लखनऊ: एक दिन पहले इटावा में दिल्ली से दरभंगा जा रही ट्रेन के कई कोच में आग लग गई. यही नहीं दुर्घटना के महज 24 घंटे के भीतर दिल्ली से सहरसा जा रही वैशाली एक्सप्रेस की बोगियों में आग लगने की घटना हो गई. ट्रेनों में आग लगने की इन घटनाओं से चिंतित उत्तर व पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने कई चरणों में ट्रेनों की वायरिंग व विद्युत उपकरणों की जांच करने के लिए कमेटी बनाने का फैसला लिया है.
ट्रेनों में आग लगने की घटना की एक अहम वजह रेलवे के जानकार बोगियों की पुरानी वायरिंग मान रहे हैं. शॉट सर्किट होने से आग पकड़ने के कारण दुर्घटनाएं घटित हो जाती हैं. 24 घंटे के अंदर हुए दोनों हादसों की अब रेलवे ने जांच शुरू कर दी है. रिपोर्ट आने के बाद हादसे का असल कारण पता चल सकेगा. गौरतलब है कि रेलवे परम्परागत कोच के स्थान पर लिंक हाफमैन बुश (एलएचवी) लगा रहा है, जो हादसों के लिहाज से ज्यादा सुरक्षित माने जाते हैं.
बावजूद इसके अब भी तमाम ट्रेनों को पुराने कोच के साथ दौड़ाया जा रहा है. उत्तर रेलवे के ओएंडएफ विभाग के अधिकारी बताते हैं कि कोच की नियमित जांच की व्यवस्था रहती है. पीरियोडिक जांच-पड़ताल के समय भी कोच की वायरिंग जांची जाती है, लेकिन ऐहतियात के तौर पर तीन चरणों में जांच की व्यवस्था की जा रही है. इसके लिए कमेटी गठित की जा रही है.
ट्रेन के आने पर होने वाले प्राथमिक अनुरक्षण के दौरान कोच के पंखों, लाइट, बिजली उपकरणों और एसी की जांच की जाएगी. इसके बाद पीरियोडिक मेंटेनेंस में विस्तार से पड़ताल की जाएगी. ट्रेन ऑपरेशन के दौरान अचानक पड़ताल भी की जाएगी. काम में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों पर सख्त एक्शन भी लिया जाएगा.
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