघुराज प्रताप सिंह की चुनौतिया बढ़ी है लेकिन जिन सीटों पर वह विधानसभा चुनाव लड़ते आए हैं वहां पर रघुराज प्रताप सिंह का वर्चस्व है लिहाजा 1 सीटों पर पार्टी को स्थापित करने में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा अंदाजा यहीं लगाया जा रहा है कि अभी फिलहाल रघुराज प्रताप सिंह किसी पार्टी के साथ गठबंधन करने की अपेक्षा अपनी पार्टी को मजबूत करने पर ध्यान देंगे।


Conclusion:बाइट

मनोज भद्रा राजनीतिक विश्लेषक ने बताया कि रघुराज प्रताप सिंह लंबे समय से निर्दलीय राजनीति में तकरीर रहे हैं प्रतापगढ़ व आसपास की विधानसभा क्षेत्र में रघुराज प्रताप सिंह का अच्छा प्रभाव है लोकसभा चुनाव उनके लिए टफ था लिहाजा उनके उम्मीदवार सीट निकालने में नाकामयाब रहे हैं जब तक मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी मिश्रा कृत है रघुराज प्रताप सिंह समाजवादी पार्टी के मजबूत नेता थे अखिलेश के वर्चस्व के बाद पार्टी में रघुराज प्रताप सिंह का कद छोटा हुआ है लिहाजा अब समाजवादी पार्टी के साथ रघुराज प्रताप सिंह के जाने की कमी संभावनाएं नजर आ रही हैं


संवाददाता
प्रशांत मिश्रा
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Last Updated : May 25, 2019, 2:25 PM IST
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